एक लेखक जिसने कभी किसी निबंध लेखन प्रतियोगिता में भी प्रतिभाग नहीं किया. जब लिखा तो मशहूर पुस्तक “लाइफ मैनेजमेंट” लिखा. एक मैनेजमेंट ट्रेनर, जिसने कभी मैनेजमेंट की औपचारिक पढ़ाई नहीं की. लेकिन उसने देश के बड़े-बड़े अधिकारियों और जजों को ट्रेनिंग दिया. एक युवा जो मार्गदर्शन लेने की उम्र में गांव गोद लिया. एक छात्र जिसने स्वयं कक्षा से अनुपस्थित रहने की उम्र में शिक्षकों की अनुपस्थिति रोकने के लिए चलाया अभियान. एक बालक जिसके पास जीवन में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त संसाधन और मार्गदर्शन के लिए अभिभावक नहीं थे. लेकिन उसने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर समाज की तमाम मन्यताओं को धता बताते हुए अप्रत्याशित सफलता अर्जित की. यह कहानी है लाइफ मैनेजमेंट के लेखक नवीन कृष्ण राय की. आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
शुरुआती जीवन के मुश्किल समय में जवाहर नवोदय विद्यालय का मिला साथ:
कहते हैं कि जो व्यक्ति जितना बहादुर होता है उसके हिस्से में उतना ही संघर्ष आता है. प्रकृति, व्यक्ति को उतना ही दुःख देती है जितना कि वह सहन कर सके. लेकिन नवीन के प्रारब्ध में अलग स्तर की बहादुरी और सहनशीलता लिखी थी. दरअसल नवीन कृष्ण राय का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद के बीरपुर गांव में हुआ. उनके जन्म से तीन महीने पूर्व ही उनके पिता कृष्णा नंद राय का साया उनके सर से उठ गया. वह सेना में हवलदार थे. इस तरह नवीन के जन्म लेने से पूर्व ही संघर्ष उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. संसाधन की कमी और पिता का साया, दोनो ही, नहीं होने की वजह से नवीन को शुरुआती जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा. पिता के नहीं होने से नवीन के मन में अपने भविष्य को ले कर हमेशा एक असुरक्षा की भावना रही. प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने की स्थिति में घर से कोई सपोर्ट नहीं होने की बात उन्हें भयभीत कर देती थी. हालांकि नवीन ने इस भय को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मेहनत कर के उन्होंने नवोदय विद्यालय की परीक्षा पास की. और उनका दाखिला जवाहर नवोदय विद्यालय प्रयागराज में हुआ. नवोदय में अड्मिशन मिलने की वजह से नवीन को गुणवत्ता पूर्ण प्रारम्भिक शिक्षा मिल सकी. इसके बाद की पढ़ाई मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, गोरखपुर से हुई. यहां से उन्होंने बीटेक की डिग्री हासिल की.
निबंध लेखन प्रतियोगिता में भी नहीं लिया भाग, लेकिन लिख दी मशहूर पुस्तक ‘लाइफ मैनेजमेंट’
नवीन स्वयं ग्रामीण परिवेश से आते हैं. उन्होंने बहुत ही कम समय में गांव-गिरोह से ले कर IIM तक का सफर तय किया. उन्होंने स्वयं तो कभी किसी निबंध लेखन प्रतियोगिता में भी प्रतिभाग नहीं किया. लेकिन उन्हें अपनी जीवन यात्रा में कुछ ऐसा अनुभव हुआ कि उन्होंने मशहूर पुस्तक ‘लाइफ मैनेजमेंट’ ही लिख दिया. दरअसल इस पुस्तक को लिखने के पीछे का उनका उद्देश्य ग्रामीण परिवेश के हिन्दीभाषी लोगों तक मैनेजमेंट विषय के ज्ञान की पहुंच सुनिश्चित करना है. इस पुस्तक को लिखने के पीछे की सोच के बारे में बताते हुए नवीन कहते हैं, “अपनी जीवन यात्रा के दौरान मुझे आभास हुआ कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में भाषाई पक्षपात होने की वजह से ग्रामीण परिवेश से आने वाले हिन्दीभाषी क्षेत्र के युवाओं का IIM जैसे बिजनेस स्कूल में दाख़िला होना असम्भव है. और अधिकांश लोग मैनेजमेंट की औपचारिक पढ़ाई कर भी पाते हैं. मैनेजमेंट विषय की जो सेल्फ-हेल्प पुस्तकें है, वह भी सामान्यतः अंग्रेजी भाषा में लिखी गयी हैं. कुछ का हिंदी में अनुवाद तो हुआ है, लेकिन उनमें दिए हुए उदाहरण गांव के लोगों के साथ घटित होने वाली घटनाओं से बहुत मेल नहीं खाता है. इस वजह से उन किताबों में बताई गयीं बातों को ग्रामीण परिवेश का व्यक्ति अपने जीवन में नहीं उतार पाता है.“
इस तरह उन्होंने ग्रामीण परिवेश की कहानियों के माध्यम से मैनेजमेंट विषय के विभिन्न कान्सेप्ट्स को आम व्यक्ति को समझने के लिए मूलरूप से हिंदी में इस “लाइफ मैनेजमेंट” पुस्तक को लिख कर समाज हित में एक कार्य किया है. इस पुस्तक को मंजुल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. इसका विमोचन 03 अक्टूबर, 2024 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में राज्यसभा के उप-सभापति श्री हरिवंश, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय व राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एपी साही ने किया.
