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पेयजल, निकासी, गंदगी समेत स्थानीय निकायों से जुड़ी समस्याओं से जूझता रहा हैं दमदम लोकसभा केंद्र

दमदम लोकसभा का क्षेत्र महानगर से करीब आठ किलो मीटर दूर बरानगर क्षेत्र से शुरू हो जाता है. वहीं, कोलकाता के उत्तर-पूर्व की ओर विधाननगर के कुछ क्षेत्र से शुरू होता है.

देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के 7वें और अंतिम चरण की वोटिंग आगामी एक जून को है. उस दिन आठ राज्यों की 57 सीटों पर मतदान हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल की नौ लोकसभा सीटें भी हैं. महानगर की तीन सीटें और उससे सटी दो 24 परगनाओं की तीन-तीन सीटें हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण चर्चा वाली सीट उत्तर 24 परगना की बशीरहाट (संदेशखाली) के अलावा बारासात और दमदम लोकसभा सीट भी शामिल है.

दमदम लोकसभा की अधिकांश आबादी शहरी

दमदम लोकसभा क्षेत्र, उत्तर 24 परगना जिले का ऐसा लोकसभा सीट है, जहां की अधिकांश आबादी शहरी है. इसके बावजूद पेयजल, निकासी, गंदगी समेत अन्य तमाम निकायों से जुड़ी समस्याएं ही यहां की सबसे बड़ी समस्याओं में शामिल हैं, जिसका एक उदाहरण चुनावी प्रचार में तृणमूल के प्रत्याशी को जल जमाव की समस्या को देख नाले में बांस से सफाई करते देखा गया था. यहीं नहीं जल जमाव के कारण ही बारिश के दौरान डेंगू-मलेरिया जैसे समस्याएं भी देखी जाती है. जिसे लेकर निकायों को तत्परता के बावजूद भी इन क्षेत्रों से शिकायतें आती रहती है, तो कई बार लोगों को सड़कों पर उतर कर विरोध करते भी देखा गया है.

दमदम लोकसभा क्षेत्र में हैं 7 विधानसभा

दमदम लोकसभा का क्षेत्र महानगर से करीब आठ किलो मीटर दूर बरानगर क्षेत्र से शुरू हो जाता है. वहीं, कोलकाता के उत्तर-पूर्व की ओर विधाननगर के कुछ क्षेत्र से शुरू होता है. दमदम लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत खड़दह नगरपालिका, पानीहाटी नगरपालिका, न्यू बैरकपुर, नार्थ दमदम नगरपालिका, कमरहाटी नगरपालिका, बरानगर नगरपालिका, दक्षिण दमदम, दमदम नगरपालिकाओं के अधिकांश क्षेत्र आते हैं, तो वहीं महानगर से सटे विधाननगर नगर निगम के करीब आधे से कुछ कम वार्ड भी शामिल है. दमदम लोकसभा सीट के अधीन आनेवाली सात विधानसभा क्षेत्रों में खड़दह, दमदम, कमरहाटी, पानीहाटी, राजारहाट गोपालपुर, दमदम उत्तर, बारानगर विधानसभा शामिल हैं.

इस बार के चुनावी मैदान में दमदम लोकसभा सीट से तृणमूल के तीन बार से जीत रहे तृणमूल के वरिष्ठ नेता सौगत राय को पुन: चौथी बार उतारा गया है, तो वहीं भाजपा से शीलभद्र दत्त, जो एक समय में तृणमूल में हुआ करते थे. वहीं कांग्रेस और वाममोर्चा गठबंधन माकपा उम्मीदवार सुजन चक्रवर्ती को चुनावी मैदान उतारा हैं. इनके बीच ही मुकाबला है.

दमदम लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे

जल जमाव की समस्या, पेयजल की किल्लत, सड़कों की बदहाली, गंदगी की समस्या, बारिश के दौरान मच्छर जनित रोगों का प्रकोप, अवैध निर्माण समेत अन्य समस्याएं है.

दमदम संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास

गत 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 76.88 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें तृणमूल से सौगत रॉय को 5,12,062 वोट, भाजपा के शमिक भट्टाचार्य को 4,59,063 वोट, सीपीआई (एम) के नेपालदेव भट्टाचार्य को 1,67,590 वोट, कांग्रेस के सौरव साहा को 29,097 वोट मिले थे. हार-जीत का अंतर लगभग 53 हजार वोटों का था.

इसी तरह से गत 2014 के लोकसभा में तृणमूल के सौगत रॉय को इस सीट से 4,83,244 वोट मिले थे. उन्होंने सीपीआई (एम) के असीम दासगुप्ता को पराजित किया था. पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता को 3,28,310 वोट मिले थे. भाजपा के तपन सिकदर को 2,54,819 वोट, कांग्रेस के धनंजय मोइत्रा को 34,116 वोट मिले थे.

इसी तरह से 2009 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल के सौगत रॉय 4,58,988 वोट के साथ 47.04 फीसदी मत पाकर विजयी रहे. सीपीआई (एम) के अमिताभ नंदी को 4,38,510 वोट और भाजपा के तपन सिकदर को 55,679 वोट मिले थे. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में माकपा के अमिताभ नंदी ने भाजपा के तपन सिकदर को पराजित किया था.

