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Career in Economics: इकोनॉमिक्स में ऊंचा करें भविष्य का ग्राफ

Career in Economics: इकोनॉमिक्स यानी अर्थशास्त्र सबसे अधिक मांग वाले विषयों में से एक है. भारत के पास दुनिया को ऐसे उत्कृष्ट अर्थशास्त्री देने का लंबा इतिहास है, जिन्होंने वैश्विक परिदृश्य में अपनी छाप छोड़ी है और छात्रों में अर्थशास्त्र में करियर बनाने का जुनून जगाया है.

Career in Economics: इकोनॉमिक्स यानी अर्थशास्त्र सबसे अधिक मांग वाले विषयों में से एक है. भारत के पास दुनिया को ऐसे उत्कृष्ट अर्थशास्त्री देने का लंबा इतिहास है, जिन्होंने वैश्विक परिदृश्य में अपनी छाप छोड़ी है और छात्रों में अर्थशास्त्र में करियर बनाने का जुनून जगाया है. भारत की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जो आज छठवीं बार बजट पेश कर रही हैं, अर्थशास्त्र की छात्रा रही हैं. अर्थशास्त्र में डिग्री फाइनेंशियल मार्केट में जॉब के विभिन्न अवसर खोलती है. जानें कैसे इस विषय के साथ आप अपने करियर को ऊंचाई दे सकते हैं…

इकोनॉमिक्स में उच्च शिक्षा हासिल करनेवालों के लिए आज हर क्षेत्र में बेहतरीन अवसर उपलब्ध हैं. आपकी अगर गणित और आंकड़ों के साथ आर्थिक-सामाजिक अध्ययन में रुचि है, तो इस विषय को चुनकर एक शानदार भविष्य में दाखिल हो सकते हैं.

जानें, क्या है अर्थशास्त्र

विषय के तौर पर अर्थशास्त्र में आर्थिक विकास एवं सामाजिक विकास के बीच संबंध, आर्थिक सिद्धांत और प्रणालियों, आपूर्ति एवं मांग, मुद्रास्फीति, धन आपूर्ति की पढ़ाई की जाती है. अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है. इसका मूल कार्य यह अध्ययन करना है कि व्यक्ति, परिवार, संगठन एवं राष्ट्र अपने लाभ को अधिकतम बनाने के लिए अपने सीमित संसाधनों का उपयोग कैसे करते हैं. इसके तहत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है. अर्थशास्त्र के दो भाग हैं- सूक्ष्म अर्थशास्त्र (माइक्रो इकोनॉमिक्स) और वृहद अर्थशास्त्र (मैक्रो इकोनॉमिक्स). माइक्रो इकोनॉमिक्स में लोग व्यय एवं बचत के लिए कौन-से आर्थिक विकल्प चुनते हैं, यह जानने के लिए व्यक्ति, परिवार, फर्म आदि के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है. मैक्रो इकोनॉमिक्स राष्ट्रीय या वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. इसमें देश के सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रा स्फीति दर, ब्याज दर, आयात एवं निर्यात आदि का अध्ययन किया जाता है.

आगे बढ़ने की राहें हैं यहां

इकोनॉमिक्स में ऐसी कई करियर राहें हैं, जिनमें इकोनॉमिक्स से बीए के बाद कदम रख सकते हैं. लेकिन, मजबूत भविष्य के लिए एमए जरूरी है. अकादमिक क्षेत्र में बतौर अध्यापक या अर्थशास्त्री के तौर पर आगे बढ़ने के लिए एमए के बाद पीएचडी का रुख करना जरूरी है. इसके अलावा गवर्नमेंट सेक्टर से लेकर कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों तक में अर्थशास्त्र की पढ़ाई करनेवालों के लिए कई तरह के जॉब के अवसर मौजूद हैं.

गवर्नमेंट सेक्टर : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) वार्षिक आधार पर भारतीय आर्थिक सेवा और भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा आयोजित करता है, जिसमें इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं. इनमें सफलता हासिल करनेवालों को नीति आयोग, भारत सरकार के मंत्रालयों और अन्य विभागों में बतौर अधिकारी काम करने का अवसर मिलता है.

