21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Teachers’ Day 2023: 5 सितंबर को क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस, जानें इतिहास, महत्व और विचार

Teachers' Day 2023: यह दिन शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है. आइए इतिहास, महत्व और प्रमुख तथ्यों की यात्रा करें जो शिक्षक दिवस को संजोने लायक अवसर बनाते हैं.

Teachers’ Day 2023: भारत में शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के सम्मान में मनाया जाता है, जो एक प्रसिद्ध दार्शनिक, शिक्षक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे. यह दिन छात्रों के जीवन और भविष्य को आकार देने में शिक्षकों और शिक्षकों के अमूल्य योगदान को पहचानने के लिए समर्पित है. यह एक ऐसा दिन है जो कृतज्ञता, सम्मान और प्रशंसा से गूंजता है. यह दिन शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो उन्हें शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है. आइए इतिहास, महत्व और प्रमुख तथ्यों की यात्रा करें जो शिक्षक दिवस को संजोने लायक अवसर बनाते हैं.

Teachers’ Day 2023: इतिहास

फेस्टिवल ऑफ इंडिया वेबसाइट के मुताबिक, उनके कुछ छात्रों ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से उनका जन्मदिन मनाने के लिए संपर्क किया था. उन्होंने विनम्रतापूर्वक सुझाव दिया कि इस दिन को अपना व्यक्तिगत दिवस मनाने के बजाय सभी शिक्षकों को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाना चाहिए. उनका मानना था कि शिक्षकों को देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाला होना चाहिए.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को तुलनात्मक धर्म और दर्शन पर केंद्रित किया. उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज, मैसूर विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, शिकागो विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में अपना ज्ञान प्रदान किया. वह 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. वह 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के दूसरे राजदूत भी रहे.

Teachers’ Day 2023: महत्व

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का उद्येश्य विश्व के शिक्षकों की सराहना, मूल्यांकन और सुधार पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है. इस दिन शिक्षण और शिक्षकों के मुलभूत मुद्दे पर चर्चा करने का अवसर मिलता है. इसके अलावा इस दिन विश्व के शिक्षकों की जिम्मेदारी, उनके अधिकार और आगे की शिक्षा के लिए उनकी तैयारी और मानक को महत्व दिया जाता है.

100 देश मनाते हैं यह दिन

यूनेस्‍को के अनुसार, पांच अक्‍टूबर को विश्‍व शिक्षक दिवस घोषित करके वे विश्‍वभर के तमाम शिक्षकों को उनके द्वारा शिक्षा और विकास के क्षेत्र में दिए जा रहे अहम योगदान को लोगों को याद दिलाना है. इसके सा‍थ ही आम लोगों को शिक्षकों के बारे में और अधिक समझने के लिए ही इस विशेष दिन को बनाया गया है. बताया जाता है कि पूरे विश्‍व में सभी देशों को मिलाकर तकरीबन 100 देश पांच अक्‍टूबर को ‘विश्‍व शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाते हैं.

शिक्षक दिवस के बारे में मुख्य तथ्य

1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तिरुत्तानी शहर में एक तेलुगु मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्होंने अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, कई छात्रवृत्तियां हासिल कीं और तिरूपति और वेल्लोर के स्कूलों में पढ़ाई की.

2. उन्हें कुल 27 नोबेल पुरस्कार नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार और साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए कई नामांकन शामिल हैं.

3. 1954 में, डॉ. राधाकृष्णन भारतीय राजनेता सी. राजगोपालाचारी और भौतिक विज्ञानी सी.वी. के साथ भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न के पहले प्राप्तकर्ता बने.

4. 1931 में उन्हें नाइट की उपाधि दी गई और उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई, लेकिन उन्होंने ‘डॉक्टर’ की अपनी अकादमिक उपाधि बरकरार रखना पसंद किया.

5. उनके उल्लेखनीय कार्यों में एन आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ नामक पुस्तक शामिल है, जिसमें 1929 में मैनचेस्टर कॉलेज में दिया गया प्रसिद्ध हिबर्ट व्याख्यान शामिल है.

6. शिक्षकों का वैश्विक उत्सव, विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है. विभिन्न देश अलग-अलग तिथियों पर इस दिन का अपना संस्करण मनाते हैं.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार

  • शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.

  • केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है. स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है.

  • ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है.

  • कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती,जब तक उसे विचार की आजादी प्राप्त न हो. किसी भी धार्मिक विश्वास या राजनीतिक सिद्धांत को सत्य की खोज में बाधा नहीं देनी चाहिए.

  • किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है.

  • पुस्तकें वो साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं. पुस्तकें वे साधन हैं जिनके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच पुलों का निर्माण करते हैं.

  • सच्चे शिक्षक वे हैं जो हमें अपने लिए सोचने में मदद करते हैं.

  • मेरी महत्वाकांक्षा न केवल क्रॉनिकल की है बल्कि मन की गति को समझाने और प्रकट करने और मानव प्रकृति के गहन विमान में भारत के स्रोतों को उजागर करने की है.

  • केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है. स्वयं के साथ ईमानदारी, आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है.

  • भगवान हम में से हर एक में रहता है, महसूस करता है और पीड़ित होता है और समय के साथ हम में से प्रत्येक में उसकी विशेषताओं, ज्ञान, सौंदर्य और प्रेम का पता चलेगा.

  • हमें राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से शांति नहीं मिलती बल्कि शांति मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है.

  • ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें पूर्णता प्रदान करता है.

  • ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद और आनंद का जीवन संभव है.

Also Read: Sarkari Naukri-Result 2023 Live: एसएससी एमटीएस 2023 का रिजल्ट जारी, देखें अन्य वैकेंसी डिटेल
Also Read: UPSC ESE 2023: इंटरव्यू शेड्यूल upsc.gov.in पर जारी, चयनित उम्मीदवारों की देखें लिस्ट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें