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Loksabha Election 2024: दो चरणों का मुकबला एनडीए बनाम ‘इंडिया’

पहले और दूसरे चरण की कुल नौ सीटों पर आमने-सामने का सीधा मुकाबला है. दूसरे चरण की एकमात्र सीट पूर्णिया में पप्पू यादव की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना दिया है. सियासत के इस दौर में जातीय और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण आधारित वोटिंग के अंधेरे को दूर करने में विकास दर (ग्रोथ रेट) बड़ा टूल साबित हो सकती है.

पहले और दूसरे चरण की नौ सीटों पर उम्मीदवारों की तस्वीर साफ, पूर्णिया में त्रिकोणात्मक मुकाबले के आसार

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ गयी है. पहले दो चरणों के रणबांकुरे चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. जैसे -जैसे मतदान के दिन करीब आते जा रहे हैं, सत्ता के दावेदार एनडीए और महागठबंधन के बीच जुबानी भी जंग तेज होने लगी है. पहले और दूसरे चरण की कुल नौ सीटों पर आमने-सामने का सीधा मुकाबला है. दूसरे चरण की एकमात्र सीट पूर्णिया में पप्पू यादव की मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणात्मक बना दिया है. चुनावी जानकार बताते हैं कि दोनों चरणों की नौ सीटों पर होने वाले चुनाव में मतदाताओं का रुख जिधर मुड़ा, बाकी के पांच चरणों में भी चुनाव का रुख उसी तरह बदलता चला जायेगा.

रोड शो और रैली का दौर शुरू

पहले चरण के चुनाव के लिए सभी प्रमुख दलों ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. एनडीए में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक सभा जमुई में हो चुकी है. दूसरी सभा रविवार को नवादा में होने वाली है. एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी आने वाले हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नौ अप्रैल को गया में एनडीए उम्मीदवार जीतन राम मांझी और 11 अप्रैल को भाजपा उम्मीदवार सुशील सिंह के पक्ष में रोड शो करेंगे. इधर, महागठबंधन में प्रचार की कमान पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने संभाली है. तेजस्वी यादव के साथ वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी आदि नेता भी साथ रहेंगे. तेजस्वी पूर्णिया में सभा कर चुके हैं, अब जमुई में उनकी रैली होगी.

पहले चरण में कहां क्या है स्थिति

गया:पहले चरण में इस सुरक्षित सीट पर जीतन राम मांझी और महागठबंधन से राजद के कुमार सर्वजीत के बीच सीधा मुकाबला है.

औरंगाबाद :भाजपा के सुशील कुमार सिंह और राजद के अभय कुशवाहा के बीच कांटे की टक्कर हो रही है.नवादा:

इस सीट पर दोनों ही गठबंधन के उम्मीदवार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. एनडीए में भाजपा ने जहां राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं महागठबंधन में राजद ने श्रवण कुशवाहा पर अपना दाव लगाया है.

जमुई :इस सुरक्षित सीट पर दोनों ही गठबंधनों के उम्मीदवार बिलकुल नये हैं. एनडीए में लोजपा रामविलास से चिराग पासवान ने अपने बहनोई अरुण भारती को उम्मीदवार बनाया है.वहीं दूसरी ओर उनके मुकाबले महागठबंधन में राजद ने अर्चना रविदास को उम्मीदवार बनाया है.

दूसरे चरण में किससे किसका मुकाबला

भागलपुर :

यहां जदयू और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. जदयू ने यहां से मौजूदा सांसद अजय मंडल को उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले यह सीट महागठबंधन में कांग्रेस की झोली में गयी है. कांग्रेस ने यहां स्थानीय विधायक अजीत शर्मा को उम्मीदवार बनाया है.बांका :इस सीट पर इस बार भी यादवी संग्राम हो रहा है. एक ओर एनडीए में जदयू ने मौजूदा सांसद गिरधारी यादव को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, महागठबंधन ने उनके सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव को उतारा है.

