Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर, चौथे दिन मां संध्या मंदिर, पांचवे दिन चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, छठे दिन महाकाल भैरव मंदिर और सातवें दिन भगवान हनुमान के मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको मां मनसा मंदिर के बारे में बताएंगे.
बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण में मां मनसा मंदिर में भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं. विष की देवी के मंदिर में भक्त पूजा करने के लिए घंटों कतार में लग कर मां की पूजा करते हैं. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री शैलजानंद ओझा ने कराया था. यह मुख्य मंदिर के पश्चिम व दक्षिण ओर मां सरस्वती व हनुमान मंदिर के बीच में है. मां मनसा मंदिर की लंबाई लगभग 20 फीट व चौड़ाई लगभग 10 फीट है. मां मनसा के शिखर पर तांबे का कलश नहीं है. इसके ऊपर पंचशूल भी नहीं लगा है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से बहुत छोटी है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं. जहां मां मनसा के दर्शन होते हैं.
जहरीले जीवों से दूर रखती हैं माता
यहां मां मनसा की दो फीट की मूर्ति स्थापित है. मां मनसा एक हाथ में चक्र, एक हाथ पाश, एक हाथ में त्रिशूल व एक हाथ में जहरीला सर्प धारण किये हैं. ऐसी मान्यता है कि मां मनसा नागराज वासुकि की बहन है और विष की देवी भी कहा जाता है. इस कारण मां मनसा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मां मनसा की पूजा करने से भक्तों को कभी जहरीले सर्प, बिच्छू, जहरीला कीड़ा मकोड़ा का डर नहीं रहता है. यहां पर भक्त व पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर मां की पूजा की जाती है. साल में एक बार मां मनसा की विशेष पूजा श्रावण संक्रांति तिथि को की जाती है. यहां पर मां मनसा की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है भक्त सालों भर मां मनसा की पूजा कर सकते हैं.
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