बैंकिंग सेक्टर : सार्वजनिक क्षेत्र के बहुत से बैंक इकोनॉमिक्स में मास्टर डिग्री हासिल करनेवालों को बतौर अर्थशास्त्री नियुक्त करते हैं. प्राइवेट बैंकों में भी अर्थशास्त्री की आवश्यकता होती है. अर्थशास्त्री आमतौर पर बैंक के पॉलिसी मेकिंग/ प्लानिंग विभाग में काम करते हैं. इसके साथ ही इनके लिए विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) आदि में भी अवसर मौजूद हैं.

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां : इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ), यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी), यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी), यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (यूएनआईडीओ) समेत कई अंतरराष्ट्रीय निकायों को अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है.

रिसर्च फील्ड : इकोनॉमिक्स में भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में रिसर्च के बेहतरीन अवसर मौजूद हैं. इसमें रिसर्च के लिए विविध क्षेत्र हैं. इकोनॉमिक्स में शोध को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थान स्थापित किये गये हैं. कुछ प्रमुख संस्थान हैं – इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, नयी दिल्ली. इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंसेज रिसर्च, नयी दिल्ली. नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च, नयी दिल्ली. सेंटर फाॅर वुमेंस डेवलपमेंट स्टडीज, नयी दिल्ली.

कुछ नये क्षेत्र हैं : स्टॉक ब्रोकिंग फर्म, म्यूचुअल फंड कंपनियां, इकोनॉमिक एनालिसिस, डाटा एनालिटिक्स, अकाउंट्स, मार्केट रिसर्च एवं एनालिसिस, सेल्स के क्षेत्र में इकोनॉमिक्स में डिग्री धारकों के लिए आगे बढ़ने के बेहतरीन मौके उपलब्ध हैं.

ब्रांच एवं स्पेशलाइजेशन

  • डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स : इसमें विकासशील एवं अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के उपायों का अध्ययन किया जाता है.

  • अप्लाइड इकोनॉमिक्स : इसमें व्यावसायिक सिद्धांतों में आर्थिक सिद्धांतों को नियोजित किया जाता है.

  • रूरल इकोनॉमिक्स : कृषि, भूमि उपयोग, ग्रामीण मजदूरी, गांव-शहर की आय में विषमता आदि का अध्ययन इस ब्रांच में किया जाता है.

  • बिहेवरियल इकोनॉमिक्स : यह आर्थिक विकल्पों, प्रभावों आदि पहलुओं से जुड़ा है.

  • इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स : यह ब्रांच दो देशों के बीच वस्तुओं तथा सेवा-व्यापार, आर्थिक प्रभाव के अध्ययन पर केंद्रित है. मौजूदा समय में यह ब्रांच बहुत लोकप्रिय है.

  • इकोनोमेट्रिक्स : इसमें व्यापार और आर्थिक समस्याओं के समाधान और विश्लेषण के लिए डाटा एनालिसिस टूल का उपयोग किया जाता है.

  • लेबर इकोनॉमिक्स : इसमें श्रम गतिशीलता, श्रमिक कल्याण और इससे संबंधित मामले शामिल हैं.

संस्थान, जिनके पाठ्यक्रम की है मांग

इकोनॉमिक्स एक ऐसा परंपरागत विषय है, जो भारत समेत दुनिया भर के संस्थानों में पढ़ाया जाता है. लेकिन, कुछ संस्थानों के पाठ्यक्रम की बहुत अधिक लोकप्रियता है. ऐसे ही प्रमुख संस्थानों में शुमार है दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, जहां से बीए एवं एमए प्रोग्राम संचालित होता. मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जनरल इकोनॉमिक्स/ फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स/एनवायर्नमेंटल इकोनॉमिक्स में एमए कोर्स संचालित करता है. अन्य प्रमुख संस्थान हैं – जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता, गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिक्स आदि.

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