कटिहार :

यहां पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस और जदयू के बीच मुकाबला है. एनडीए में जदयू ने मौजूदा सांसद दुलालचंद गोस्वामी को अपना उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले कांग्रेस ने सोनिया-राहुल के करीबी पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर को मैदान में उतारा है.किशनगंज:यह कांग्रेस की सीटिंग सीट है. यहां कांग्रेस ने मौजूदा सांसद मो जावेद को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले एनडीए में जदयू ने मास्टर मुजाहिद को सिंबल देकर चुनाव मैदान में भेजा है.

पूर्णिया :

यहां लड़ाइ रोचक बनती जा रही है. महज चंद रोज पहले पूर्व सांसद पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में यह सोचकर कर लिया था कि उन्हें पूर्णिया से उम्मीदवारी दी जायेगी. लेकिन, पप्पू यादव यहां राजद-कांग्रेस गठजोड़ से मात खा गये. राजद ने यहां अपना उम्मीदवार पूर्व मंत्री बीमा भारती को घोषित कर दिया. वहीं कांग्रेस ने यह कह कर पप्पू को अकेला छोड़ दिया कि महागठबंधन में यह सीट राजद को मिली है. अब पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोक कर खड़े हैं .——————————————–पहला चरण, वोट : 19 अप्रैल शुक्रवार

लोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधनऔरंगाबाद : सुशील सिंह (भाजपा)- अभय कुशवाहा (राजद)

गया : जीतन राम मांझी(हम)-कुमार सर्वजीत(राजद)नवादा : विवेक ठाकुर (भाजपा)-श्रवण कुशवाहा(राजद)जमुई : अरुण भारतीलोजपा) – अर्चना रविदास (राजद)

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दूसरा चरण: वोट-26 अप्रैल

लोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधन

किशनगंज : मो जावेद (कांग्रेस)- मास्टर मुजाहिद (जदयू)

कटिहार : दुलालचंद गोस्वामी (जदयू)- तारिक अनवर(कांग्रेस)

पूर्णिया : संतोष कुशवाहा (जदयू)-बीमा भारती (राजद)भागलपुर : अजय मंडल (जदयू)- अजीत शर्मा(कांग्रेस)

बांका : गिरिधारी यादव (जदयू)-जयप्रकाश यादव (राजद)

———————तीसरा चरण : सात मई

लोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधनझंझारपुर : रामप्रीत मंडल (जदयू)- (राजद)

सुपौल : दिलेश्वर कमैत(जदयू)-(राजद)अररिया : प्रदीप सिंह(भाजपा)-(राजद)

मधेपुरा : दिनेश यादव(जदयू)- (राजद)खगड़िया : राजेश वर्मा (लोजपा रामविलास)

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चौथा चरण :13 मई

लोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधन

दरभंगा : गोपाल जी ठाकुर(भाजपा)- ललित यादव (राजद)

उजियारपुर : नित्यानंद राय(भाजपा) – (राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)

समस्तीपुर : शांभवी चौधरी (लोजपा रामविलास)-(कांग्रेस -उम्मीदवार घोषित नहीं)

बेगूसराय : गिरिराज सिंह(भाजपा) – अवधेश राय (सीपीआइ-उम्मीदवार घोषित नहीं )

मुंगेर : ललन सिंह(जदयू)-अनीता देवी (राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)पांचवां चरण : 20 मई

लोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधनसीतामढ़ी : देवेश चंद्र ठाकुर (जदयू)-(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)

मधुबनी : अशोक यादव(भाजपा)-मो अली अशरफ फातमी (राजद)मुजफ्फरपुर : राजभूषण चौधरी (भाजपा)-(कांग्रेस- उम्मीदवार घोषित नहीं)

