विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल से ड्रॉप किये जाने के कुछ दिनों बाद रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि उन्हें बल्लेबाज के बजाय गेंदबाज बनने पर पछतावा हो रहा है. द इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने आधुनिक समय के क्रिकेटर के अकेलेपन के बारे में भी बात की. उनका मानना है कि टीम के साथी अब दोस्त नहीं बल्कि केवल सहकर्मी होते जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनपर ‘ओवरथिंकर’ का लेबल लगाकर नेतृत्व से भी वंचित किया गया.
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि एक दिन, मैं भारत और श्रीलंका का मैच देख रहा था और भारत की गेंदबाजी चरमरा गयी थी. मेरे पसंदीदा सचिन तेंदुलकर थे, उन्होंने बल्ले से जो भी रन बनाये थे गेंदबाजी में उस रन को लुटा रहे थे. तब मैंने सोचा कि मुझे गेंदबाज होना चाहिए. क्या मैं मौजूदा गेंदबाजों से बेहतर नहीं हो सकता? यह सोचने का बहुत ही बचकाना तरीका है, लेकिन मैंने ऐसा ही सोचा और इसलिए मैंने ऑफ स्पिन गेंदबाजी शुरू की. यहीं से मेरी गेंदबाजी की शुरुआत हुई.
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अश्विन ने स्पष्ट तौर पर कहा, ‘कल जब मैं संन्यास लूंगा, तो सबसे पहले मुझे इस बात का पछतावा होगा कि मैं इतना अच्छा बल्लेबाज था. मुझे कभी गेंदबाज नहीं बनना चाहिए था. डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर किया जाना सिर्फ एक बाधा है, मैं आगे बढ़ूंगा क्योंकि मैं इससे गुजर चुका हूं. जब कोई आपको पहली बार नीचे गिराता है, तो आपके पास घुटने के बल चलने वाली प्रतिक्रिया होती है.
अश्विन ने कहा कि उनकी ईमानदारी का ‘ओवरथिंकिंग’ के रूप में मजाक उड़ाया गया और उन्हें नेतृत्व के अवसरों से वंचित किया गया. उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोगों ने मेरी मार्केटिंग की और मुझे एक ओवरथिंकर के रूप में परिभाषित किया गया. यह (ओवरथिंकर लेबल) मेरे खिलाफ काम करने के लिए बनाया गया था. उन्होंने स्वीकार किया कि बार-बार गिराये जाने और उनके बारे में नकारात्मक धारणाओं ने उन्हें काफी दर्द दिया. लेकिन मुझे बहुत खुशी है कि मैंने एक नये खुद की खोज की. उन्होंने कहा कि लेकिन मैं पहले की तुलना में बहुत अधिक कूल हो गया हूं. मैं पहले से कहीं ज्यादा आराम से रह रहा हूं.