MP Election 2023 : मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में एक महीने से भी कम का वक्त बचा है. प्रदेश के कई दिग्गज चेहरों की बात इस बीच चुनाव के दौरान हो रही है. बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर अपनी दूसरी सूची जब जारी की थी तो लोग चौंक गये थे. इस लिस्ट में एक नाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) का है जिन्हें बीजेपी ने उनके गृहनगर इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से चुनावी समर में उतारा है. विजयवर्गीय अपने गृहनगर इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-1 से उम्मीदवार हैं. फिलहाल कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला (Sanjay sukhla) इस सीट की विधानसभा में नुमाइंदगी करते हैं और इस बार यहां से कांग्रेस ने उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनाया है. कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद राजनीतिक पारा चढ़ चुका है. कैलाश विजयवर्गीय और संजय शुक्ला एक दूसरे पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.
इंदौर-1 विधानसभा सीट का समीकरण क्या है जानें
इंदौर-1 विधानसभा सीट पर नजर डालें तो यहां 3 लाख 48 हजार मतदाता हैं. इस विधानसभा में 178819 पुरुष मतदाता है जबकि 169107 महिला मतदाताओं की संख्या हैं. विधानसभा क्रमांक-01 पर अधिकांशतः बीजेपी का कब्जा रहा है. इस क्षेत्र की बात करें तो यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. जैन समुदाय के मतदाता भी इस सीट पर हार-जीत में बड़ी भूमिका अदा करते दिखते हैं. 2013 के चुनाव पर नजर डालें तो यहां बीजेपी ने सुदर्शन गुप्ता को मैदान में उतारा था. उन्हें 99558 वोट देकर मतदाताओं ने विजय दर्ज करवाया था. 2013 के चुनाव में निर्दलीय कमलेश खंडेलवाल को 54176 वोटों अंतर से सुदर्शन गुप्ता ने हराया था. वहीं कांग्रेस के दीपू यादव को 37595 मतों से ही संतोष करना पड़ा था.
कौन हैं कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय की बात करें तो वे इंदौर के एक सक्रिय राजनेता हैं जो वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर काबिज हैं. उन्होंने इंदौर से बीजेपी से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने इंदौर के महापौर के रूप में भी सेवा दी. वे छह बार विधायक बने. उन्होंने कभी भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना नहीं किया. एक नजर उनके राजनीतिक जीवन पर डालते हैं…
1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के इंदौर अध्याय से कैलाश विजयवर्गीय ने 1975 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और आगे बढ़ते गये.
1983 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर नगर निगम के पार्षद बने.
1990 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-4 से विधानसभा के लिए चुने गए. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के इकबाल खान को इस सीट से हराया.
1992 में कैलाश विजयवर्गीय बीजेवाईएम के राज्य उपाध्यक्ष बने.
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1993 में इंदौर -2 से विधानसभा में फिर से निर्वाचित हुए. इस बार कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस उम्मीदवार कृपा शंकर शुक्ला को पराजित किया.
1998 में कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर -2 से फिर से विधानसभा चुनाव जीत लिया. उन्होंने कांग्रेस पार्टी की डॉ. रेखा गांधी को पराजित किया.
2000 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के लिए महापौर के रूप में चुने गए थे. विजयवर्गीय इंदौर नगर निगम के पहले निर्वाचित मेयर बने थे.
2001 में कैलाश विजयवर्गीय अखिल भारतीय परिषद के महापौर के अध्यक्ष के रूप में फिर से निर्वाचित किया गया.
2003 में कैलाश विजयवर्गीय ने फिर से इंदौर-2 से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के अजय राठौर को हराया.
2005 में कैलाश विजयवर्गीय को फिर से लोक निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में 4 दिसंबर 2005 को शिवराज सिंह के कैबिनेट में शामिल किया गया.
2008 के विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने डॉ अम्बेडकर नगर-एमएच से चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार को पराजित किया था.
2013 में कैलाश विजयवर्गीय ने फिर से अम्बेडकर नगर-एमएच से विधानसभा चुनाव जीता. इसके बाद वे आईटी और उद्योग मंत्री बने. तीसरी कैबिनेट (2013 के बाद के चुनावों) में भी विजयवर्गीय ने शहरी विकास का पोर्टफोलियो प्राप्त किया.
2014 में विजयवर्गीय को हरियाणा के लिए बीजेपी चुनाव अभियान का प्रभारी बनाया गया जो उनकी बड़ी सफलताओं में से एक है.
2015 में विजयवर्गीय को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल में बीजेपी का नया नेता नियुक्त किया गया.
अब 2023 में बीजेपी ने उन्हें इंदौर-1 सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा है.