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धनबाद के इमरजेंसी विभाग में रात 10 बजे के बाद फैला चीत्कार, हर मिनट पहुंच रहे थे मरीज, जानें पूरा मामला

धनबाद में फुड प्वाइजनिंग का मामला सामने आया है. दरअसल, मेले में चाट, गुपचुप और छोला-भटूरा खाने से 200 से अधिक लोग बीमार पड़ गये हैं. जिसके बाद रात 10 बजे के बाद इमरजेंसी विभाग का नजारा बदल गया. एक के बाद एक मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हुआ.

Dhanbad News: रात 10 बजे के बाद एसएनएमएमसीएच की इमरजेंसी का नजारा उस वक्त बदल गया, जब करमाटांड़ के हुचूकटांड़ में फुड प्वाइजनिंग के बाद मरीजों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. आधा घंटे में इमरजेंसी के सभी बेड मरीजों से फुल हो गये. अत्यधिक मरीजों के पहुंचने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों के होश हवा हो गये. हर एक मिनट पर मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही थी.

उल्टी करते हुए मरीज एसएनएमएमसीएच पहुंच रहे थे. पूरा इमरजेंसी परिसर बच्चों, महिलाओं व युवाओं के चीख-पुकार से दहल उठा. इमरजेंसी में बेड फुल होने के कारण जिसे जहां जगह मिली, वहीं बैठ गया. डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों ने जमीन पर ही मरीजों का इलाज शुरू किया. इमरजेंसी के अंदर पैर रखने की जगह नहीं मिली तो मरीज बाहर बैठ गये. कई मरीजों का बाहर ही इलाज शुरू किया गया.

मरीजों की संख्या को देखते हुए हॉस्टल से जेआर व एसआर डॉक्टरों को बुलाया गया

इमरजेंसी में अत्यधिक मरीजों की संख्या को देखते हुए एसएनएमएमसीएच के हॉस्टल में रह रहे सीनियर रेजिडेंट व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को बुलाया गया. रात करीब 11.30 बजे 10 से ज्यादा एसआर व जेआर डॉक्टर इमरजेंसी पहुंच गये और मरीजों का इलाज शुरू किया. मरीज जहां पड़े हुए थे. डॉक्टर उन्हें स्लाइन समेत अन्य दवा देने में जुट गये.

मेला कमेटी के सदस्यों ने मरीजों को पहुंचाया अस्पताल

घटना के बाद हुचुकटांड़ चड़क पूजा मेला कमेटी के सदस्यों ने वाहनों की व्यवस्था कर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया. जगदीश रवानी, बादल रवानी, मालाधारी रवानी, राजू रजवार, तारापद रवानी, बबलू रवानी, सूरज रवानी, ओम प्रकाश रवानी, किशोर रवानी सहित अन्य शामिल थे. मेला कमेटी के सदस्य व ग्रामीण एसएनएमएमसीएच में डटे हुए हैं.

ढांगी मोड़ के समीप के अस्पताल में पहुंचे मरीज

फूड प्वायजनिंग के शिकार कई मरीज ढांगी मोड़ के समीप के एक निजी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे. इनमें से अधिकतर ढांगी बस्ती के मरीज थे. उधर, धनबाद विधायक राज सिन्हा देर रात एसएनएमएमसीएच पहुंचे और इमरजेंसी समेत अन्य विभागों में घूम-घूम कर मरीजों का हालचाल जाना. उन्होंने चिकित्सकों से मरीजों की स्थिति की जानकारी लेकर बेहतर इलाज का निर्देश दिया.

रात 12.30 बजे मरीजों के लिए वार्ड कराया गया खाली

मरीजों की संख्या को देखते हुए मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ यूके ओझा के निर्देश पर एसएनएमएमसीएच के कई विभाग को खाली कराया गया. जिन वार्ड में एक-दो मरीज थे. उनको दूसरी जगह पर शिफ्ट कर मरीजाें को बेड उपलब्ध कराया गया. अस्पताल के सर्जरी, ईएनटी, पेडियाट्रिक, मेडिसीन यहां तक की कुछ मरीला मरीजों को गायनी में बेड उपलब्ध करा इलाज शुरू किया गया.

108 एंबुलेंस से गांव से मरीजों को लाया गया अस्पताल

गांव में मरीजों की संख्या बढ़ने की सूचना पर रात 12 बजे 108 एंबुलेस को मरीजों को अस्पताल लाने के कार्य में लगाया गया. 108 एंबुलेंस के जरिए रात एक बजे तक 40 से ज्यादा मरीजों को अस्पताल लाया गया. यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा.

ये हैं एसएनएमएमसीएच में भर्ती

शंकर कुमार, पलक देवी, आशा कुमारी, लखी कुमारी, नेहा कुमारी, सविता देवी, महेश प्रसाद, सजनी देवी, अंजली, अनुभव देवी, रजनी देवी, अंजली, भानु देवी, श्रवण प्रसाद, शकुंतला देवी, पायल, नीतू कुमारी, राधा देवी, धन्वंतरी देवी, निशा कुमारी, रेखा देवी, शीतल कुमारी, सूरज रवानी, तुलसी कुमारी, शांति देवी, करण कुमार, धर्मेंद्र चौहान, अंजली प्रमाणिक, आकाश, अरुण रवानी, अविनाश रवानी, सुजल रवानी, सूरज रवानी, शीतल कुमारी, हाकिम रवानी, अंजली देवी, महेंश्वर रवानी, शांति कुमारी, पायल कुमारी, पिंकी कुमारी, शिवानी कुमारी, पूजा कुमारी, मनीषा कुमारी, बुधन रवानी, संजना देवी, किरन कुमारी, संध्या कुमारी, तुलसी रवानी, नीलम कुमारी, सानु देवी, सुमित रवानी, महेश प्रसाद,रेनु कुमारी, खुशी कुमारी, पलक कुमारी, आशीष कुमार, आकाश कुमार, पिहू कुमारी, रिता कुमारी, हेमा कुमारी, प्रीति कुमारी, पूर्णिमा देवी, कविता देवी, पूजा, सविता, मनीषा, ज्योति देवी, रेखा देवी, रिना देवा, पुष्पा कुमार, रामरती देवी, गीता देवी, अंजना देवी, हेमलाल रवानी, नुनूलाल.

