कई लोगों को चाय का शौक होता. चाय पीने से कई फायदे होते हैं जैसे चाय की पत्तियों में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट और फाइटोकेमिकल्स आपके प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करता है, ग्रीन-टी के रूप चाय, तनाव कम करने से लेकर वजन कम करने में भी फायदेमंद होता है. भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के साथ-साथ असम की चाय और दार्जिलिंग चाय के साथ विश्व में प्रतिष्ठित है. भारत में चाय उद्योग काफी अच्छी तरह से स्थापित है और इस विशेष क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए उत्सुक छात्रों के लिए एक ताज़ा करियर का अवसर प्रदान करता है. चाय प्रबंधन पाठ्यक्रम भारत आपको चाय उत्पादन, गुणवत्ता, स्वाद, विपणन और बहुत कुछ सिखाएगा.
टी-टेस्टर के रूप में मिलती है कैरियर के लिए संभावनाएं
जितने भी पेय पदार्थ हैं, उनमें चाय और कॉफी का इतिहास काफी पुराना है. यह सबसे लोकप्रिय पेय में शामिल है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि टी टेस्टिंग की फील्ड में जॉब का क्या स्कोप और भविष्य है। टी टेस्टर चाय उद्योग में स्पेशलाइज्ड प्रफेशनल होता है और दुनिया में इसे एक अच्छी जॉब माना जाता है.
आमदनी
जब आप बतौर ट्रेनी काम करते हैं तो आपको पांच हजार से दस हजार रूपए प्रतिमाह मिलते हैं. वहीं थोड़े अनुभव के पश्चात् आपकी सैलरी 25000 से 30000 रूपए प्रतिमाह हो सकती है. इस क्षेत्र में अनुभव के साथ−साथ सैलरी भी बढ़ती जाती है. एक स्पेशलाइज्ड टी टेस्टर और टी सोमेलियर चालीस हजार से पचास हजार रूपए प्रतिमाह कमा सकता है.
भारत में चाय प्रबंधन पाठ्यक्रमों के लिए लोकप्रिय संस्थान
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असम कृषि विश्वविद्यालय
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चाय पति और प्रौद्योगिकी विभाग
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जोरहाट, असम
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भारतीय वृक्षारोपण प्रबंधन संस्थान
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डिप्रेस इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
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द टी रिसर्च एसोसिएशन (टीआरए),
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एनआईटीएम, दार्जिलिंग टी रिसर्च एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन
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असम दार्जिलिंग चाय अनुसंधान केंद्र
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UPASI चाय अनुसंधान संस्थान
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बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूचरिस्टिक स्टडीज
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय (NBU) बना भारत में टी साईंस पाठ्यक्रम करवाने वाला पहला विश्वविद्यालय
आपको बता दें कि उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय (NBU) भारत का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है, जिसमें टी साईंस यानी चाय विज्ञान का पाठ्यक्र्म शुरू करने जा रहा है. इस शैक्षणिक सत्र से एक पूर्णकालिक स्नातक पाठ्यक्रम के रूप में चाय विज्ञान पेश करेगा.
देश में कोई भी अन्य विश्वविद्यालय टी साईंस में पाठ्यक्रम कोर्स नहीं उपलब्ध करवाता है, चाय विज्ञान एक विषय के रूप में है और उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय ट्रेंडसेटर है.
वर्सिटी के अंडरग्रेजुएट काउंसिल के सचिव नूपुर दास ने कहा, “चाय विज्ञान पाठ्यक्रम छात्रों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगा, जिसमें जाने-माने लोग भी शामिल हैं.”
उन्होंने कहा, “यह एक उदाहरण स्थापित करेगा. हमारे पास देश के किसी भी अन्य विश्वविद्यालय के बारे में कोई जानकारी नहीं है जो समान पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं.”
तीन साल के टी साइंसेज कोर्स में 20 सीटें होंगी. उच्चतर माध्यमिक उत्तीर्ण करने वाले छात्र, 10 अगस्त से नामांकन कर सकते हैं. उन्हें संयोजन पत्र के रूप में जीव विज्ञान, माइक्रोबायोलॉजी और रसायन विज्ञान की पेशकश की जाएगी.