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बिना गुणवत्ता जांचे लाखों का भुगतान किये जाने के मामले में सिविल सर्जन से 6 घंटे पूछताछ, जांच में मिली कई खामियां

Jharkhand news, Chiabasa news : कोरोना काल में सदर अस्पताल, चाईबासा के क्रय समिति द्वारा डीसी के आदेश की अवहेलना करते हुए खरीद किये गये स्वास्थ्य उपकरणों (बेड, एयर मैट्रिक्स एवं ऑक्सीजन सीलेंडर) की गुणवत्ता जांचे बगैर सप्लायर को लाखों का भुगतान किये जाने के मामले में जांच- पड़ताल हुई. डीसी अरवा राजकमल के निर्देश पर गठित 3 सदस्यीय जांच टीम मंगलवार (10 नवंबर, 2020) को फिजिकल वैरीफिकेशन के लिए सदर अस्पताल पहुंची. जांच टीम ने जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता से 6 घंटे तक गहन पूछताछ की. वहीं, टीम ने खूंटपानी पहुंचकर वहां रखे गये बेड, एयर मैट्रिक्स एवं ऑक्सीजन सीलेंडर की भी जांच की. टीम के नेतृत्वकर्ता सदर अनुमंडल पदाधिकारी शशींद्र कुमार बड़ाईक के साथ सदर बीडीओ पारूल सिंह एवं सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम मौजूद थे.

Jharkhand news, Chiabasa news : चाईबासा (पश्चिम बंगाल) : कोरोना काल में सदर अस्पताल, चाईबासा के क्रय समिति द्वारा डीसी के आदेश की अवहेलना करते हुए खरीद किये गये स्वास्थ्य उपकरणों (बेड, एयर मैट्रिक्स एवं ऑक्सीजन सीलेंडर) की गुणवत्ता जांचे बगैर सप्लायर को लाखों का भुगतान किये जाने के मामले में जांच- पड़ताल हुई. डीसी अरवा राजकमल के निर्देश पर गठित 3 सदस्यीय जांच टीम मंगलवार (10 नवंबर, 2020) को फिजिकल वैरीफिकेशन के लिए सदर अस्पताल पहुंची. जांच टीम ने जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता से 6 घंटे तक गहन पूछताछ की. वहीं, टीम ने खूंटपानी पहुंचकर वहां रखे गये बेड, एयर मैट्रिक्स एवं ऑक्सीजन सीलेंडर की भी जांच की. टीम के नेतृत्वकर्ता सदर अनुमंडल पदाधिकारी शशींद्र कुमार बड़ाईक के साथ सदर बीडीओ पारूल सिंह एवं सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जगन्नाथ हेम्ब्रम मौजूद थे.

दरअसल, सदर अस्पताल में दोपहर 12 बजे जांच करने पहुंची टीम शाम 6 बजे वापस लौटी. इस दौरान जांच टीम ने अस्पताल के क्रय समिति द्वारा किये गये खरीद प्रक्रिया के कई बिंदुओं पर सिविल सर्जन से सवाल किये. ऐसे में खरीदारी के बाद बिना गुणवत्ता जांचे विभाग के द्वारा भुगतान किये जाने पर टीम ने अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर की. साथ ही खरीदारी के लिए निकाली गयी टेंडर के प्रोसेस, टेंडर में कौन एल-1 आया था, गुणवत्ता जांच के लिए क्या मानक निर्धारित थे. इन सभी चीजों की जानकारी मांगी.

जांच टीम ने कहा कि डीसी के आदेश के अनुसार गुणवत्ता जांच के बाद सप्लायरों को जिला स्वास्थ्य समिति के मद से भुगतान किया जाना था, लेकिन भुगतान जिला स्वास्थ्य समिति के मद से नहीं करते हुए अस्पताल मद से किया गया है. इसमें बड़ा गड़बड़झाला प्रतीत हो रहा है. वहीं, आपातकालीन स्थिति होने के बावजूद डीसी के आदेश का पालन किये बगैर भुगतान किये जाने की जानकारी डीसी को नहीं देना अपने आपमें कई सवाल खड़े करता है.

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यहां आपसी विवाद के कारण डीसी के अनुमति बगैर अस्पताल के पदाधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं. जिला लेखा प्रबंधक (District Accounts Manager- DAM) को दरकीनार करते हुए सीएस कार्यालय से भुगतान हुआ है, जो कि बड़ी लापरवाही है. जांच टीम ने कहा कि खरीद प्रक्रिया में अस्पताल के पदाधिकारियों के द्वारा लापरवाही बरती गयी है. ऐसे में प्रथम दृष्टिया जांच में कई त्रुटियां पायी गयी है.

सीएस ने कहा कि विगत दिनों डैम कोरोना पॉजिटिव हो गये थे. इसलिए डीपीएम नीरज कुमार यादव के दबाव पर भुगतान किया गया. इसपर जांच टीम के द्वारा संबंधित फाइलों की मांग की गयी. सीएस के द्वारा संबंधित फाइलें एलआरडीसी के द्वारा अन्य जांच के लिए पूर्व में ले जाने की जानकारी दी गयी. इस कारण जांच टीम कई तथ्यों से अबतक रूबरू नहीं हो सकी है.