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सभी मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया : सीओ

बलियापुर सीओ रामप्रवेश कुमार ने बताया कि गांवों से सभी मरीजों को एसएनएमएमसीएच सहित अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. सभी का इलाज चल रहा है. गांव में फिलहाल स्थिति सामान्य है.

अस्पताल आनेवाले मरीजों में एक ही लक्षण हैं. सभी को उल्टी हो रही है. मिली जानकारी के अनुसार सभी ने मेले में चाट, गुपचुप खाया था. फूड प्वायजनिंग होने के कारण सभी की तबीयत बिगड़ी है. सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है. स्थिति नियंत्रण में है.

-डॉ यूके ओझा, एचओडी, मेडिसिन

कब क्या हुआ

  • दोपहर चार से शाम छह के बीच : लोगों ने मेला में ठेले पर गुपचुप-चाट, छोला-भटूरा आदि खाया

  • रात 7.00 बजे : लोगों के पेट दर्द की शिकायत के थोड़ी ही देर बाद कै-दस्त शुरू हो गये

  • रात 9.00 बजे : पहला मरीज मेडिकल कॉलेज पहुंचा

  • रात 9.45 बजे : 10 बच्चे एक साथ पहुंचे मेडिकल कॉलेज, मची अफरा-तफरी

  • रात 9.45 के बाद हर पांच मिनट पर पांच-पांच मरीज एक साथ पहुंचने का सिलसिला शुरू

  • रात 9.50 बजे : मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ यूके ओझा पहुंचे

  • रात 10.00 बजे : डॉ ओझा ने सभी रेसिडेंट चिकित्सकों को छात्रावास से इमर्जेंसी वार्ड बुला लिया

  • रात 10.15 बजे : मेडिकल कॉलेज के इमर्जेंसी के सभी बेड हो गये फुल

  • रात 10.20 बजे : मेडिकल कॉलेज के इमर्जेंसी में जमीन पर जिसे जहां जगह मिली, वहीं इलाज हो गया शुरू

  • रात 11.00 के आसपास : जमीन पर पैर रखने की जगह नहीं बची थी

  • रात 11.15 बजे : मरीजों की वार्ड में शिफ्टिंग होने लगी

  • रात 12.00 बजे : धनबाद विधायक राज सिन्हा मेडिकल कॉलेज पहुंचे

  • रात 12.30 बजे : हुचुकटांड़ में पहुंची जिला प्रशासन के साथ बलियापुर सीएचसी की स्वास्थ्य टीम पहुंची

  • रात 1.00 बजे : इमर्जेंसी को खाली करा दिया गया.

संसाधन को लेकर अब भी नहीं चेते, तो बड़े हादसे में मचेगी तबाही

एसएनएमएमसीएच में बुधवार की रात अचानक फुड प्वाइजनिंग के शिकार मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी. इतने मरीजों के एक साथ आने पर मेडिकल कालेज अस्पताल में सब व्यवस्था फेल हो गयी. हालत यह था कि अधिकांश मरीज खुद अपने हाथ में स्लाइन का बोतल लेकर इधर-से उधर से भटक रहे थे. स्थिति यह थी कि गंदगी में लिटा कर बच्चों व मरीजों को स्लाइन चढ़ाया जा रहा था. बाद में अस्पताल प्रबंधन ने सभी सीनियर व जूनियर रेजिडेंट और अन्य वरीय चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों को बुलाया गया, तो स्थिति कुछ काबू में आयी. खास बात यह थी कि मरीज और उनके परिजन भी संयम बरत रहे थे.

दरअसल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संसाधन का रोना शुरू से ही रहा है. प्रभात खबर में भी इससे संबंधित खबर छपती रही है, पर जवाबदेह कुछ नहीं कर पा रहे. यहां बेड से लेकर कई अन्य जरूरी संसाधन नहीं हैं. बुधवार की इस घटना के बाद भी अगर प्रबंधन व जवाबदेह नहीं चेतते हैं तो कभी कोई बड़ी घटना या आपदा आ जाये तो हालात बद से बदतर होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.

सब कर रह थे प्रार्थना, रात में कोई बड़ी घटना ना हो

बुधवार को घटना के बाद देर रात तक मरीजों का आना जारी था. जो मरीज आ चुके थे उन्हें वार्ड में एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीज कर के रखा गया. इसके अलावा इमरजेंसी से अन्य मरीजों को हटा कर उसे खाली करा दिया गया, ताकि कोई और फुड प्वाइजनिंग का मरीज आ जाये तो उसे रखा जाये. इस व्यवस्था के बाद वहां के लोगों को यह कहते सुना गया कि कहीं रात में कोई बड़ी घटना हो गयी तो मरीज कहां रखे जायेंगे, इसलिए कोई घटना ना हो तो बेहतर.

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