Ind Vs Nz Semifinal: वर्ल्ड कप 2023 का पहला सेमीफाइनल (World Cup Semifinal 2023) मेजबान भारत और न्यूजीलैंड की टीम के बीच होने जा रहा है. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल मैच हो रहा है. पूर्व में हुए वर्ल्ड कप के मैचों की कई खट्टी-मिठी यादें इस मैच में वापसी करने जा रही है. वर्ष 2011 में हुए वर्ल्ड कप फाइनल में महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व वाली भारतीय टीम ने इसी वानखेड़े स्टेडियम में जीत दर्ज की थी. जबकि वर्ष 2019 यानी पिछले वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल में ही न्यूजीलैंड की टीम ने ही भारत को हराया था और बेहद करीब जाकर टीम इंडिया वर्ल्ड कप ट्रॉफी वापस घर लाने से चूक गयी थी. बुधवार को वानखेड़े स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड की टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रवेश पाने के लिए एक-दूसरे से टकराएगी. बात अगर ग्राउंड की करें तो वानखेड़े किसी अबूझ पहेली से कम नहीं है. यहां जीत दर्ज करने के लिए किस रणनीति पर टीम को काम करना चाहिए, ये पूर्व में हुए मुकाबलों और मैदान के मिजाज से ही स्पष्ट हो जाता है.
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में ही भारत ने वर्ष 2011 के वर्ल्ड कप के फाइनल में जीत दर्ज किया. महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले से निकला वो छक्का इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया. वहीं इसी स्टेडियम में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अपना आखिरी मैच खेला था. बात वानखेड़े की करें तो यहां लाल मिट्टी वाली पिच है. इस स्टेडियम में मैच खेलने वाली टीम को हर मोड़ पर संभलकर खेलना पड़ता है. यह बताना बिल्कुल आसान नहीं कि पिच गेंदबाजों के लिए अधिक फायदेमंद है या बल्लेबाजों के लिए. वहीं टॉस फैक्टर पर भी विशेषज्ञों की भी कुछ ऐसी ही राय है. खुद भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने भी सेमीफाइनल से पहले यही कहा है कि इस मैदान पर टॉस फैक्टर कुछ है ही नहीं. दरअसल, पिच का मिजाज किसके लिए कब फायदेमंद होगा इसका कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता.
Also Read: वर्ल्ड कप सेमीफाइनल: रोहित शर्मा ने बताया वानखेड़े में टॉस का क्या होगा रोल, जानिए न्यूजीलैंड के खिलाफ तैयारी
वानखेड़े स्टेडियम मुंबई के मरीन ड्राइव के पास है. यहां की पिच लाल मिट्टी से बनी है जो गेंदबाजों को अतिरिक्त उछाल देती है. यह बल्लेबाजों के लिए भी फायदेमंद है. बल्लेबाजी करना थोड़ा आसान हो जाता है. वानखेड़े की बाउंड्री भी अन्य स्टेडियम से छोटी रहती है जिससे यहां चौके-छक्के भी अधिक लगते रहे हैं. गेंदबाजों के लिए यह थोड़ा चुनौती भरा होता है. वहीं पिछले कुछ सालों में हुए मैचों पर नजर डालें तो यहां की पिच गेंदबाजों की तुलना में बल्लेबाजों को अधिक पसंद आयी है. वानखेड़े में ड्यू फैक्टर भी सामने आता है. बाद में गेंदबाजी करने वाली टीम को इसकी वजह से कई बार मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है.बात गेंदबाजों की करें तो स्टेडियम में समुद्री हवा जब बहती है तो तेज गेंदबाजों को इससे मदद मिलती है. नयी गेंद के साथ उन्हें इसका अधिक लाभ मिलता है.
वानखेड़े स्टेडियम में कभी तेज गेंदबाज तो कभी स्पीन गेंदबाजों का जलवा देखने को मिलता है. छोटी बाउंड्री होने और अतिरिक्त उछाल मिलने की वजह से बल्लेबाज अगर एकबार यहां खुद को सेट कर लेते हैं तो आक्रमण करना उनके लिए आसान होता है. ऐसे में गेंदबाजी अगर सटीक रणनीति के साथ की जाए तो बल्लेबाजी करने वाली टीम मुश्किल में भी घिरती दिखी है. अगर तेज गेंदबाज नयी गेंद से विकेट लेने के लिए ही लगातार अटैक करे तो दबाव बल्लेबाजी करने वाली टीम पर बनता दिखता है. क्रिकेट के विशेषज्ञों की मानें तो तेज गेंदबाजों को शुरुआत के स्पेल में ही दो-तीन विकेट झटकने का प्रयास करना चाहिए. अगर टीम बाद में गेंदबाजी कर रही है तो ड्यू फैक्टर होने की वजह से गेंदबाजों को बाद में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर विकेट नियमित अंतराल पर झटका जाए तो कम स्कोर पर ही बल्लेबाजी करने वाली टीम को पैक किया जा सकता है.
वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में भारत जब श्रीलंका के दिए स्कोर का पीछा करने उतरी थी तो शुरुआत में ही कई विकेट गिर चुके थे. लेकिन मिडिल ऑर्डर ने धैर्य का परिचय देते हुए पारी को आगे बढ़ाया और जीत भारत की झोली में आयी थी. वहीं वर्ल्ड कप 2023 के जितने लीग मैच वानखेड़े मैदान में हुए हैं उसमें भी टीम को मैदान व पिच ने चकमा ही दिया है. वानखेड़े स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया की टीम जब 2004 में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए मैच खेलने उतरी थी तो पिच की गंभीर आलोचना हुई थी. टेस्ट मैच लगभग ढाई दिन में समाप्त हो गया था. भारत की जीत के बाद तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने इसे “माइनफ़ील्ड” बता दिया था.
-
दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच हुए लीग के मैच में वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया. अफ्रीका की टीम 399 के विशाल स्कोर तक पहुंच गयी. जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लिश टीम केवल 170 रन पर ऑल आउट हो गयी थी.
-
दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश के बीच हुए लीग मैच के मुकाबले में टॉस अफ्रीका ने जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 382 रन का टारगेट खड़ा किया. बांग्लादेश की टीम बाद में बल्लेबाजी करते हुए महज 233 पर सिमट गयी.
-
भारत ने भी इस मैदान पर एक लीग मैच खेला है. श्रीलंका से हुए मुकाबले में टॉस भारत हारा और पहले बल्लेबाजी करने टीम उतरी. भारत ने 357 का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया. जवाब में श्रीलंका की टीम केवल 55 रनों पर ऑल आउट हो गयी थी.
-
ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच हुए लीग मैच में टॉस अफगानिस्तान ने जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 293 का टारगेट कंगारुओं को दिया. ऑस्ट्रेलिया की टीम अफगानी गेंदबाजों के आगे नतमस्तक हो चुकी थी. एकसमय ऐसा लगने लगा था कि अब आस्ट्रेलिया की हार तय है. लेकिन क्रैंप की पीड़ा से जूझते हुए भी मैक्सवेल ने दोहरा शतक ठोक दिया और इस विस्फोटक पारी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने अफगानिस्तान के दिए टारगेट को पा लिया और जीत दर्ज की थी.