कृष्ण कुमार, पटना
Lok Sabha Election 2024 खादी पहनकर राजनीतिक फलक पर चमकने वालों में अधिकारी भी पीछे नहीं रहे हैं. राजनीति में दखल देने वालों में राज्य के कई आइएएस, आइपीएस, आइएफएस और आइआरएस अधिकारियों का नाम भी शुमार रहा है. इन अफसरों ने कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजनीति में एंट्री की और लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र सरकार में मंत्री भी बने.
इसमें से केंद्र सरकार में मंत्री आरके सिंह बेहतर उदाहरण हैं, जो अब तक दो बार भाजपा से आरा के सांसद रहे. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वे तीसरी बार आरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. इनके पहले यशवंत सिन्हा, मीरा कुमार, निखिल कुमार, मुनीलाल, ललित विजय सिंह जैसे अधिकारी चुनाव जीत कर केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे. हालांकि कई ऐसे अधिकारी भी रहे, जो राजनीति में तो उतरे, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाये. इनमें डीपी ओझा, केपी रमैया, पंचम लाल और आशीष रंजन सिन्हा जैसे अधिकारी चुनाव जीत नहीं पाए. वहीं आरसीपी सिंह ने राज्यसभा से राजनीति में इंट्री की.
आरके सिंह ने 2014 में की राजनीति में एंट्री
मौजूदा चुनाव में आरा सीट से भाजपा के आरके सिंह 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर पहली बार सांसद बने. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वे आरा से विजयी हुए. इसके साथ ही उन्होंने आरा का करीब 35 साल पुराने ट्रेंड को तोड़ दिया. दरअसल 1984 के बाद आरा लोकसभा क्षेत्र से कोई भी उम्मीदवार एक बार से अधिक जीत दर्ज नहीं करा सका था. हर पांच साल बाद वहां की जनता अपने सांसद को बदल देती थी. आरके सिंह ने इस मिथक को तोड़ा.
आइपीएस ललित विजय सिंह और निखिल कुमार
आइपीएस अधिकारी रहे ललित विजय सिंह ने 1989 में जनता दल के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ा और सांसद बने. वे केंद्र में राज्यमंत्री भी रहे. पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के बेटे और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे निखिल कुमार 2004 में औरंगाबाद से सांसद चुने गये थे, बाद में वे राज्यपाल भी रहे.
मीरा कुमार रहीं लोकसभा अध्यक्ष
पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी और आइएफएस अधिकारी रहीं मीरा कुमार उत्तर प्रदेश के बिजनौर और 2009 में सासाराम से सांसद बनीं. वे केंद्र में मंत्री रहीं. साथ ही देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं.
इन सात अधिकारियों को चुनाव में मिली हार
पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा वर्ष 2014 में नालंदा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन हार गये. उनसे पहले डीजीपी रहे डीपी ओझा भी लोकसभा चुनाव में भाकपा (माले) के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन जीत नहीं पाए. डीजी रैंक से सेवानिवृत्त अशोक कुमार गुप्ता ने भी 2019 में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गये.
आइएएस अधिकारी रहे केपी रमैया ने भी वीआरएस लेकर सासाराम से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें भी पराजय का सामना करना पड़ा. आइएएस अधिकारी पंचम लाल और कन्हैया सिंह भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन उन्हें भी जीत नसीब नहीं हुई. इसके साथ ही आइआरएस अधिकारी रहे डॉ अनुपम श्रीवास्तव ने खुद की पार्टी बनायी. राष्ट्रवादी विकास पार्टी में उनके साथ सेवानिवृत्त बिग्रेडियर अनिल श्रीवास्तव समेत कई अधिकारी शामिल थे. आइपीएस अधिकारी व डीजीपी रहे आरआर प्रसाद ने भी चुनाव में भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें भी हार मिली.