Article 370: यामी गौतम और प्रियामणि स्टारर आर्टिकल 370 आगामी 23 फरवरी को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. यह फिल्म उन घटनाओं पर आधारित है, जिसके कारण जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा यानी धारा 370 रद्द किया गया था. सच्ची घटनाओं से प्रेरित बतायी जा रही इस पॉलिटिकल ड्रामा फ़िल्म के निर्देशन की बागोडर डायरेक्टर आदित्य सुहास जंभाले ने संभाली है, जबिक उरी फ़ेम निर्देशक आदित्य धर ने फिल्म का निर्माण किया है. इस फ़िल्म की मेकिंग से जुड़े दिलचस्प पहलुओं पर उर्मिला कोरी का यह आलेख….
ऐसे आया था फिल्म का आईडिया
उरी के बाद निर्देशक आदित्य धर फिल्म अस्वत्थामा पर काम कर रहे थे. आर्टिकल 370 फिल्म के लेखन औरनिर्माता के तौर पर जुड़े आदित्य धर बताते हैं कि फिल्म बनाने का आईडिया कैसे आया. वह बताते हैं कि एक डेढ़ साल पहले हमारी एक पत्रकार दोस्त हैं, उनसे मुलाक़ात हुई थी. ऐसे ही बातों-बातों में बात निकली की. आर्टिकल 370 को कैसे रद्द किया गया था. बात बढ़ती गयी तो मैंने महसूस किया कि बहुत ही रोचक कहानी है. जैसे उरी में सभी को पता था कि सर्जिकल स्ट्राइक तो हुआ है, लेकिन कैसे हुआ है. किसी को नहीं पता था. वैसे ही जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 रद्द हुआ है. सबको पता है, लेकिन कैसे हुआ है. ये किसी को नहीं पता है. जब हम रिसर्च करने लगे. बाकी पत्रकारों से मिलने लगे. इतिहासकारों से मिलने लगे. डिफेन्स एनालिस्ट से मिलने लगे. डिफेन्स सर्विसेज के लोगों से मिलने लगे. लोकल कश्मीरियों से मिलने लगे तो हमने धीरे -धीरे समझ आने लगा कि यार ये तो बेहतरीन कहानी है और इतना बड़ा इवेंट एक भी मासूम जिंदगी को खोये बगैर हुआ है, जो इस ऐतिहासिक घटना को और भी खास बनाता है.हमें यकीन हो गया कि इस पर फिल्म बननी चाहिए. हमने सारे डॉट जोड़कर दो घंटे की स्क्रिप्ट लिखी.आर्टिकल 370 को रद्द करने वाले दिन ही नहीं, बल्कि उसके पहले कैसे -कैसे स्टेप लिए गए थे. वो बहुत ही बेहतरीन कहानी थी, जिसको हमने क्रोनोलॉजिकली बताने की कोशिश की है क्योंकि यह सत्य घटनाओं से प्रेरित है.
