दिल्ली मे जारी अध्यादेश विवाद के बीच कांग्रेस नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री को ‘चाय-पकौड़े’ वाली सलाह दी है. दरअसल माकन ने एक ट्वीट में लिखा, “अधिकारियों के साथ सम्मानपूर्वक जुड़ें, उनसे बात करें और उन्हें दिल्ली की उन्नति के लिए राजी करें. वे ईमानदार होंगे तो निश्चित रूप से आपकी दृष्टि के अनुरूप काम करेंगे. अजय माकन ने कहा कि इसके विपरीत अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को बुलाया और उनके साथ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया. माकन ने कहा, “यह देखना महत्वपूर्ण है कि इस तरह का व्यवहार सिर्फ शहर में संकट को बढ़ाएगा.”
अजय माकन ने दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को याद करते हुए कहा कि, जब वह दिल्ली के परिवहन मंत्री थे तो उन्हें और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जानकारी दिए बिना परिवहन आयुक्त को बदल दिया गया था. उस समय के उपराज्यपाल ने परिवहन आयुक्त का ट्रांसफर किया गया था और उन्होंने फैसले को नहीं पलटा. माकन ने कहा कि वह इसे लेकर चिंता में थे क्योंकि सीएनजी पहल के बीच यह ट्रांसफर किया गया था.
माकन ने कहा कि जब वह इस बात को सबके सामने लाने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करना चाहते थे तो, शीला दीक्षित ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया और कहा, “हमारे असफल प्रयास के बारे में किसी को मत बताना. अधिकारियों को यह नहीं जानना चाहिए कि हमने कोशिश की और सफल नहीं हो सके. … अगर उन्हें पता चल गया, तो वे हमें गंभीरता से लेना बंद कर सकते हैं.”
अजय माकन ने आगे बताया, “नए अधिकारी को बुलाओ. उन्हें बताएं कि सीएम उनकी नियुक्ति से खुश हैं. सीएनजी रूपांतरण के महत्व को समझाएं और उन्हें चाय और पकौड़े के लिए आमंत्रित करें. ये अधिकारी किसी के साथ नहीं हैं. कुशलता से उनसे निपटें.” अजय माकन ने कहा, “नए अधिकारी ने स्थिति की गंभीरता को समझा. हम कई लॉबियों के खिलाफ एकजुट हुए और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट, यहां तक कि अमेरिकी सरकार से भी प्रशंसा मिली, मैं गर्व के साथ कहता हूं. हम अपनी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सीएनजी में परिवर्तित कर विश्व स्तर पर पहले शहर बन गए.”
माकन ने आगे कहा कि, नेतृत्व और कूटनीति का उनका (शीला दीक्षित) का पाठ मेरा मार्गदर्शन करता रहता है, “उन्होंने मुझे बाधाओं से कुशलता से निपटना, शहर के कल्याण पर स्पष्ट ध्यान देने के साथ सेवा करना सिखाया. जरूरत पड़ने पर चाय और पकौड़े देना और आवश्यकता पड़ने पर डटे रहना सिखाया. यह शीला जी की विरासत है.” , सर्वोपरि जनहित की सेवा करने के लिए एक मार्गदर्शक.” मुझे आशा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री इस यात्रा पर ध्यान देंगे और इससे सीख लेंगे. अधिकारियों से सम्मान पूर्वक बातचीत करें, संवाद करें और उन्हें दिल्ली की उन्नति के लिए राजी करें. यदि यह ईमानदार है तो वे निश्चित रूप से आपकी दृष्टि के अनुरूप होंगे
आपको बताएं कि, दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर अपने नियंत्रण को कायम रखने के लिए केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश के बाद एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार आमने सामने हैं.
Also Read: केंद्र के अध्यादेश पर संग्राम! बोले अरविंद केजरीवाल- दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीतेगी भाजपा