Amitabh Bachchan Birthday : आज बाॅलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन अपना 80वां जन्मदिवस मना रहे हैं. इस मौके पर हमें इलाहाबाद से सीबीएसई ऑफिस में कार्यरत रजनी ‘सुभाष’ ने अपना संस्मरण भेजा है. इस संस्मरण में उन्होंने बताया कि अपने पिता डाॅ हरिवंश राय बच्चन के निधन के बाद महानायक अपने पैतृक शहर इलाहाबाद आये थे और उनका अस्थि विसर्जन संगम में किया था.
रजनी बताती हैं कि बात जनवरी 2003 की है. कविवर हरिवंश राय बच्चन जी का अस्थि कलश संगम में विसर्जन करने के लिए उनके पुत्र महानायक अमिताभ बच्चन स्वयं साहित्यकारों की नगरी हां, हमारी संगम नगरी आ रहे थे. इलाहाबाद के बमरौली हवाई अड्डे से उतरकर उन्हें सीधा संगम जाना था. पूरा शहर एक दिन पहले से ही इंतजार में पलके बिछाए बैठा था कि वो अपने प्रिय कवि के अस्थि कलश को नमन कर सकें.
मैं भी बेचैन थी अपने प्रिय महानायक के दर्शन और पूज्य कवि के अस्थि कलश को नमन करने के लिए . इलाहाबाद के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर होर्डिंग और फ्लैक्स लगे थे, जिनपर बच्चन जी की कविताएं अंकित थीं. हर छोटी गलियों ,सड़कों पर लगे बैनर पोस्टर में बच्चन जी की अमर कृति मधुशाला की पंक्तियां लिखी हुई थी.. ‘राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला’.
सुबह मैं रोज के अपेक्षा जल्दी ऑफिस के लिए निकल पड़ी. उन दिनों सीबीएसई का कार्यालय इलाहाबाद के नीमसराय में हुआ करता था. जीटी रोड से महज 300 मीटर की दूरी पर कार्यालय था. महानायक को इसी जीटी रोड से गुजरना था.
ऑफिस में काम में मन नहीं लग रहा था. बार-बार जेहन में ख्याल आ रहा था कि कहीं मैं वंचित न रह जाऊं देखने से. सहसा ही मधुशाला की पंक्तियों की आवाज मुझे सुनाई पड़ी और मैं बिना कुछ सोचे समझे दौड़ती हुई सड़क पर जा पहुंची. ढेर सारे लोग एकत्र थे, कविवर को अंतिम विदाई देने को. मैंने देखा फूलों से सुसज्जित रथ समान गाड़ी पर गमगीन महानायक अमिताभ बच्चन अपनी पत्नी और पुत्र के साथ बैठे थे.
सफेद पायजामा कुर्ता में अमिताभ बच्चन हाथ जोड़ सबका अभिवादन कर रहे थे. मधुशाला की पंक्तियां गूंज रही थीं और मैं अपलक निहार रही थी अद्भुत व्यक्तित्व और अपने प्रिय हीरो को. गौरतलब है कि डाॅ हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद के मुट्ठीगंज इलाके में रहा करते थे. अमिताभ बच्चन का जन्म भी यहीं हुआ था. मुट्ठीगंज की गलियों में ही अमिताभ बच्चन का बचपन बीता था. अमिताभ बच्चन का अपने पैतृक शहर इलाहाबाद से गहरा नाता रहा है.
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