सारण :राजीव प्रताप रूडी(भाजपा)-रोहिणी आचार्य(राजद)हाजीपुर : चिराग पासवान(लोजपा रामविलास)-(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)छठा चरण : 25 मईलोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधनवाल्मीकीनगर : सुनील कुमार(जदयू)-(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)पश्चिम चंपारण : संजय जायसवाल (भाजपा)-(कांग्रेस- उम्मीदवार घोषित नहीं)पूर्वी चंपारण : राधामोहन सिंह(भाजपा) -(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)शिवहर : लवली आनंद(जदयू)- (राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)वैशाली : वीणा देवी(लोजपा रामविलास)- (राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)गोपालगंज : डा आलोक सुमन(जदयू)-(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)सीवान : राजलक्ष्मी कुशवाहा (जदयू)-(अवध बिहारी चौधरी)महाराजगंज : जनार्दन सिंह सीग्रीवाल (भाजपा)- (कांग्रेस- उम्मीदवार घोषित नहीं)सातवां और अंतिम चरण : पहली जूनलोकसभा सीट : एनडीए-महागठबंधननालंदा : कौशलेंद्र कुमार(जदयू)- संदीप सौरव (भाकपा माले)पटना साहेब : रविशंकर प्रसाद (भाजपा)-(कांग्रेस- उम्मीदवार घोषित नहीं)पाटलीपुत्र : रामकृपाल यादव(भाजपा)- मीसा भारती(राजद)आरा : आरके सिंह(भाजपा)- सुदामा प्रसाद(भाकपा माले)

बक्सर : मिथिलेश तिवारी(भाजपा)-सुधाकर सिंह (राजद)सासाराम : शिवेश राम(भाजपा)-(कांग्रेस)

काराकाट : उपेंद्र कुशवाहा(रालोमो)-राजाराम सिंह(भाकपा माले)जहानाबाद : चंदेश्वर प्रसाद(जदयू)-(राजद- उम्मीदवार घोषित नहीं)

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जातीय और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर भारी विकास की राजनीति

–बिहार की ग्रोथ रेट से बढ़ रही आर्थिक समृद्धि, वोटिंग ट्रेंड पर डालेगा असर

वर्ष 2000 तक राज्य में सामाजिक न्याय की राजनीति पर था जोर

राजदेव पांडेय ,पटना

Loksabha Election 2024: सियासत के इस दौर में जातीय और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण आधारित वोटिंग के अंधेरे को दूर करने में विकास दर (ग्रोथ रेट) बड़ा टूल साबित हो सकती है. यह देखते हुए कि लोगों की आर्थिक उन्नति मतदाताओं विशेषकर महिलाओं और युवाओं को वोटिंग के नजरिये में उदार बनायेगी, जिसका असर बेहतर प्रत्याशी चयन के रूप में देखा जा सकता है.

90 के दशक में विकास दर थी 2.69 फीसदी, अब दस से ज्यादा

सकारात्मक बात यह है कि राज्य की विकास दर इस समय देश में सबसे अधिक 10.68 फीसदी है, जो 90 के दशक से मात्र 2.69 फीसदी थी. सामाजिक न्याय के साथ अब विकास की राजनीति पर दोनों बड़े गठबंधन मसलन ””इंडिया”” और एनडीए दोनों का जोर है. हालांकि, इस चुनाव में विकास के साथ जातीय गणना आधारित सामाजिक न्याय का छौंक भी रहेगा. सियासी विश्लेषकों के मुताबिक 90 के दशक में बिहार में उभरती नयी सियासी ताकतें सरकार में आने के बाद सामाजिक न्याय पर केंद्रित थीं. इसमें कास्ट (जाति) सबसे अहम फैक्टर माना गया. लिहाजा, उस समय राज्य की औसत आर्थिक विकास दर 2.69 % प्रतिशत के आसपास रही. चूंकि पिछले एक दशक से राज्य में चाहे वह कोई भी गठबंधन की सरकार रही हो, उसका फोकस विकास की राजनीति पर है. लिहाजा, बिहार में वर्तमान विकास दर 10.64 % तक पहुंच गया है.

विकास की राजनीति के केंद्र में महिला और यूथ

आद्री के सामाजिक आर्थिक जानकार अमित कुमार बख्शी के मुताबिक 90 के दशक या यू कहें कि 20वीं सदी के अंतिम दशक तक बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति रही. इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर मसलन, सड़क, फ्लाइओवर, बिजली, पानी जैसे मुद्दे कुछ पीछे थे. राजनीति के जरिये सामाजिक उत्थान महत्वपूर्ण था. इसके फायदे भी हुए. पीछे छूटे लोगों को राजनीति में आने मौका मिला. अब पिछले करीब दो दशकों से बिहार में विकास की राजनीति पर फोकस किया जा रहा है. चूंकि विकास की राजनीति में सबसे अहम फायदा महिलाओं को मिला. इस दौरान उनका वोटिंग प्रतिशत भी बढ़ा है. जाहिर है जाति की राजनीति को क्लास (महिला वर्ग) की सियासत ब्रेक करती रही है. युवा वर्ग का फोकस रोजगार पर है.

