दुमका : फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टॉफ की कमी के कारण अब तक जेरियाट्रिक वार्ड शुरू नहीं हो पाया है. सीनियर सिटीजन को बेहतर सुविधा देने के लिए प्रबंधन के द्वारा सेकेंड फ्लोर में स्थल चयन कर जेरियाट्रिक वार्ड का निर्माण कराया गया. स्टॉफ की कमी के कारण तीन साल बीत जाने के बाद भी वार्ड चालू नहीं हो पाया. 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भर्ती कर इलाज करने के लिए 10 बेड का वार्ड बनाया गया है. इसमें महिला व पुरुष बुजुर्ग मरीजों के लिए 5-5 बेड की सुविधा है. 10 बेड में दो बेड में आइसीयू की सुविधा दी जायेगी. वार्ड में भर्ती मरीजों की सेवा के लिए अत्याधुनिक मशीन लगाये जायेंगे. इसके अलावा जीवन रक्षक दवा, ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कनसंट्रेटर, मॉनिटर समेत कई सुविधा उपलब्ध कराया जायेगा. वर्तमान में बुजुर्ग मरीजों को भर्ती कर इलाज के लिए अलग से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बुजुर्गों को जेनरल वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाता है. इससे बुजुर्ग मरीजों को काफी परेशानी होती है. जेरियाट्रिक वार्ड के खुल जाने से बुजुर्ग मरीजों को भर्ती कर इलाज करने में काफी सहूलियत होगी. जेनरल वार्ड में बुजुर्ग मरीजों को भर्ती कर इलाज नहीं किया जायेगा. वार्ड को चालू करने के लिए अधिकांश सामानों की खरीदारी हो चुकी है. पीजेएमसीएच में प्रतिदिन 70-80 बुजुर्ग मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. अलग व्यवस्था नहीं रहने के कारण बुजुर्ग मरीजों को अन्य मरीजों के साथ कतार में लगकर इलाज कराना पड़ता है. आये दिन देखा जाता है कि इससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है.
क्या कहा सुपरीटेंडेंट ने
जेरियाट्रिक वार्ड बनकर तैयार है. स्टॉफ और स्टॉफ नर्स की कमी के कारण वार्ड चालू करने में परेशानी हो रही है. स्टॉफ बहाल करने के बाद ही जेरियाट्रिक वार्ड को चालू किया जा सकता है.
दुमका के सरैयाहाट प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लचर हो गयी है. हाल यह है कि चिकित्सक भी समय पर नहीं पहुंचते हैं. इसलिए ओपीडी में आये मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऑन ड्यूटी चिकित्सक नहीं रहने पर इमरजेंसी मरीज भी परेशान हो जाते हैं. सीएचसी में प्रतिदिन 100 से 150 मरीज इलाज कराने के लिए ओपीडी पहुंचते हैं. हंसडीहा और सरैयाहाट थाना क्षेत्र में आये दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है. हादसे के बाद सबसे पहले मरीजों को सीएचसी में लाया जाता है. सीएचसी में एक चिकित्सक प्रवासन करते हैं. अन्य चिकित्सक आते हैं और चले जाते हैं. रात्रि इमरजेंसी में जो मरीज आते हैं, उनका इलाज स्वास्थ्यकर्मी के द्वारा किया जाता है. रविवार 29 अक्तूबर को ओपीडी के समय एक भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे, जबकि सड़क दुर्घटना में घायल दो मरीज भी इलाज के लिए यहां पहुंचे थे. उसी दिन देर शाम में हंसडीहा पगवारा गांव से जहर खाये मरीज को लाया गया. वक्त भी चिकित्सक मौजूद नही थे. 30 अक्तूबर सोमवार को भी ओपीडी में सुबह से मरीजों की भीड़ लगी थी. प्रभारी 11 बजे के बाद अस्पताल पहुंचे तब जाकर ओपीडी में मरीजों का इलाज हो पाया. इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्रभा रानी प्रसाद ने बताया कि अस्पताल में 14 चिकित्सक होना चाहिए. यहां तीन चिकित्सक कार्यरत हैं. इसलिए प्रभारी होने के बावजूद ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज करना पड़ता है.