डीसी को संज्ञान में दिये क्यों नहीं हुआ भुगतान

जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों के द्वारा प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गुप्ता पर कई सवाल दागे गये. अधिकांश सवालों के जवाब में उन्होंने आला अधिकारियों से मौखिक अनुमति लेने की बात कही. जब पदाधिकारी द्वारा सिविल सर्जन से सवाल किया गया कि किसी भी संस्था के हेड जिले के डीसी होते हैं. जब खरीद के पहले डीसी के द्वारा गुणवत्ता जांच होने पर ही सप्लायर को भुगतान किये जाने की अनुमति दी गयी थी, तो फिर क्यों और किन कारणों से उन्हें सप्लायरों को बिना गुणवत्ता जांच के भुगतान किये जाने की जानकारी नहीं दी गयी. किस गाइडलाइन के नियम में डीसी के आदेश की अवहेलना करते हुए खरीदारी करने को कहा गया है. इसपर सिविल सर्जन ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि मैंने नहीं बल्कि डीपीएम ने गलत किया है.

सीएस का डीपीएम नीरज यादव पर कई आरोप

सदर अस्पताल जांच को पहुंची टीम को सिविल सर्जन डॉ ओमप्रकाश गप्ता के द्वारा तत्कालीन जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) नीरज कुमार यादव के खिलाफ भी कई बातें बतायी गयी. सीएस ने टीम को बताया कि डीपीएम ने उन्हें कई चीजों की जानकारी नहीं देते हुए उनसे कई फाइलों पर साइन करा लिया करते थे. इतना ही नहीं, कई दफा डीपीएम के द्वारा मुझपर दबाव बनाते हुए भी कई फाइलों पर साइन कराया गया. इसपर जांच टीम ने सीएस को घेरे में लिया. सीएस से कहा कि सीएस की कुर्सी पर बैठने के बाद किसी भी फाइल को अच्छी तरह पढ़कर, देख-समझकर ही साइन करना चाहिए था. जो आपको समझायेगा, वो अाप कर देंगे क्या? ऐसा नहीं होता है. ठीक है आपको प्रशासनिक अनुभव नहीं है, लेकिन विभाग के मुखिया होने के नाते हस्ताक्षर करने से पहले सवाल-जवाब तो कर सकते हैं.

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डीडीसी के मौखिक आदेश पर हुआ भुगतान

सीएस ने जांच टीम को बताया कि तत्कालीन डीडीसी के मौखिक आदेश पर भुगतान किया गया है. कहा कि तत्कालीन डीडीसी से कई बार सप्लायरों को भुगतान करने को लेकर उनके द्वारा अनुमति मांगी गयी थी. इसको लेकर डीडीसी से मैंने गुणवत्ता जांच के लिए भी कहा था, क्योंकि भुगतान के लिए सप्लायर और डीपीएम के द्वारा बार-बार मुझपर दबाव बनाया जा रहा था. इसके बाद डीडीसी ने मौखिक पर इसे खुद से देख लेने की अनुमति दी थी. सिविल सर्जन ने जांच टीम के अधिकारियों को बताया कि पूरे मामले में वे पूरी तरह निर्दोष हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा देखने पर ऑक्सीजन सीलेंडर में सबकुछ ठीक पाया गया, जबकि बेड एवं एयर मैट्रिक्स की खरीद बाजार से काफी कम रेट पर खरीदी गयी थी. वहीं, गुणवत्ता जांच करने वाली टीम के पदाधिकारियों के अनाकानी के बीच अस्पताल के जिला लेखा प्रबंधक सुजीत कुमार चौधरी कोरोना पॉजिटिव हो गये. ऐसे में कोई विकल्प नहीं बच जाने के कारण उन्होंने अन्य मद से सप्लायर को भुगतान किये जाने की अनुमति डीपीएम नीरज कुमार यादव को दे दी.

सभी मुझे करते हैं ओवरलुप : प्रभारी सिविल सर्जन

प्रभारी सीएस ने जांच करने पहुंची टीम के पदाधिकारियों से कहा कि यहां सभी मुझे ओवरलुप करते हुए अपनी मनमानी करते हैं. अनुबंध पर कार्यरत कर्मी खासकर डीपीएम एवं डैम के द्वारा कोरोना काल में सरासर अपनी मर्जी चलायी गयी है. डीपीएम जहां मुझपर दबाव बनाते हुए कई फाइलों पर साइन कराते गये, वहीं डैम मुझे बताये बगैर सीधे मिशन डायरेक्टर से किसी भी मामले में पत्राचार करते हैं. इसपर जांच टीम के द्वारा पहले सीएस को गलत ठहराया, उसके बाद डैम को बुलाकर उसे भी फटकार लगायी. जांच टीम ने डैम से कहा कि आपको कोई भी परेशानी थी, तो पहले जिला के अधिकारियों को इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी ना कि सीधे आप मिशन डायरेक्टर को पत्र भेजे और वहां से डीसी को जानकारी हो रही है, तो ये विभाग की बहुत बड़ी विडंबना है. साथ ही साफ तौर पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. पहले आपको डीसी के यहां अपना पक्ष रखना चाहिए.

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स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में बरती गयी है लापरवाही : सदर एसडीओ

जांच टीम के नेतृत्वकर्ता सह सदर एसडीओ शशिंद्र कुमार बड़ाईक ने कहा कि खरीद प्रक्रिया में अस्पताल के पदाधिकारियों के द्वारा लापरवाही बरती गयी है. प्रथम दृष्टिया जांच में कई त्रुटियां मिली है. यहां पुराना विवाद भी दिखा है. वहीं, पूरे मामले में डीसी की आदेश की अवहेलना करते हुए अस्पताल के पदाधिकारियों के द्वारा मनमानी की गयी है. फाइलों और कागजात की जांच करने के बाद सबकुछ स्पष्ट हो जायेगा.

Posted By : Samir Ranjan.

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