Arjun Munda Khunti Seat Result 2024: खूंटी लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के आगे पस्त हो गए. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मामूली अंतर से जीत दर्ज करने वाले जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री 149675 वोटों से हार गए. कालीचरण मुंडा को 511647 वोट मिले, जबकि अर्जुन मुंडा को 361972 वोट मिले. खुंटी लोकसभा सीट पर 7 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे थे. इनमें से 5 को नोटा से भी कम वोट मिले. 21919 लोगों ने सभी 7 प्रत्याशियों को खारिज करते हुए नोटा का बटन दबाया.
Arjun Munda की वजह से खूंटी लोकसभा पर थी पूरे देश की नजर
झारखंड के खूंटी लोकसभा सीट पर पूरे देश की नजर थी, क्योंकि यहां से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा उम्मीदवार थे. पहली बार वर्ष 2019 में कड़िया मुंडा का टिकट काटकर उनको भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया. अर्जुन मुंडा मामूली वोटों के अंतर से जीतकर सांसद बने. नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में उन्हें जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया. बाद में कृषि मंत्री का भी प्रभार दिया गया.
3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं अर्जुन मुंडा
अर्जुन मुंडा तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनका जन्म 3 मई 1968 को जमशेदपुर के खरंगाझाड़ में गणेश और सायरा मुंडा के घर हुआ. जमशेदपुर में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद रांची विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली. अर्जुन मुंडा ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से सामाजिक विज्ञान में पीजी डिप्लोमा की पढ़ाई की.
2014 के विधानसभा चुनाव में खरसावां में मिली थी हार
झारखंड भाजपा के कद्दावर नेता अर्जुन मुंडा वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपने ही गढ़ खरसावां में पराजित हो गए. इसके बाद ऐसा लगा कि उनका राजनीतिक करियर अस्त होने की ओर है, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अर्जुन मुंडा ने वापसी की और वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को पराजित कर दिया. एक बार फिर कांग्रेस ने उनके खिलाफ कालीचरण मुंडा को ही अपना उम्मीदवार बनाया है. कालीचरण मुंडा को झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और वामदलों का भी समर्थन प्राप्त है. वहीं, अर्जुन मुंडा को आजसू पार्टी का समर्थन है.
1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ शुरू की राजनीतिक पारी
अर्जुन मुंडा ने 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. झारखंड आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया. वर्ष 1995 में झामुमो के टिकट पर अर्जुन मुंडा ने खरसावां विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई वाले गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अलग झारखंड राज्य के गठन का समर्थन किया. इससे प्रभावित होकर अर्जुन मुंडा झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल हो गए.
2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर बने विधायक
वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अर्जुन मुंडा को टिकट दिया और वह जीतकर एक बार फिर विधानसभा के सदस्य बने. इसी साल अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ. कुछ कारणों में वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को इस्तीफा देना पड़ा. मरांडी की जगह अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. महज 35 साल की उम्र में वह सीएम बन गए थ. वर्ष 2005 में हुए चुनाव के बाद अर्जुन मुंडा दोबारा झारखंड के मुख्यमंत्री बने. वर्ष 2010 में मुंडा तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.
कई भाषा जानते हैं अर्जुन मुंडा, खेल में भी है गहरी रुचि
अर्जुन मुंडा को गोल्फ खेलने का शौक है. वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी को बढ़ावा देते हैं. बांसुरी बजाने के अलावा कई वाद्य यंत्र बजाने का हुनर उनमें हैं. अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, ओडिशा और संथाली के साथ-साथ, मुंडारी, हो, उरांव जैसी भाषाएं जानते हैं. बता दें कि खूंटी संसदीय सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. भाजपा के कड़िया मुंडा ने सबसे लंबे समय तक इस संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया. वह लोकसभा के उपाध्यक्ष भी बने.
16 करोड़ की संपत्ति के मालिक अर्जुन मुंडा 2.4 करोड़ के कर्जदार
55 साल के अर्जुन मुंडा पर एक आपराधिक मामला दर्ज है. वह 16.6 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. उन पर 2.4 करोड़ रुपए की देनदारी भी है. वर्ष 2019 में अर्जुन मुंडा को 3,82,638 वोट मिले थे. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कालीचरण मुंडा को 3,81,193 वोट मिले थे. बता दें कि वर्ष 2009 में भाजपा को यहां 41.19 फीसदी वोट मिले थे. वर्ष 2014 में उसे 36.53 फीसदी वोट मिले और वर्ष 2019 में 45.97 फीसदी वोट प्राप्त हुए.