केंद्र सरकार द्वारा सीबीएसई बोर्ड 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद आईसीएसई समेत कई राज्यों में बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई हुई. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सीआईएससीई की तरफ से पेश वकील जे के दास को दो हफ्तों के भीतर मानदंड पेश करने को कहा.
SC asks CBSE, CISCE to place on record objective parameters for assessment of class 12 students in two weeks
— Press Trust of India (@PTI_News) June 3, 2021
पीठ ने कहा, ‘‘हम खुश हैं कि सरकार ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया है लेकिन हम चाहते हैं कि अंकों के मूल्यांकन के लिए सामान्य मानदंड हमारे समक्ष पेश किया जाए.’’ पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मानदंड पेश करने के लिए और वक्त नहीं देगी क्योंकि कई छात्र भारत तथा विदेश में कॉलेजों में दाखिले लेंगे.
पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मानदंड पेश करने के लिए और वक्त नहीं देगी, क्योंकि कई छात्र भारत तथा विदेश में कॉलेजों में दाखिले लेंगे. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह अंकों के मूल्यांकन के लिए सामान्य मानदंडों पर गौर करेगा ताकि किसी को भी कोई आपत्ति हो तो उसे सुलझाया जा सके. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की मांग के साथ ही यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
पीठ ने केंद्र सरकार के फैसले पर जताई खुशी
पीठ ने बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के सरकार के फैसले पर खुशी जताई, लेकिन ये भी साफ किया कि याचिका का निपटारा तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक केंद्र मूल्यांकन योजना के साथ सामने नहीं आता.
12वीं परीक्षाओं को रद्द करने के लिए दायर की गई थी याचिका
एडवोकेट ममता शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देशभर में कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति के बीच होने वाली 12वीं परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की थी। याचिका में केंद्र, सीबीएसई और आईएससीई को 12वीं की परीक्षा रद्द करने का निर्देश देने और निश्चित समय-सीमा में परिणाम घोषित करने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रणाली तय करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है
Posted By: Shaurya Punj