Sarkari Naukri 2022 : देश में रोजगार को लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित है. दरअसल कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के सचिवों को सुझाव दिया है कि विनिर्माण और रोजगार सृजन को गति देने के लिए निजी क्षेत्र का समर्थन करना आवश्यक है. गौबा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में हस्तक्षेप का मुख्य केंद्रबिंदु रोजगार सृजन होना चाहिए.
गौबा ने सचिवों को पत्र लिखकर दो अप्रैल को बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें दिए गए सुझावों पर ”तत्काल कार्रवाई शुरू करने” का अनुरोध किया. सरकार को आर्थिक विकास के लिए ”सुविधा प्रदाता” और ”उत्प्रेरक कारक” के रूप में कार्य किए जाने का जिक्र करते हुए गौबा ने कहा कि विनिर्माण और रोजगार सृजन को गति देने और भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करने के लिए निजी क्षेत्र का समर्थन करना अनिवार्य है.
चार अप्रैल को लिखे गए पत्र में ”नियमों के मामूली उल्लंघन संबंधी मामलों को त्वरित गति से निपटाए जाने का भी उल्लेख किया गया है. पत्र में कहा गया है कि ऐसे सभी प्रावधानों की समीक्षा की जानी चाहिए और इन प्रावधानों को समयबद्ध तरीके से निरस्त/संशोधित करने के लिए तदनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए. पत्र में कहा गया है कि प्रत्येक मंत्रालय/विभाग को स्वीकृत पदों के अनुसार मौजूदा रिक्तियों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
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पत्र में राज्यों के लिए उस राजकोषीय अनुशासन का भी जिक्र किया गया है, जिसका सुझाव प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया था. साथ ही कहा गया कि राज्य स्तर पर इस संबंध में उपयुक्त तरीके से संचार किए जाने की आवश्यकता है. गौबा ने पत्र में कहा कि इस संबंध में, नीतिगत उपायों/निर्णयों के दीर्घकालिक राजकोषीय प्रभावों का विश्लेषण किया जाना चाहिए और इसे राज्य सरकार के साथ साझा किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताई थी और दावा किया था कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं. मोदी ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की थी.