राज्य में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा

जब से विकास की राजनीति का कॉन्सेप्ट बिहार में प्रभावी हुआ है, तो तब से महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. उदाहरण के लिए 2004 में महिलाओ का वोटिंग प्रतिशत 51.62 था. पिछले दो चुनावों 2014 में 56.26 और 2019 के चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ कर 57.33 हो गया. दरअसल, यह वह दौर था, जब आधारभूत संरचाओं पर सरकारों ने खूब खर्च किया. इससे पहले सामाजिक न्याय के दौर की राजनीति में महिला वोटिंग प्रतिशत, 1985 में 50.25, 1991 के चुनाव में 49.44 और 1996 में 50.40 फीसदी रहा. हालांकि, 1998 और 1999 के कम अंतराल के बीच हुए चुनाव में वोटिंग प्रतिशत महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 54 फीसदी तक बढ़ गया था.कोट

निश्चित तौर पर बिहार बदल रहा है. विकास लोगों का नजरिया बदलता है. विकास के विभिन्न कारक मसलन नौकरी और मूलभूत सुविधाएं बढ़ने से लोगों की सोच बदलती है. वे जाति से परे विभिन्न मसले पर फोकस करते हैं. चिंता की बात यह है इसके बाद भी प्रत्येक दल जातीय आधारित प्रत्याशी देख रहा है. फिलहाल आर्थिक समृद्ध बिहार की राजनीति में असर जरूर डालेगा. कितना डालेगा, यह नहीं का जा सकता है.-प्रो विजय कुमार लाल, अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष ,समाजशास्त्र पटना विश्वविद्यालय

ताकि सनद रहे———-

बढ़ी है प्रांतीयता की भावना ——

कोरोना काल के बाद बिहार में प्रांतीय भावना प्रबल हुई है. लोग अपने राज्य में ही बेहतर भविष्य तलाश रहे हैं. बेतिया का चनपटिया मॉडल अप्रवासी बिहारियों ने ही दिया है. चंपारण से लेकर मुजफ्फरपुर तक हजारों की संख्या में कुशल श्रमिकों ने उद्यमिता शुरू की है. खासतौर पर टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्रीज में इनकी अपनी धमक है. इसमें सभी कास्ट ओर क्लास के लोग हैं.

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एससी में सबसे अधिक पासवानों का रहा है प्रतिनिधित्व, अन्य जातियां पीछे

मुसहर और रविदास भी हैं राजनीतिक रूप से सशक्त, संवाददाता, पटना

Loksabha Election 2024: हाल के जातीय गणना के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में अनुसूचित जातियों की आबादी करीब 19.65 फीसदी है. इसमें करीब 22 जातियां शामिल हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से सशक्त केवल तीन जातियां ही दिखती हैं. इनका प्रतिनिधित्व हर स्तर के राजनीतिक मंच पर अन्य जातियों की अपेक्षा अधिक है. इनमें पासवान (दुसाध), मुसहर और रविदास शामिल हैं. इन तीनों की आबादी करीब 13.6 फीसदी है. वहीं अन्य 19 जातियों की आबादी करीब छह फीसदी है. ये जातियां राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में लगभग हाशिये पर हैं.

पिछली बार पासवान जाति के चार उम्मीदवार जीते थे चुनाव

बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति की आरक्षित सीटों पर छह उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. इसमें से चार सीटों पर पासवान जाति के उम्मीदवार जीते थे. वहीं एक सीट पर मुसहर और एक अन्य सीट रविदास जाति के खाते में गयी थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में यही समीकरण था. इस चुनाव में भी चार सीटों पर पासवान जाति के उम्मीदवार ही जीते. वहीं एक सीट पर मुसहर और एक सीट पर रविदास जाति के उम्मीदवार को जीत मिली थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर रविदास, एक मुसहर, एक पासी और एक सीट पर पासवान उम्मीदवार जीते थे. 2004 के लोकसभा चुनाव में सात सीट आरक्षित वर्ग के लिए थी. इसमें से चार सीट पर पासवान यानी दुसाध जाति के उम्मीदवार विजयी रहे. वहीं एक सीट पर मुसहर, एक सीट पर रविदास और एक सीट पर धोबी जाति के उम्मीदवार विजयी रहे.

