16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दक्षिण से तय होगा दिल्ली का रास्ता, कर्नाटक में दो चरणों में 26 अप्रैल व 7 मई को मतदान, आंध्र में 13 मई को

इस बार दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश के रास्ते नहीं, बल्कि दक्षिण से तय होगा. कर्नाटक में दो चरणों में 26 अप्रैल व 7 मई को मतदान है. आंध्र में 13 मई को वोटिंग होगी.

लोकसभा चुनाव के लिए मतदान में अब चंद दिन ही बचे हैं. लिहाजा, सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है. भाजपा दक्षिण में पार्टी की पकड़ को मजबूत करने को लेकर लगातार कई अहम फैसले लेती रही है. वहीं, कांग्रेस भी दक्षिण में अपनी दावेदारी साबित करने में लगी है.

कर्नाटक में जहां लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सामने विधानसभा का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती होगी, वहीं भाजपा का फोकस इस बात पर है कि बूथ स्तर पर संगठन को कैसे मजबूत किया जाये, उन बूथों पर विशेष जोर दिया जाये, जहां भाजपा अपेक्षाकृत कमजोर है. इसके साथ ही उन क्षेत्रों के बारे में जहां भाजपा कम मजबूत है, वहां पर तमिल संगमम की तरह कार्यक्रम किये जाने की योजना बनायी गयी है.

कर्नाटक : खरगे की प्रतिष्ठा का सवाल, भाजपा मोदी की गारंटी के सहारे

कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें आती हैं. कर्नाटक को दक्षिण भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है. यहां दो चरणों में 26 अप्रैल व सात मई को वोट डाले जायेंगे. यहां कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल जुड़ गया है. कर्नाटक में मई, 2023 में संपन्न विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल कर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. 224 सदस्यीय विधानसभा में उसे 135 सीटें मिलीं और भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी.

Also Read : लोकसभा चुनाव 2024: ‘सीता’ और ‘रावण’ के बाद अब राजनीति की रणभूमि में ‘राम’

इससे राष्ट्रीय स्तर पर मल्लिकार्जुन खरगे को काफी मजबूती मिली. मगर, अब उनके सामने 2019 के लोकसभा चुनाव के दु:स्वप्न को पीछे छोड़कर नयी कहानी लिखने की चुनौती है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यदि कांग्रेस खरगे के गृह राज्य में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो इससे न केवल पार्टी में बल्कि विपक्षी गठबंधन में भी उनका प्रभाव बढ़ेगा और गठबंधन में पार्टी की स्थिति और मजबूत होगी. इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में मोदी की गारंटी के सहारे आगे बढ़ने की तैयारी में हैं. देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में मोदी फैक्टर कितना कारगर साबित होगा.

दलित-वंचितों को साधने में सभी राजनीतिक दल आगे

मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस मुख्य रूप से पांच गारंटी लागू करने की बात कर रही है. इसके अलावा पार्टी जनाधार बढ़ाने, खासतौर पर दलितों तथा वंचित वर्गों से संपर्क साधने के लिए खरगे फैक्टर को भुनाने का प्रयास करेगी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, कांग्रेस को राज्य में सत्तारूढ़ दल होने का फायदा मिलेगा. वह राज्य सरकार के किये गये कार्यों को लेकर जनता के सामने जायेगी कि उसने चुनाव से पहले जो वादे किये, उसे पूरा कर रही है.

Also Read : Lok Sabha Election 2024: बारामती में ननद-भाभी के बीच रोमांचक मुकाबला, सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा

आंध्र प्रदेश : नेल्लोर में राजनीतिक राजवंशों का दबदबा

नेल्लोर. आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले की राजनीति में उन प्रमुख परिवारों का दबदबा है, जिनकी विरासत 1955 में हुए राज्य के पहले विधानसभा चुनाव से जुड़ी है. ये परिवार सुविधा से राजनीतिक दल बदलते रहते हैं. हालांकि, इससे क्षेत्र में उनके प्रभाव पर कोई असर नहीं पड़ता और वे मजबूत बने हुए हैं. इन परिवारों के सदस्य चाहे किसी भी राजनीतिक दल में क्यों न हों, मजबूत जनाधार के कारण उनका पीढ़ियों से इस क्षेत्र में दबदबा कायम है. आगामी चुनावों में भी इन प्रभावशाली परिवारों के वंशज अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें