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देवघर में 20 साल पुराने मामलों का स्पीडी ट्रायल, 30 दिनों में ही निबट गये 24 मामले

देवघर में 20 साल पुराने मामलों का स्पीडी ट्रायल हुआ, जहां 30 दिनों में 24 मामले निबट गए. सेशन कोर्ट एवं मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला आया, जहां कई आरोपियों को सजा मिली, वहीं अधिकतर को राहत मिली.

देवघर, फाल्गुनी मरीक कुशवाहा. देवघर सिविल कोर्ट और अनुमंडल व्यवहार न्यायालय मधुपुर में 20 से लेकर 30 साल तक के पुराने मामलों का स्पीडी ट्रायल चल रहा है. पिछले एक माह में दो दर्जन मामलों में त्वरित फैसले सुनाये गये हैं, जिसमें से कुछ ही मामलों में आरोपियों को सजा मिली है. ज्यादातर मामलों में आरोपियों के विरुद्ध अभियोजन पक्ष सबूत पेश नहीं कर पाया, जिसके चलते आरोपियों को बरी कर दिया गया.

निष्पादित मामलों में सेशन केस एवं मजिस्ट्रेट कोर्ट के केस शामिल हैं. मामलों की त्वरित सुनवाई एवं पुराने लंबित मामलों को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिवाकर पांडेय के निर्देश पर चिह्नित किया गया. इसके पश्चात मधुपुर में पीडीजे और पुलिस अधीक्षक सुभाष कुमार जाट की संयुक्त बैठक में सभी पुलिस पदाधिकारियों काे अधिक से अधिक मामलों में नामित गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत करें, ताकि लंबित मुकदमों का निष्पादन हो सके. बैठक के बाद मामलों की सुनवाई में तेजी आयी.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक माह में सेशन कोर्ट से 96 मामलों में जजमेंट आये, जिसमें से एक दर्जन पुराने केस शामिल हैं. इधर, न्यायिक दंडाधिकारी की अदालतों से 295 मामलों में फैसले सुनाये गये. 20 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक के पुराने मामलों का निष्पादन ज्यादातर मजिस्ट्रेट कोर्ट में हुआ और आरोपियों को लंबे समय संघर्ष के बाद राहत मिली.

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सेशन एवं मजिस्ट्रेट कोर्ट में कोविड के बाद मामलों की सुनवाई में आयी तेजी

न्याय मंडल देवघर में सिविल कोर्ट देवघर एवं अनुमंडल सिविल कोर्ट मधुपुर हैं. देवघर में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिवाकर पांडेय, एडीजे (प्रथम) संजय कुमार चौधरी, एडीजे (दो) संजीव भाटिया, एडीजे (तीन) गरिमा मिश्रा, एडीजे (नवम) विजय कुमार श्रीवास्तव और एडीजे (प्रथम) मधुपुर श्यामनंद तिवारी की अदालतों में सेशन केस की केस के लिए हैं, जबकि सीजेएम संजीव कुमार वर्मा, एसीजेएम देवघर मनोज कुमार प्रजापति, एसडीजेएम देवघर रश्मि अग्रवाल, न्यायिक दंडाधिकारी एमएम प्रधान, आलोक मरांडी, दीपक कुमार, मौमिता गुंइन, बबीता मित्तल, संध्या प्रसाद, मान्या टंडन, एसआर कुल्लू के अलावा एसीजेएम मधुपुर अमित कुमार वैश्य, एसडीजेएम मधुपुर सुशीला हांसदा, रेलवे मजिस्ट्रेट जूलियन आनंद टोप्पो, न्यायिक दंडाधिकारी अरुण कुमार दुबे, मोनिका प्रसाद की अदालत क्रिमिनल केस की सुनवाई के लिए गठित हैं. सेशन कोर्ट एवं मजिस्ट्रेट कोर्ट में पुराने मामलों की सुनवाई हुई, जिसमें पुराने मामलों का पटाक्षेप हुआ.

केस- एक

वन विभाग द्वारा दर्ज कराये गये जीओसीआर केस नंबर (108/2004) सरकार बनाम अरुण महतो के केस में 18 अप्रैल 2023 को न्यायिक दंडाधिकारी मनीष मणिकांत प्रधान की अदालत से फैसला सुनाया गया. इस मामले के आरोपी अरुण महतो को पर्याप्त सबूत के अभाव में रिहा कर दिया गया. वह मोहनपुर थाना के पिपरा गांव का रहने वाला है. यह मुकदमा वनरक्षी कृष्ण चंद्र प्रसाद के बयान पर मोहनपुर थाना में दर्ज हुआ था, जिसमें सुरक्षित वन क्षेत्र से पेड़ काट कर ले जाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में 20 साल के बाद फैसला आया.

केस- दो

न्यायिक दंडाधिकारी एमएम प्रधान की अदालत से 21 साल पुराने मामले में 11 अप्रैल 2023 को फैसला सुनाया गया. इस मामले के आरोपी मंजु राउत को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया. इसके विरुद्ध जसीडीह थाने में पदस्थापित अवर निरीक्षक लाल किशुन राम ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 182 व 211 के तहत मुकदमा किया था. इनके विरुद्ध आग लगाने का झूठा केस करने के चलते थाना के एसआइ ने मुकदमा किया था. ट्रायल के दौरान एक भी गवाह कोर्ट में नहीं आया, जिसके चलते आरोपी को बरी कर दिया गया.

केस- तीन

एसडीजेएम देवघर रश्मि अग्रवाल की अदालत से 20 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया गया. इस मामले के आरोपी कमल किशोर तिवारी को गबन का दोषी करार दिया गया. आरोपी मोहनपुर ब्लॉक में घटना के समय नाजिर पद पर कार्यरत थे. मोहनपुर प्रखंड के बीडीओ के बयान पर मोहनपुर थाना में केस 198 जनवरी 2003 को दर्ज हुआ था. इसमें पांच लाख 19 हजार रुपये गबन का आरोप था. अदालत में अभियोजन पक्ष से नौ लोगों की गवाही हुई एवं इसे तीन साल की सश्रम कैद की सजा सुनायी गयी. साथ ही सात हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. यह राशि अदा नहीं करने पर अलग से दो माह की कैद की सजा काटने का निर्देश दिया गया था.

केस- चार

न्यायिक दंडाधिकारी एमएम प्रधान की अदालत से 22 साल पुराने मामले में फैसला आया. इस मामले के आरोपी संतोष कुमार सिंह को सबूत के आभाव में बरी कर दिया गया. इसके विरुद्ध कैनरा बैंक देवघर शाखा में 8.50 लाख रुपये लूट का आरोप लगाया गया था. बैंक अधिकारी शुकदेव प्रसाद के बयान पर नगर थाना में केस दर्ज हुआ था. घटना 10 मई 2002 को घटी थी.

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