खुद नहीं की मैनेजमेंट की पढ़ाई लेकिन अधिकारियों और जजों को सिखाया मैनेजमेंट
नवीन के पास मैनेजमेंट विषय की कोई डिग्री नहीं है. लेकिन इस विषय पर उनकी पकड़ इतनी कमाल की है कि उन्हें पैरामिलिट्री फोर्स, विभिन्न राज्यों की पुलिस, प्रशासनिक और न्यायिक सेवा की ट्रेनिंग एकेडमी में अधिकारियों और जजों को मैनेजमेंट विषयों पर ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया जाता है. वह लाइफ मैनेजमेंट, सेल्फ-मैनेजमेंट, पीपल मैनेजमेंट, डिसिज़न मेकिंग, लीडरशिप, कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट, नेगोशिएशन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण देते हैं. नवीन अब तक भारतीय राजस्व सेवा (IRS), राज्य पुलिस सेवा, प्रशासनिक सेवा, और केंद्रीय रिजर्व फोर्स के हजारों अधिकारियों व जजों को मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दे चुके हैं. इसके अलावा वह कई प्रदेशों की विभिन्न सरकारी समितियों के नामित सदस्य भी हैं जहां वह मैनेजमेंट क्षेत्र से सम्बंधित परामर्श प्रदान करते हैं. उन्होंने इस दौरान सामान्य कर्मचारी और वरिष्ठ अधिकारियों के जीवन में मैनेजमेंट की अहमियत को बखूबी जाना और समझा है, लिहाजा उनकी “लाइफ़ मैनेजमेंट” किताब केवल सैद्धांतिक न होकर व्यावहारिक हो जाती है.
एक युवा जो मार्गदर्शन लेने की उम्र में गांव गोद लिया
मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ओफ़ टेक्नॉलोजी, गोरखपुर में अपनी बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही नवीन का मन सामाजिक कार्यों में लगने लगा था. उन्होंने साल 2015 में गोरखपुर के तत्कालीन डीएम आईएएस रंजन कुमार के मार्गदर्शन में गोरखपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए रूरल यूथ लीडरशिप प्रोग्राम चलाया. इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में नेतृत्व क्षमता का विकास करना था. इसी दौरान नवीन ने गोरखपुर के तत्कालीन कमिश्नर पी गुरुप्रसाद के साथ मिलकर खोराबार ब्लॉक के मोतीराम अड्डा गांव को गोद लिया. उन्होंने इस गांव में लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जागरुक किया. उस समय नवीन की उम्र मात्र 22 वर्ष थी.
एक छात्र जिसने स्वयं कक्षा से अनुपस्थित रहने की उम्र में शिक्षकों की अनुपस्थिति रोकने के लिए चलाया अभियान
नवीन ने उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए “अटेंडेंस विद सेल्फी” कार्यक्रम की भी पहल कर चुके हैं. वर्ष 2107 में चंदौली जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार प्रशांत के साथ मिलकर शुरू किए गए इस इनीशिएटिव को जिले के 1500 सरकारी स्कूलों में लागू किया गया था. इस पहल की सफलता को देखते हुए इसे उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में लागू किया.
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