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समय से पहले पूरा हुआ कमला बलान के तटबंधों का पक्कीकरण, सीएम नीतीश कुमार अब इसी साल करेंगे लोकार्पण

इस योजना का काम अगले वर्ष जून तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा की इच्छाशक्ति और विभाग के लोगों की मेहनत से यह काम लक्ष्य से छह माह पहले ही पूरा कर लिया गया है.

पटना. बिहार के कमला बलान परियोजना के पहले चरण का निर्माण लगभग पूरा हो गया है. बहुत जल्द इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा होने की संभावना है. इसके पूरा होने से कमला बलान के बायें तटबंध के किमी 27.10 से किमी 66.30 यानी मधुबनी जिले के पीपराघाट से दरभंगा जिले के ठेंगहा पुल तक और कमला बलान के दायें तटबंध के किमी 23.20 से किमी 64.00 तक कुल मिलाकर करीब 80 किमी लंबाई में बांध का पक्कीकरण किया गया है. इससे मधुबनी और दरभंगा जिले की बड़ी आबादी को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी. साथ ही आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा. इस परियोजना के पहले चरण का निर्माण पूरा होने की जानकारी जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा को विभागीय समीक्षा बैठक में दी गयी.

कमला बलान परियोजना फेज-1

  • – इससे मधुबनी और दरभंगा जिला की बड़ी आबादी को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी

  • – साथ ही आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा

शेष परियोजना को भी समय पर पूरा करने का निर्देश

पिछले दिनों मंत्री संजय कुमार झा ने विभाग की महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की. साथ ही गुणवत्ता पूर्ण तरीके से समय पर निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया. इनमें पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली अंतर्गत सारण मुख्य नहर और इसकी वितरण प्रणाली की मरम्मत और पूर्वी गंडक नहर प्रणाली (गंडक फेज-2) शामिल हैं. साथ ही बागमती बाढ़ प्रबंधन परियोजना, बेलवाधार परियोजना, टाल विकास परियोजना, कमला बलान बायां एवं दायां तटबंध पक्कीकरण परियोजना फेज-1 व फेज -2 और जयनगर में कमला बराज के निर्माण सहित अन्य परियोजनाएं शामिल हैं. बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद सहित वरीय अधिकारी मौजूद थे. साथ ही संबंधित अभियंता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे.

पहले चरण में पिपराघाट से शुरू हुआ था काम

योजना के पहले चरण में मधुबनी जिले के पिपराघाट से दरभंगा जिले के ठेंगहा पुल तक यह काम किया जा गया है. सूत्रों के अनुसार, पहले चरण की इस योजना की प्राक्कलित राशि 325.10 करोड़ है. जानकारी के अनुसार बाएं तटबंध के 27.10 किमी से 66.30 किमी व दाएं तटबंध के 32.20 किमी से 64 किमी तक कुल 80 किमी बांध का ऊंचीकरण, सुदृढ़ीकरण व इसके शीर्षपर आवागमन की सुविधा के लिए पक्कीकरण का काम किया जा चुका है.

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दो जिलों के आठ प्रखंडों की 12 लाख से अधिक आबादी को लाभ

बिहार में कमला बलान के दोनों तटबंधों की सुरक्षा के लिए 80 किमी की दूरी में तटबंधों के सुदृढ़ीकरण, ऊंचीकरण और पक्कीकरण का काम पूरा होने के बाद अब दोनों तटबंधों पर सड़क निर्माण काम भी पूरा हो चुका है. इससे दरभंगा और मधुबनी जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों के बीच की दूरी आठ से 15 किमी तक कम हो चुकी है. सड़क बनने से दोनों जिलों के आठ प्रखंडों की 12 लाख से अधिक आबादी को सुविधा मिल रही है. वहीं, तटबंधों के मजबूत होने से इन प्रखंडों के 33 गांवों की 48 लाख हेक्टेयर भूमि को बाढ़ से सुरक्षित हो गयी है. तटबंधों पर सड़क बन जाने के बाद मधुबनी जिले के बेनीपट्टी, मधुबनी, लौकहा, झंझारपुर, सतघरा, मधेपुर सहित अन्य बाजार आपस में जुड़ गये हैं. लोगों को लौकहा के रास्ते नेपाल जाने-आने में भी काफी सुविधा हो रही है.

इन गांवों को होगा फायदा

इस योजना से मधुबनी जिले के राजनगर, झंझारपुर, लखनौर, बाबूबरही, अंधराठाढ़ी व मधेपुर प्रखंड के सुगौना, गंगद्वार, रजनपुरा, तिलाठ, महरैल, हरना, परतापुर, ओलीपुर, इमादपट्टी, ननौर, रामखेतारी, मेहथ, महिनाथपुर, गरहा टोल, नरुआर, अवाम, खैरी, तथा दरभंगा जिलेके तारडीह प्रखंड के राजा खड़बार, रही टोल, मदनपुर, पोखरभिंडा, गौरीचक, कैथवार, विष्णुपुर, ककोढ़ा, सुथरिया, देवना, कुम्हरौल और घनश्यामपुर प्रखंड के रसियारी व गौड़ाबौराम प्रखंड के कोठराम आदि गांवों को लाभ मिलेगा.

सफर हुआ आसान, आधी रह गयी दूरी

बांध पर सड़क बन जाने के बाद दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड से मधुबनी जिले के बिदेश्वरस्थान एनएच-27 की दूरी 12 किमी से घटकर चार किमी हो गयी है. वहीं, तारडीह के ठेंगहा से मधुबनी जिले के झंझारपुर की दूरी 15 किमी से घटकर आठ किमी रह गयी है. इसी प्रकार मधुबनी के पिपराघाट से ठेंगहा की दूरी अभी 30 किमी है, जो तटबंध पर सड़क बनने के बाद घटकर केवल 15 किलोमीटर रह गयी है. यातायात की यह सुविधा मिलने से एक ओर जहां समय की बचत हो रही है, वहीं व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी लाभदायक साबित हो रहा है.

लक्ष्य से पहले पूरा हुआ काम

प्रतिवर्ष आनेवाली बाढ़ की विभीषिका को रोकने के लिए बनाए गए इस बांध की ऊंचाई कम रहने और अपेक्षाकृत कम मजबूत होने से यह बांध वरदान की जगह अभिशाप बन गया था. लोगों को उम्मीद है कि जल संसाधन विभाग द्वारा कराए जा रहे इस काम से लोगों को इन समस्याओं से निजात मिल सकेगी. इस योजना का काम अगले वर्ष जून तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा की इच्छाशक्ति और विभाग के लोगों की मेहनत से यह काम लक्ष्य से छह माह पहले ही पूरा कर लिया गया है.

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