नौ ड्राफ्ट कहानी के गए थे लिखें
फिल्म के लिए सबसे अहम कहानी होती है.यह इस फिल्म से जुड़े हर किसी की सोच है. अपनीलघु फिल्मों के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके पहली बार फीचर फिल्म का निर्देशन कर रहे निर्देशक आदित्य जंभाले बताते हैं कि पांच महीने रिसर्च में गए थे क्योंकि एक जगह नहीं बल्कि कई लोग हमारे सोर्स थे. रिसर्च के बाद कहानी लिखी गयी.काफी ड्राफ्टस इस कहानी के लिखें गए थे. मुझे जहां तक याद आता है कि 9 ड्राफ्ट लिखें गए थे.हमारा एक राइटर रूम होता था. इस फिल्म के निर्माता आदित्य धर हैं उनकी कम्पनी का मानना है कि कोई बैड आईडिया नहीं होता है, जिस वजह से जब हम डिस्कशन करते तो हमारे राइटर्स मृणाल, अर्जुन धवल, आदित्य धर के साथ, युवा इंटर्न के साथ ऑफिस बॉय भी शामिल रहता था.आदित्य धर के बड़े भाई लोकेश जो प्रोडक्शम कंपनी के प्रमुख हैं . वो भी मौजूद रहते थे.सभी अपने आइडियाज देने को ओपन थे , तो यह बहुत ही लम्बा प्रोसेस होता है. स्क्रिप्ट पर हमारा बहुत ध्यान जाता है.हमें नहीं पता होता है कि किस दिन किसकी जुबान पर मां सरस्वती बैठ जाए और किसी की जुबान से कोई ऐसा आईडिया निकल आए, जो आपकी फिल्म को कहीं से कहीं लें जाए. हम हर दिन स्क्रिप्ट की एक – एक लाइन से गुज़रते थे ताकि उसे बेहतर बना सके तो काफी लम्बा समय हमने कहानी को डेवलपमेंट में लिया है.छोटे से छोटे घटनाओं से लेकर कहां से कहां बात चली कौन इसमें जुड़े थे. क्या कठिनाईयां आयी. हम पूरी सच्चाई परदे पर लाना चाहते थे.रोमांचकता बढ़ाने के लिए स्क्रीनप्ले में थोड़ा बहुत फिक्शन है लेकिन हमारा फिक्शन रियलिज्म को डिस्टर्ब ना करें यह हमारी पूरी कोशिश है.
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कश्मीर के डाउन टाउन में पहली बार किसी फिल्म हुई है शूटिंग
इस फिल्म की शूटिंग कश्मीर और दिल्ली में सबसे ज्यादा हुई है. कुछ सीन्स मुंबई में शूट हुए हैं.निर्देशक आदित्य जंभाले जानकारी देते हुए बताते हैं कि हमने ऐसी जगह पर शूटिंग की है, जहां कश्मीर के इतिहास में कभी किसी फिल्म की शूटिंग नहीं हुई है. हमारी पहली फिल्म होगी, जिसकी शूटिंग डाउन टाउन में हुई होगी. एक जमाने में अथॉरिटीज को भी डाउन टाउन में जाने की मनाही थी. वो बहुत संवेदनशील जगह रही है . हमने यामी गौतम के साथ फिल्म का महत्वपूर्ण सीन वहां शूट किया है. दो दिन शूट चला था. कई लोगों ने कहा रिस्की हो सकता है, लेकिन 370 के रद्द हो जाने की वजह से आसानी से हमने शूटिंग कर ली. मार्केट के साथ साथ इंटीरियर शूट भी वहां किया.लोकल ने बहुत सपोर्ट किया. वहां के एलजी हैं.डी जी हो या सीआरपीएफ वाले उन्होने बहुत सपोर्ट किया. आर्टिकल 370 हटने के बाद ही यह संभव हो पाया. जबकि आदित्य धर को अपनी फिल्म उरी के लिए सर्बिया जाना पड़ा था. कश्मीर की कहानी होते हुए भी वह उसे कश्मीर में नहीं शूट कर पाए थे क्योंकि उस वक़्त 370 था.5 अगस्त 2019 के बाद से हालात बदल गए हैं.
असल महिलाओं से प्रेरित हैं यामी और प्रियामणि के किरदार
फिल्म की कहानी की अहम धुरी यामी गौतम और प्रियामणि के किरदार हैं. आदित्य धर बताते हैं कि जभी हमने रिसर्च किया तो पाया कि पीएमओ की ब्यूरोक्रेटस थी, जिसकी अहम भूमिका आर्टिकल 370 को रद्द करने में थी. उनसे हमने प्रेरणा ली, जो प्रियामणि यानी राजेश्वरी का किरदार था. यामी जी का जो किरदार है, इंटेलीजेंट ऑफिसर्स का वो भी असल किरदार से प्रभावित है. घटनाएं इतनी रियल है कि उनको फिल्म में जोड़ते हुए हमारे रोंगटे खड़े हो जाते थे. यार ये ऐसे हुआ था. हम उसे अपनी फिल्म में दिखाने जा रहे हैं और पूरा देश अब उसे देखेगा. यह हमारी जिम्मेदारी है कि उसे उसी तरीके से दिखाए ताकि समाज के साथ साथ फिल्मेमेकिंग में भी वह बदलाव लेकर आए.क्यों दो महिलाएं के साथ हम कहानी को नहीं कह सकते हैं, जबकि वो असल चेहरा थी. हम चाहते तो आराम से किसी पुरुष पात्र को यह रोल में फिट कर सकते थे, और प्रॉफिट में खुद को पहुंचा सकते थे, लेकिन हम. कहानी के साथ न्याय करना चाहते थे.