दमदम संसदीय क्षेत्र की सभी सीटों पर रहा है तृणमूल का कब्जा

दमदम लोकसभा के अधीन सात विधानसभा क्षेत्रों में खड़दह, दमदम, कमरहाटी, पानीहाटी, राजारहाट गोपालपुर, दमदम उत्तर, बारानगर इन सभी विधानसभा सीटों पर तृणमूल का कब्जा रहा है. गत 2021 के विधानसभा चुनाव में दमदम संसदीय क्षेत्र से सातों विधानसभा पर तृणमूल विधायक ही जीते थे. दमदम उत्तर से चंद्रिमा भट्टाचार्य, पानीहाटी से निर्मल घोष, कमरहाटी से मदन मित्रा, दमदम से ब्रात्य बसु और राजारहाट-गोपालपुर से अदिति मुंशी.

वहीं बारानगर से तृणमूल के विधायक तापस रॉय थे लेकिन फिलहाल वह तृणमूल से भाजपा में शामिल होकर कोलकाता उत्तर संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे है. वहीं खड़दह से तृणमूल के काजल सिन्हा जीते थे, जिनकी 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद ही मौत हो गयी थी, उसी साल उपचुनाव में वहां से तृणमूल के शोभनदेव चट्टोपाध्याय जीते.

कभी इसी सीट से भाजपा ने खोला था पहला खाता

1977 में अस्तित्व में आयी दमदम संसदीय सीट पर आज भले ही दमदम सीट पर तृणमूल का कब्जा है लेकिन कभी भाजपा का कमल बंगाल में सर्वप्रथम 1998 में इसी सीट से खिला था. उस वर्ष के लोकसभा चुनाव में दमदम से सांसद निर्वाचित होकर तपन सिकदर बंगाल के पहले भाजपा सांसद बने थे. वही दोबारा 1999 के लोकसभा चुनाव में भी दमदम से ही सांसद निर्वाचित हुए थे. 12वीं और 13वीं लोकसभा का चुनाव में बंगाल से भाजपा के मात्र एक सांसद ही लोकसभा पहुंचे थे. मगर, 2004 में दमदम लोकसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल गयी, जो आज तक वापस नहीं आयी. माकपा का लंबे समय तक कब्जा था और अब तृणमूल का कब्जा है.

दमदम क्षेत्र का इतिहास

दमदम संसदीय क्षेत्र का इतिहास से गहरा नाता रहा है. गत छह फरवरी 1757 को बंगाल के नवाब ने दमदम में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें अंग्रेजों को कलकत्ता, ढाका और कासिम बाजार में किले बनाने की अनुमति दी गयी थी. साल 1783 में दमदम में एक छावनी की स्थापना की गयी थी. सैन्य बैरकें बनायी गयी थीं. साल 1857 के विद्रोह के दौरान दमदम में तैनात भारतीय सिपाही प्रभावित हुए थे. साल 1947 में बंगाल के विभाजन के साथ तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से लाखों शरणार्थी आये, जो दमदम और पानीहाटी क्षेत्र के अलावा जादवपुर, कसबा, संतोषपुर, गरिया और बेहाला के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में बस गये. बाद में सरकारी मदद से कॉलोनी बसी.

इन प्रत्याशियों के बीच ऐसे चल रही है जुबानी जंग

भाजपा उम्मीदवार शीलभद्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री का फेस वेल्यू अब नहीं है. उनके चेहरे पर राशन घोटाला, नौकरी घोटाला और भ्रष्टाचार की छवि दिखती है. वहीं माकपा प्रत्याशी सुजन चक्रवर्ती पर बार-बार तृणमूल नेताओं में मदन मित्रा से लेकर उम्मीदवार सौगत राय उनके सिर के बाल को लेकर कटाक्ष करते हैं. कभी सौगत राय कहते हैं कि उनके (सुजन चक्रवर्ती) के सिर का बाल कार्बाइड से पकाया हुआ है, तो कभी मदन मित्रा कटाक्ष करते है कि उनका सफेद बाल काला कर देंगे.

हालांकि, सुजन चक्रवर्ती पलटवार करते हुए राजनीतिक मुद्दों को लेकर भाजपा और तृणमूल पर कटाक्ष करते हैं. भाजपा उम्मीदवार शीलभद्र दत्त ने कहा है कि दमदम लोकसभा क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ है, जिस कारण से लोगों को मोदी की गारंटी पर भरोसा है. दमदमवासी भ्रष्टाचारियों को मौका नहीं देना चाहते है. इसलिए जनता भाजपा के साथ है. वहीं माकपा के प्रत्याशी सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि जनता को माकपा पर भरोसा है. जनता तृणमूल और भाजपा दोनों को ही नकार कर यहां से माकपा को जीत दिलायेगी. वहीं तृणमूल प्रत्याशी सौगत राय कहते है कि दीदी पर लोगों का भरोसा है और लोग तृणमूल को ही वोट देंगे. दीदी लक्ष्मी भंडार से लेकर अन्य योजनाओं से लोगों को लाभ मिल रहा है.

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