भाजपा ने उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट से, जिसमें अयोध्या भी समाहित है, अपने दो बार के सांसद लल्लू सिंह को ही फिर मैदान में उतार कर भगवान राम की नगरी का चुनावी पारा एक झटके में नीचे गिरा दिया है.
भाजपा समर्थकों को थी उम्मीद : अयोध्या को मिलेगा दिग्गज प्रार्थी
दरअसल, पार्टी और उसके समर्थकों के कई हल्कों को उम्मीद थी कि भगवान राम के पांच सौ साल के इंतजार के खात्मे और भव्य मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उनकी प्राण-प्रतिष्ठा से क्षेत्र में पैदा हुए उत्साह को द्विगुणित करने के लिए पार्टी हाइकमान अयोध्या को किसी दिग्गज प्रत्याशी द्वारा प्रतिनिधित्व की सौगात देगा.
संभावना थी कि पीएम नरेंद्र मोदी अयोध्या से लड़ें चुनाव
ये हल्के यह संभावना भी जता रहे थे कि हो न हो, देशवासियों को खास संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अयोध्या से चुनाव लड़ें. निस्संदेह, ऐसा होता तो पूरे चुनाव में अयोध्या सबसे महत्वपूर्ण डेटलाइन बनी रहती. लेकिन, अब इसकी उम्मीद करने वाले न सिर्फ नाउम्मीद हैं, बल्कि अयोध्या में चुनाव की गर्मी के शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाने की बात कह रहे हैं.
सपा ने दलित नेता अवधेश प्रसाद को अयोध्या से उतारा
भाजपा तो भाजपा, लल्लू को उसका टिकट मिलने तक उसकी प्रबलतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को भी यही लग रहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या में कोई बड़े कद का प्रत्याशी उतारेगी. इसी संभावना के तहत उसने अपने दिग्गज दलित नेता अवधेश प्रसाद को अरसा पहले इस सीट का अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया और उनका प्रचार भी शुरू करा दिया था.
प्रदेश की सभी सपा सरकारों में मंत्री रहे अवधेश प्रसाद
अवधेश प्रसाद सपा की स्थापना के वक्त से ही उसके वरिष्ठतम दलित नेता हैं. दलित-पिछड़ा अंतर्विरोध गहराने के बाद 1993 में सपा-बसपा गठबंधन टूटा तो भी उन्होंने ‘दलितों की’ मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का रुख नहीं किया और सपा के वफादार बने रहे. वे प्रदेश की सारी सपा सरकारों में मंत्री रहे हैं और अब उसमें नंबर टू की हैसियत रखते हैं. वे फैजाबाद लोकसभा सीट की सोहवल व मिल्कीपुर विधानसभा सीटों से अब तक वे कुल मिलाकर नौ बार विधायक रहे हैं.
भाजपा का दावा : इस बार अयोध्या में कोई चुनौती नहीं
बहरहाल, भाजपा का दावा है कि इस बार इस सीट पर उसके सामने कोई चुनौती ही नहीं है और प्राणप्रतिष्ठित रामलला लल्लू को बिना प्रयास चुनावी भवसागर पार करा देंगे. लेकिन उसके प्रतिद्वंद्वी इसे नकारकर जातीय समीकरणों में ही संभावनाएं तलाश रहे हैं.
सपा को उम्मीद- भाजपा के पिछड़े व अल्पसंख्यक वोट बैंक में लगाएंगे सेंध
सपा को उम्मीद है कि उसका दलित प्रत्याशी उसके पिछड़े व अल्पसंख्यक वोट बैंक में दलितों को जोड़कर भाजपा का खेल खराब कर देगा. बसपा ने भाजपा की आंबेडकरनगर जिला इकाई के अध्यक्ष सच्चिदानंद पांडे ‘सचिन’ का पाला बदलवा कर ब्राह्मण-दलित एकता की उम्मीद में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है.
इन सीटों के मतदाता गुस्साएं, तो कोई नहीं रह जाता अजेय
बहरहाल, इस लोकसभा सीट की पांच विधानसभा सीटों में अयोध्या की बात करें, तो हाल के दशकों में 2012 को छोड़ भाजपा कभी यह सीट नहीं हारी. लेकिन गोसाईंगंज, बीकापुर, मिल्कीपुर और रुदौली विधानसभा सीटों के मतदाता गुस्सा जायें, तो उसकी अयोध्या की बढ़त को अजेय नहीं रहने देते.
1989 में भाकपा के मित्रसेन यादव फैजाबाद के सांसद बने
इसी बिना पर 1989 में भाजपा व कांग्रेस दोनों को हरा कर भाकपा नेता मित्रसेन यादव फैजाबाद के सांसद बन गये थे. वे 1998 और 2004 में भी जीते थे. अलबत्ता, भाकपा नहीं, एक बार सपा, फिर बसपा के टिकट पर. इस बार जो भी हो, लेकिन जो हल्के पहले से मान बैठे थे कि भव्य और दिव्य अयोध्या में इस कार लोकसभा चुनाव का मुकाबला भी भव्य और दिव्य होगा, उन्हें उसका सामान्य या परंपरागत होना अभी भी नहीं सुहा रहा.