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देवघर के आश्रय गृह में 50 फीसदी बेड रहता है खाली, ठंड में फुटपाथ पर रात बीतने को विवश

देवघर के आश्रय गृह में रात 10 बजे के बाद प्रवेश नहीं दिया जाता है, इस कारण भी लोग आश्रय गृह में नहीं जा पाते हैं. वर्तमान में ठंड के बावजूद होटलों, दुकानों में काम करने वालों के साथ दिहाड़ी पर काम करने के लिए देवघर आने वाले मजूदर रेलवे स्टेशन के पास या फिर फुटपाथ पर जहां-तहां रात बीतने को विवश हैं.

Deoghar News: नगर निगम की ओर से देवघर में महिला तथा जसीडीह में पुरुषों के लिए 50 व 45 बेड का आश्रय गृह बनाया गया है. यहां गद्देदार बेड, कंबल सहित मच्छरदानी, पानी, बिजली, शौचालय, बाथरूम, अलाव आदि की व्यवस्था की गयी है. आश्रय गृह में रात्रि विश्राम की व्यवस्था नि:शुल्क है. बावजूद आश्रय गृह में लोगों का आवासन नहीं हो रहा है. दरअसल, देवघर व जसीडीह के आश्रय गृह में रात 10 बजे के बाद प्रवेश नहीं दिया जाता है, इस कारण भी लोग आश्रय गृह में नहीं जा पाते हैं. वर्तमान में ठंड के बावजूद होटलों, दुकानों में काम करने वालों के साथ दिहाड़ी पर काम करने के लिए देवघर आने वाले मजूदर सहित रिक्शा चालक, टोटो चालक बस स्टैंड के समीप, रेलवे स्टेशन के पास या फिर फुटपाथ पर जहां-तहां रात बीतने को विवश हैं.

आंकड़ों पर गौर करें तो देवघर आश्रय गृह में हर रोज औसतन 20 से 25 महिलाएं व लड़कियां तथा जसीडीह आश्रय गृह में हर रोज औसतन 30 से 35 लोग रात में ठहरते हैं. हालांकि नगर निगम प्रशासन द्वारा अपील भी की जा रही है कि ठंड के मौसम में आश्रय गृह में रात गुजारें, लेकिन समय की प्रतिबद्धता के कारण लोगों काे प्रवेश नहीं मिल पाता है. इससे आश्रय गृह के करीब 50 फीसदी बेड खाली रह जा रहे हैं. आश्रय गृह के संचालन का दायित्व दिल्ली की संस्था सद्दीक मसीह मेडिकल सोशल सर्वेंट सोसायटी काे दिया गया है. आश्रय गृह का देखभाल के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है. आश्रय गृह का संचालन देवघर में वर्ष 2016 से संचालित हो रहा है.

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महिला आश्रय गृह में स्थायी तौर पर रहती हैं महिलाएं

देवघर में प्राइवेट बस स्टैंड के पीछे संचालित महिला आश्रय गृह में आवासन के लिए 50 बेड का इंतजाम है. होटलों व प्राइवेट संस्थान में काम करने वाली आठ से 10 महिलाएं व लड़कियां नियमित रूप से आश्रय गृह में रहती हैं. यहां भी महिलाओं को रात 10 बजे तक ही प्रवेश दिया जाता है. रात 10 बजे के बाद महिलाओं के आवासन के लिए वरीय पदाधिकारी से अनुमति लेनी पड़ती है. इसके बाद ही आश्रय गृह में प्रवेश कराया जाता है.

डे-एनयूएलएम के तहत होता है संचालन

आश्रय गृह का संचालन दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय आजीविका मिशन (डे-एनयूएलएम) के तहत भारत सरकार एवं नगर विकास एवं आवास विभाग झारखंड के संयुक्त प्रयास से संचालित हो रहा है. सरकार एवं विभाग का यह प्रयास आश्रय विहीन लोगों को रात्रि में आवासन व ठहराव का इंतजाम सुनिश्चित करना है.

कहतीं हैं महिला आश्रय गृह की केयरटेकर

महिलाओं के आवासन के लिए 50 बेड का इंतजाम है. रोज 20 से 25 महिलाएं व लड़कियां आश्रय गृह में ठहरती हैं. ये सभी होटलों व विभिन्न संस्थाओं में काम करती हैं. यहां बेड, गद्दा, कंबल, चादर, पानी, बिजली आदि की सुविधा उपलब्ध है. यह पूरी तरह से नि:शुल्क है

– दीपा कुमारी, केयरटेकर

कहते हैं पुरुष आश्रय गृह के केयरटेकर

आश्रय गृह में औसतन हर रोज 30 से 35 लोग ठहरते हैं. आवासन के लिए लोगों को आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश देते हैं. रात 10-11 बजे तक लोगों को प्रवेश दिया जाता है. यहां अधिकतर मजदूर व दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग आते हैं.

– कुंदन राणा, केयरटेकर

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