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चार करोड़ में बना था स्पोर्ट्स हॉस्टल, अब न दरवाजा है न खिड़की, बच गया है ढांचा

मैथन डैम के किनारे चार करोड़ की लागत से बने स्पोर्ट्स हॉस्टल की रौनक लुट गयी है. वीरान सा भवन अपनी दुर्दशा पर रो रहा है. भवन में खिड़की और दरवाजे तक चोर ले गये हैं. सरकार की उपेक्षा, चोरों की करतूत से यह भवन खंडहर बन चुका है.

नीरज अंबष्ट, धनबाद : मैथन डैम के किनारे चार करोड़ की लागत से बने स्पोर्ट्स हॉस्टल की रौनक लुट गयी है. वीरान सा भवन अपनी दुर्दशा पर रो रहा है. भवन में खिड़की और दरवाजे तक चोर ले गये हैं. सरकार की उपेक्षा, चोरों की करतूत से यह भवन खंडहर बन चुका है. विशेषज्ञ कहते हैं… यदि अब भी सरकार इस पर ध्यान दे, तो इसे होटल या रिसॉर्ट बनाया जा सकता है, जिससे सैलानियों को काफी राहत होगी.

हॉस्टल में घुसते ही दिखी बर्बादी : मेगा स्पोर्ट्स हॉस्टल में जैसे ही प्रवेश करेंगे, उसकी बर्बादी का नजारा दिखने लगेगा. प्रवेश द्वार के दायें और बायें बने कमरों के दरवाजे गायब हैं. खिड़की भी नहीं है. कमरों में बने शौचालय की सीट तक गायब है. दीवारों पर दरार दिख रही है. सामने बड़े हॉल में प्रवेश करने पर कई बड़े-बड़े नाव दिखे, जो जर्जर और टूटे हुए हैं. एक-दूसरे के ऊपर रख कर उसे खराब कर दिया गया है. फर्स्ट फ्लोर के कमरों का हाल भी नीचे की तरह ही है. पर वहां जला हुआ सामान मिला. देखने से वह सभी खेल सामग्री प्रतीत हो रही है. इसमें कई महंगे नाव भी हैं.

करोड़ों की खेल सामग्री गायब : फरवरी 2011 में 34वां राष्ट्रीय खेल शुरू हुआ था. इससे पहले डैम के किनारे लाखों रुपये का दो स्कोर बोर्ड, लगभग 70-80 लाख रुपये की एलइडी स्क्रीन लगायी गयी थी. केनोइंग के लिए सिंगल, डबल व चार खिलाड़ियों के लिए 52 नावें मंगवायी गयी थी. रोइंग के लिए 26 पीस नाव, दो रेफरी नाव, व्यायाम के लिए दो महंगी मशीन मंगवायी गयी थी. यह सब अब कहां है, इसका पता नहीं. सामान कौन ले गया, इसका जानकारी न तो जिला प्रशासन को है और न ही आयोजकों को.

पानी की टंकी से लेकर स्विच तक हो गये गायब : सबसे ऊपर छत पर सभी कमरों के लिए पाइप लाइन से पानी की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन वहां पानी टंकी गायब मिली. पाइपलाइन नहीं है, सिर्फ ढांचा बचा है. नल भी नहीं है. बिजली की वायरिंग के तार, बल्ब से लेकर स्विच तक चोर उखाड़ कर ले गये हैं.

सब गायब होने के बाद गार्ड की तैनाती : स्पोर्ट्स हॉस्टल से सब कुछ गायब होने के बाद एक गार्ड को तैनात किया गया है. जो आम लोगों को स्पोर्ट्स हॉस्टल में घुसने से रोकता है, लेकिन पिकनिक मनानेवाले लोग पूरे कैंपस में पिकनिक मनाते हैं और शराब पीते हैं. इसके लिए बस गार्ड को थोड़ी राशि देनी होती है. लोग कह रहे हैं कि जब यहां गार्ड तैनात है, तब कैसे सभी सामान की चोरी हो गयी?

15 करोड़ हुआ था खर्च : 34वें नेशनल गेम्स के समय मेगा स्पोर्ट्स हॉस्टल का निर्माण करवाया गया था. इस हॉस्टल में 66 कमरे, जिसमें दो सुइट भी हैं. वर्ष 2011 में यहां पर होने वाले वाटर स्पोर्ट्स के प्रतिभागियों के ठहरने का इंतजाम था. खेल सामग्री की खरीदारी व कार्यक्रम के आयोजन में लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. 15 दिनों तक खेल का आयोजन हुआ था. इसमें मुख्य रूप से बोटिंग, रोइंग, कायाकिंग, केनोइंग आदि शामिल हैं. देश भर के खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में शामिल हुए थे.

विदेश से मंगवायी गयी थी खेल सामग्री : खेल सामग्री की खरीदारी भारत के अलावा विदेश से की गयी थी. इसमें डिजिटल स्कोर बोर्ड सहित अन्य सामान मंगाये गये थे. चार करोड़ रुपये की लागत से तीन मंजिला हॉस्टल बनाया गया था. इसमें विभिन्न सुविधाओं से सुसज्जित 66 कमरे, दो सुइट रूम था. पांच सितारा होटलों जैसी सुविधा से सुसज्जित महंगे सामान मसलन सभी कमरों में आलमारी, गीजर, बेड, एसी, पंखा, मार्बल व टाइल्स था, जिसकी चोरी हो गयी. इतना ही नहीं, चोर कीमती दरवाजे और खिड़की तक उखाड़ कर ले गये.

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Posted by: Pritish Sahay

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