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तब बिहार से जीता उम्मीदवार बन जाता प्रधानमंत्री, लेकिन यह हो न सका

रोचक प्रसंग संवाददाता, पटना

Loksabha Election 2024: यह साल 1989 का आम चुनाव था. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर चुलाव लड़ने के लिए यूपी के बलिया से महाराजगंज पहुंचे थे. महाराजगंज से चंद्रशेखर ने जनता दल के टिकट पर अपना परचा भरा. उन्होंने बलिया को नहीं छोड़ा था. बलिया लोकसभा सीट से भी वे उम्मीदवार थे. चुनाव हुए तो चंद्रशेखर बलिया और महाराजगंज दोनों ही सीटों से चुनाव जीत गये. अब उनके सामने एक सीट छोड़ने की चुनौती थी. कोई कह रहा था कि चंद्रशेखर का बलिया से पुराना नाता रहा है, इसलिए वे बलिया से ही सांसद रहेंगे. इधर, बिहार में महाराजगंज के मतदाताओं को उम्मीद थी कि चंद्रशेखर महाराजगंज से ही लोकसभा में जाना स्वीकार करेंगे. बिहार के जागरूक मतदाताओं को चंद्रशेखर के सत्ता शीर्ष पर पहुंचने की संभावना शायद दिखने लगी थी. कशमकश में रहे चंद्रशेखर ने अंतत: बलिया से ही सासंद होना तय किया और उन्होंने महाराजगंज लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया. इसी लोकसभा के कार्यकाल में चंद्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बने. यदि वे महाराजगंज लोकसभा सीट से सांसद बरकरार रहते, तो बिहार की झोली में प्रधानमंत्री का पद आ जाता. महाराजगंजवासियों को इसका मलाल रहा. चंद्रशेखर को महाराजगंज में 3,82,488वोट मिले थे, जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस के उम्मीदवार कृष्ण प्रताप को 1,65,170 वोट आये. वहां के लोगों को अब भी 1989 का वह चुनाव याद है. वे बताते हैंं कि चंद्रशेखर के उम्मीदवार बनने से ही इलाके में वोटरों का उत्साह चरम पर था. चंद्रशेखर की राष्ट्रीय नेता की छवि थी. ऐसे में देश विदेश के पत्रकारों की टोली भी चुनाव कवरेज करने महाराजगंज पहुंची थी. चंद्रशेखर युवा तुर्क के रूप में मशहूर थे. उनकी छवि ने युवाओं को खूब आकर्षित किया था. हालांकि,उनके मुंकाबले चुनाव मैदान में खड़े कांग्रेस उम्मीदवार कृष्ण प्रताप भी स्थानीय नेता थे और उनकी छवि भी साफ सुथरी थी. लेकिन, चुनाव परिणाम उनके विपरीत रहा.

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वामदलों ने छात्र संगठनों को सौंपी प्रचार की जिम्मेदारी

स्लोगन, सोशल मीडिया और बूथ मैनेजमेंट का देखेंगे कामकाज

संवाददाता, पटना

बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान राजद-कांग्रेस सहित अन्य दलों के सहयोग से आरा, काराकाट, खगड़िया और , नालंदा बेगूसराय में वामदल के उम्मीदवार उतरेंगे, जिनका सहयोग युवा कार्यकर्ताओं की एक बड़ी टीम करेगी और इसके लिए इन पांचों लोकसभा क्षेत्र में महागठबंधन के नेताओं के साथ होने वाली बैठक में युवाओं की भागीदारी भी बढ़ा दी गयी है, ताकि चुनाव प्रचार के दौरान इन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हो.

