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चतरा के इटखोरी में उज्ज्वला योजना का हाल बेहाल, शो पीस बना गैस सिलिंडर व चूल्हा, फिर लकड़ी से बन रहा खाना

गैस सिलिंडर के बढ़े दाम के कारण चतरा के इटखोरी क्षेत्र की ग्रामीण महिलाएं रिफिलिंग कराने में असमर्थ हैं. ऐसे में गैस सिलिंडर और चूल्हा शो पीस बन गया है. कोई घर के छज्जे पर, तो कोई कूड़ेदान में इसे रख दिये हैं. वहीं, फिर से ग्रामीण महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर ही आश्रित हो गयी है.

Jharkhand News (विजय शर्मा, इटखोरी, चतरा) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना का झारखंड के चतरा जिला अंतर्गत इटखोरी में दम निकल रहा है. घरेलू गैस की कीमत बढ़ने से गरीब परिवार ने रिफिलिंग (गैस सिलिंडर भराना) कराना ही छोड़ दिया है. किसी ने घर के छज्जा पर, तो किसी ने कूड़ेदान की तरह गैस सिलिंडर को रख दिया है. वहीं, एक बार फिर ग्रामीण लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाने को मजबूर हो रही है.

चतरा जिले के इटखोरी क्षेत्र में BPL परिवार के 70 प्रतिशत महिलाओं ने गैस चूल्हा का इस्तेमाल बंद कर दिया है. वो दोबारा लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने लगी है. गैस की बढ़ती कीमत के कारण इस योजना के उद्देश्य पर पानी फिर गया है. महिलाओं ने कहा कि पहले 600 रुपये में एक गैस सिलिंडर मिलता था, लेकिन अब करीब 1000 रुपये में मिलने लगा है. खाना के लिए तो पैसा जुटाना मुश्किल हो गया है, तो गैस सिलिंडर रिफिलिंग के लिए इतने रुपये कहां से लायेंगे.

BPL परिवार की महिलाओं ने कहा

इटखोरी क्षेत्र के परोकाकलां निवासी पनवा देवी ने कहा कि जिस समय चूल्हा और गैस सिलिंडर मिला था, तो उस समय गैस का दाम कम था. अब इतना महंगा हो गया है कि इसका रिफिलिंग कराना मुश्किल हो गया है. फिर से लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाने को मजबूर हो रहे हैं.

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वहीं, रोमी गांव निवासी संफुल देवी ने कहा कि पैसों के अभाव में गैस सिलिंडर नहीं भरा रहे हैं. पहले 600 रुपये में मिलता था. अब करीब 1000 रुपये लगता है. महंगाई इतनी बढ़ गयी है कि राशन खरीदना मुश्किल हो गया है. लकड़ी के चूल्हा में खाना बनाकर किसी तरह गुजर कर रहे हैं.

अनिता देवी ने कहा कि गैस का दाम इतना बढ़ गया है कि हमलोग गरीब परिवार नहीं भरा सकते हैं. कुछ महीना तक गैस के चूल्हा पर खाना बनाये थे, लेकिन अब दोबारा लकड़ी के चूल्हा पर खाना बनाते हैं. परोका निवासी गायत्री देवी ने कहा कि हम अपना सिलेंडर व चूल्हा घर के छज्जे पर रख दिये हैं. गैस रिफिलिंग का पैसा नहीं है. दिनभर मजदूरी करते हैं, तो शाम को भोजन बनता है. पहले सब्सिडी भी मिलता था, लेकिन अब तो वह भी नहीं आता है.

सुनीता देवी ने कहा कि पहले गैस का दाम कम था, तो इस्तेमाल करती थी, लेकिन अब तो मुश्किल हो गया है. यही कारण है कि एक बार फिर लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं. गैस इतना महंगा हो गया है कि उसका रिफिलिंग कराना संभव नहीं है. वहीं, मीना देवी ने कहा कि दो वक्त का पैसा तो जुट नहीं रहा है, तो इतनी महंगी गैस सिलिंडर को कैसे रिफिलिंग कराये. अब तो लकड़ी के चूल्हा पर खाना बन रही है.

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Posted By : Samir Ranjan.

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