यामी की प्रेग्नेंसी से पहले मुश्किल सीन शूट हो चुके थे
अभिनेत्री यामी गौतम अपने 12 साल के कैरियर में इस फिल्म के जरिये पहली बार इटेंस एक्शन अवतार में दिखेंगीं. ट्रेनिंग के बारे में जानकारी देते हुए वह बताती हैं कि हमारी इस फिल्म के लिए मिलिट्री एडवाइजर रिटायर्ड लेफिंनेंट कर्नल केशवेन्द्र सिंह थे वेपन ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर भूषण वर्तक थे, जो एनएसजी से जुड़े हुए हैं बहुत अच्छे मिलिट्री एडवाइजर इस फिल्म से जुड़े हैं. वेपन चलाना अलग बात है, लेकिन उसे पकड़ने की भी ट्रेनिंग होती है. क्या बेसिक होता है. वहां से ड्रिल्स तक वो सफर बहुत मज़ेदार था.इसके अलावा एमएमए ट्रेनिंग, फिजिकल ट्रेनिंग होती थी. उसमे मेरे कोच मुस्तफा थे. ऐसी एक्सरसाइजेस किए जिसका नाम भी नहीं सुना था. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रेग्नेंसी के बारे में भी पता चला, जो बहुत ही खास इस फिल्म को और बना गया लेकिन अच्छी बात यह थी कि जब तक पता चला जितने भी हार्डकोर सीन्स थे, ट्रेनिंग थी. सब हम पहले ही कर चुके थे. उसके बाद उतने मुश्किल एक्शन सीन नहीं थे. वैसे भी दो महत्वपूर्ण चीज को बैलेंस करना कहीं ना कहीं हमें आता है. मेरी मां ने भीसमझाया कि हम महिलाओं में बहुत क्षमता है. वैसे मेरा ख्याल रखने के लिए सेट पर आदित्य डॉक्टर्स की टीम रहती थी.
पिछले छह महीने से टीम मुश्किल से चार घंटे सो रही है
निर्माता आदित्य धर इस फिल्म से जुड़ी चुनौतियों की बात करते हुए कहते हैं कि कश्मीर की ठण्ड में शूट करना, ऊपर से कई दृश्य रात के थे. चोट भी एक परेशानी थी. यह आसान नहीं था. जुलाई से अब तक हमारी पूरी टीम शायद ही चार घंटे से ज्यादा सो रही है. दिन रात मेहनत कर रहे हैं. शूटिंग हैक्टिक था और अब पोस्ट प्रोडक्शन भी. इस फिल्म के लिए 1500-1600 वीएफएक्स शॉट थे. फिल्म में बैकग्राउंड स्कोर बहुत बेहतरीन है. उस स्कोर को क्रिएट करने में बहुत टाइम लग रहा था. हम कोशिश कर रहे थे कि जितना अच्छे से उसे क्रिएट कर सकें. शाश्वत सचदेव उरी के बाद हमारी इस फिल्म से भी जुड़े हैं. उरी के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड मिला था. यह सभी को पता है. शिव कुमार पानीकर फिल्म के एडिटर हैं. वह भी उरी में थे.डीओपी सिद्धार्थ का है. उरी में वह असिस्टेंट डीओपी और कैमरामैन थे. इस फिल्म में वह फुल डी ओपी बम गए हैं. प्रोडक्शन डिजाइन श्रीरामजी का है. उन्होने भंसाली के साथ काम किया है. हमारी युवा टीम हैं औसत उम्र 28 साल का है शायद सबसे अधिक मेरी उम्र है. हम एक बेहतरीन फिल्म दर्शकों को देना चाहते है.