बनायेंगे प्रचार की रणनीति

वामदल ने युवा कार्यकर्ता यानी छात्र युवाओं को चुनाव प्रचार के दौरान स्लोगन, डोर-टू-डोर कैंपेन करने के दौरान वामदल के कार्यकर्ताओं के लिए भाषण, सोशल मीडिया और बूथ मैनेजमेंट की पूरी जिम्मेदारी दी गयी है. इनके लिए विधायक को लगाया गया है. ये युवा कार्यकर्ता सोशल नेटवर्किंग के जरिये लोकसभा क्षेत्र में महागठबंधन के पक्ष में प्रचार के लिए रणनीति बनायेंगे.

इन राज्यों से पहुंचेंगे वामदल के छात्र संगठन

वामदल के छात्र संगठन बिहार, यूपी, दिल्ली, कोलकाता, झारखंड सहित दक्षिण के कुछ एक राज्यों से पहुंचेंगे. वहीं दिल्ली के जेएनयू और पटना विवि के छात्र नेता एक साथ मिलकर काम करेंगे. इनके लिए कोर कमेटी भी बना दी गयी है, जो प्रचार के दौरान एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने में सहायक होगी. यह कमेटी तय करेगी कि किस दिन किस जगह पर प्रचार करना है.

अन्य संगठन डोर-टू-डोर करेंगे प्रचार-प्रसार

वामदल ने किसान, मजदूर संगठनों को डोर-टू-डोर प्रचार के लिए रखा है. ये घर-घर पहुंच कर मतदाताओं से मिलेंगे और मतदान के लिए प्रोत्साहित करेंगे. इसमें महिलाओं की अहम भूमिका होगी. इसके लिए जिलों में महिलाओं की बैठक की गयी है, जिसमें ब्रांच कमेटी की सभी महिलाएं शामिल हुई थीं.

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दोनों गठबंधनों का फोकस युवा वोटरों पर

सबहेड : उत्तर बिहार की 11 लोकसभा सीटों पर 18 से 29 साल के वोटर 26 फीसदी से अधिक

पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं को अपने-अपने पक्ष में बूथ तक लाने की पहल कर रहे सभी दल

अनुज शर्मा , मुजफ्फरपुर

Loksabha Election 2024: लोकसभा के चुनावी रण में एक दूसरे से ”36” का आंकड़ा रखने वाले एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन का फोकस युवा वोटरों पर है. दोनों ही गठबंधन अधिक से अधिक युवाओं को अपनी तरफ मोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. अपनी जीत के लिए सभी ने युवा खासकर फर्स्ट टाइम वोटरों से बड़ी आस लगा रखी है. उत्तर बिहार के आठ जिले पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, शिवहर और समस्तीपुर की 11 लोकसभा सीटों पर 18 से 29 साल के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. इसी कारण भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस आदि प्रमुख पार्टियां कुल वोटर संख्या में 26.63 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले इन युवा वोटरों पर फिदा हैं. सभी दल पहली बार मतदान करने वाले युवाओं को बूथ तक लाने की पहल कर रहे हैं.

आठ जिलों में पहली बार मतदान करेंगे 262534 युवा

चुनाव आयोग के जनवरी 2024 के आंकड़े बताते हैं कि पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, शिवहर और समस्तीपुर जिला में एक जनवरी 2024 तक कुल मतदाता की संख्या एक करोड़ 86 लाख 19 हजार 114 थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर बिहार की 11 लोकसभा सीट पर पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं की संख्या करीब 262534 है. बेहतर जीवन के लिए नीतियां बनाने का काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन ओइसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) 15 से 29 वर्ष की आयु के बीच के उम्र वालों को युवा वोटरों के रूप में परिभाषित करता है. इस मानक से देखें तो यहां युवा वोटर (18 – 29 वर्ष ) की कुल संख्या 49 लाख 59 हजार 345 है. यही वह आधार है कि सभी दल इन युवाओं को अपने- अपने पक्ष में मत देने के लिए प्रेरित करने का अभियान चला रहे हैं. यह काम भले ही यूथ विंग कर रहा है लेकिन नेतृत्व उनकी पार्टी के शीर्ष नेता कर रहे हैं. वह प्रभावी रणनीति के साथ दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

