Rajasthan Electon 2023 : राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो चली है. इस बीच कई सीटों की चर्चा सूबे में हो रही है. इन सीटों में जोधपुर की सरदारपुरा सीट भी एक है जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परंपरागत सीट है. सरदारपुरा सीट से बीजेपी ने महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. आपको बता दें कि अशोक गहलोत पांच बार सांसद और पांच बार विधायक, तीन बार मुख्यमंत्री, तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. वसुंधरा राजे समर्थक राठौड़ को टिकट देकर बीजेपी ने गहलोत की राह आसान कर दी है. समर्थकों का मानना है कि गहलोत को अपनी सीट को लेकर किसी तरह की परेशानी खड़ी नहीं होनेवाली है. आइए जानते हैं इस सीट का समीकरण क्या है…
सरदारपुरा विधानसभा की बात करें तो 1967 में डी दत्त ने जनसंघ पार्टी से चुनाव जीता था. इसके बाद देखें सूची
-1972 में अमृत लाल गहलोत जो कांग्रेस प्रत्याशी थे.
-1977 में माधो सिंह जो जनता पार्टी से प्रत्याशी थे.
-1980 में मानसिंह देवड़ा जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-1985 में मानसिंह देवड़ा जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-1990 में राजेंद्र गहलोत जो भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी थे.
-1993 में राजेंद्र गहलोत जो भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी थे.
-1998 में मानसिंह देवड़ा जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-1998 (उपचुनाव) में अशोक गहलोत जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-2003 में अशोक गहलोत जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-2008 में अशोक गहलोत जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-2013 में अशोक गहलोत जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
-2018 में अशोक गहलोत जो कांग्रेस से प्रत्याशी थे.
किन्हें लुभाना है जरूरी
सरदारपुरा क्षेत्र पर नजर डालें तो यह जोधपुर की ही एक विधान सभा है. इसमें जोधपुर के मेहरानगढ़ और मंडोर होने से पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इसकी गिनती होती है. वहीं जातीय समीकरण की बात करें तो सरदारपुरा क्षेत्र में राजपूत और जाट, अल्पसंख्यक और ओबीसी वर्ग के लोग निर्णायक भूमिका निभाते नजर आते है. जिस पार्टी ने इनको लुभाने में कामयाबी हासिल की जीत उनकी पक्की हो जाती है. वहीं जाट और माली ओबीसी वर्ग के वोट भी काफी संख्या इस क्षेत्र में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी माली समाज से आते हैं जिसका उन्हें लाभ मिलता है. वोट प्रतिशत की बात करें तो पिछले चुनाव यानी 2018 के चुनाव में 64 प्रतिशत वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़े थे.
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बीजेपी ने सरदारपुरा सीट से महेंद्र सिंह राठौड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है. राठौड़ की बात करें तो वो जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के पूर्व अध्यक्ष हैं. जानकारों की मानें तो बीजेपी के महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारने के पीछे राजपूत वोट को साधना है. जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर पर रहकर भी उन्होंने अपनी सेवा दी.
क्या है राजस्थान का ट्रेंड
पिछले छह विधानसभा चुनाव का इतिहास को उठाकर देख लें तो राजस्थान का ट्रेंड समझ में आ जाता है. जनता हर साल सरकार बदल देती है.
1. अशोक गहलोत (कांग्रेस)-17 दिसंबर 2018 से अबक
2. वसुंधरा राजे सिंधिया(बीजेपी)-13 दिसंबर 2013 से 16 दिसंबर 2018
3. अशोक गहलोत (कांग्रेस)-12 दिसंबर 2008 से 13 दिसंबर 2013
4. वसुंधरा राजे सिंधिया (बीजेपी)-08 दिसंबर 2003 से 11 दिसंबर 2008
5. अशोक गहलोत(कांग्रेस)-01 दिसंबर 1998 से 08 दिसंबर 2003
6. भैरों सिंह शेखावत(बीजेपी)-04 दिसंबर 1993 से 29 नवंबर 1998
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गौर हो कि राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होने हैं. बीजेपी और मौजूदा कांग्रेस की सरकार के बीच सीधी जंग इस चुनाव में देखने को मिल रही है. 2018 में 200 सदस्यीय सदन में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी 73 सीट पर सिमट गयी थी. अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने निर्दलीय और बसपा के समर्थन से सरकार बनाई थी और सूबे की कमान अशोक गहलोत के हाथों में दी गयी थी. सरकार ने अपने पांच साल पूरे कर रही है.