——–इंसेट———-

पूर्वी चंपारण में सबसे अधिक, शिवहर में सबसे कम फर्स्ट टाइम वोटर

देशभर में 1.84 करोड़ मतदाताओं की उम्र 18 से 19 वर्ष है. बिहार में यह संख्या 92 लाख 64 हजार 22 है. उत्तर बिहार के आठ जिला पूर्वी चंपारण , पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, शिवहर और समस्तीपुर जिले में 18 से 19 साल के कुल वोटर 262534 हैं. वहीं, 20-29 साल के वोटर की संख्या करीब 4696811 है. पहली बार वोट करने जा रहे युवाओं की जिलेवार संख्या की बात करें तो सबसे अधिक पूर्वी चंपारण में 45678 है. सबसे कम फर्स्ट टाइम वोटर शिवहर जिला में हैं. यहां मात्र 4199 वोटर हैं. वहीं, 18 से 29 साल के वोटर की संख्या पूर्वी चंपारण में 828412, पश्चिमी चंपारण 599041, सीतामढ़ी 60045, दरभंगा 686753, मुजफ्फरपुर 703402, मधुबनी 740670 , शिवहर 78170 और समस्तीपुर में 722852 वोटर हैं.

——–इंसेट———-

पुराने परिणामों ने युवाओं को बनाया ” चहेता ”

उत्तर बिहार में युवाओं को केंद्र में रखकर कैंपेन चलाने की खास वजह 2014 और 2019 के चुनाव परिणाम हैं. युवा वोटर के स्पष्ट निर्णय ने उनको सभी दलों का सबसे अधिक चहेता बनाया है. चुनाव विश्लेषक और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार के हवाले से जारी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ”34.4 प्रतिशत युवा वोटर ने बीजेपी या उसके द्वारा समर्थित उम्मीदवार को वोट किया था. अठारह से बाईस वर्ष के इन वोटरों ने भाजपा को कांग्रेस और समर्थित उम्मीदवारों के मुकाबले दोगुना वोट दिया.

——–इंसेट———-

जदयू की है ये तैयारी ( फोटो के साथ वर्जन )

बिहार के एक- एक वोटर तक जदयू कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं. युवा वोटरों की संख्या सबसे अधिक है, इसी को ध्यान में रखकर प्रचार की रणनीति बनाई है. नीतीश सरकार में अब तक युवाओं को लेकर जो भी योजनाएं चलायी गयी हैं उनको केंद्रित करते हुए हम युवा वोटर तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर प्रचार रथों का उपयोग किया जा रहा है.

नीतीश पटेल, प्रदेश अध्यक्ष, युवा जदयू

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कांग्रेस युवाओं से कर रही रोजगार का वादा

कांग्रेस बिहार के युवाओं को रोजगार की गारंटी देती है. हमारे नेता राहुल गांधी की सोच हर हाथ को काम है. देशभर में 30 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी, सेना में अग्निवीर की जगह पुरानी बहाली व्यवस्था लागू करने आदि मुद्दा- वादा के साथ युवाओं के बीच जा रहे हैं.

राजेश राठौड़, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस ( बिहार )

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तेजस्वी के चेहरे पर वोट मांग रहा राजद

हमारे नेता तेजस्वी यादव खुद युवा हैं.बिहार के युवा के बीच स्पष्ट संदेश है कि तेजस्वी यादव यानी नौकरी की गारंटी. इसी भाव और योजना के साथ राजद युवा वोटरों तक अपनी बात पहुंचा रहा है.

अरुण यादव, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

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पीएम के संदेश के साथ युवाओं तक जा रही भाजपा

पीएम मोदी के प्रति युवा वोटरों में गजब का आकर्षण है. पीएम की अपील के बाद युवाओं में काफी उत्साह है. ” मेरा पहला वोट देश के लिए ” अभियान चलाया जा रहा है. इसे अपार समर्थन मिल रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये मूल मंत्र को लेकर भाजपा एक- एक युवा वोटर से संपर्क कर रही है. इस बार भी भाजपा युवाओं की भी पहली पसंद होगी.

प्रभात मालाकार, प्रदेश सह मीडिया प्रभारी भाजपा बिहार

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