आशा भोसले न केवल बॉलीवुड, बल्कि पूरे देश में सबसे प्रतिष्ठित, सफल और प्रभावशाली पार्श्व गायिकाओं में से एक हैं. आठ दशकों से अधिक के अपने करियर में उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं में फिल्मों और एल्बमों के लिए गाने रिकॉर्ड किए हैं और दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, चार बीएफजेए पुरस्कार, अठारह महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, एक लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और एक रिकॉर्ड सहित नौ फिल्मफेयर पुरस्कार सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं. साल 2000 में, उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2008 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने 2011 में भोसले को संगीत इतिहास में सबसे अधिक रिकॉर्ड किए गए कलाकार के रूप में स्वीकार किया. आज महान गायिक 90 साल की हो गई हैं.
90 साल की हुई आशा भोसले
आशा भोसले ने जीवन की कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह आज जब पीछे मुड़कर देखती हैं, तो उन्हें सबकुछ मजेदार लगता है. सदाबहार गायिका शुक्रवार को अपने जन्मदिन के खास मौके पर दुबई में एक ‘लाइव कॉन्सर्ट’ में शामिल हो रही हैं. उन्होंने कहा कि हमेशा बहने वाली नदी की तरह संगीत कभी खत्म नहीं होता. आठ दशक लंबे अपने गायन सफर की चर्चा करते हुए आशा भोसले ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ”90 साल की उम्र में, मुझे गाने के लिए तीन घंटे मंच पर खड़ा होना है, मुझे खुशी है कि मैं इस उम्र में भी ऐसा कर सकती हूं.”
90 साल की हुई आशा भोसले
आशा भोसले ने जीवन की कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह आज जब पीछे मुड़कर देखती हैं, तो उन्हें सबकुछ मजेदार लगता है. सदाबहार गायिका शुक्रवार को अपने जन्मदिन के खास मौके पर दुबई में एक ‘लाइव कॉन्सर्ट’ में शामिल हो रही हैं. उन्होंने कहा कि हमेशा बहने वाली नदी की तरह संगीत कभी खत्म नहीं होता. आठ दशक लंबे अपने गायन सफर की चर्चा करते हुए आशा भोसले ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ”90 साल की उम्र में, मुझे गाने के लिए तीन घंटे मंच पर खड़ा होना है, मुझे खुशी है कि मैं इस उम्र में भी ऐसा कर सकती हूं.”
सांस लेने जैसा है संगीत
उन्होंने 1943 में मराठी फिल्म ‘माझा बल’ के लिए अपना पहला फिल्मी गीत ‘चल चल नव बाला’ गाया था. करीब 80 साल के अनुभव और करीब 12,000 गीतों के बाद, आशा फिर से कार्यक्रम पेश करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘‘संगीत सांस लेने जैसा है और, यह हमेशा आसान नहीं रहा.’’ मीना कुमारी से लेकर काजोल सहित कई अभिनेत्रियों के लिए पार्श्व गायन कर चुकीं आशा भोसले ने हर ‘मूड’ के गाने गाए हैं.
आशा भोसले बोली- संगीत कभी खत्म नहीं होता
उन्होंने कहा, “हमारी सांसें नहीं होती हैं तो आदमी मर जाता है. मेरे लिए संगीत मेरी सांस है. मैंने इसी सोच के साथ अपना जीवन जिया है. मैंने संगीत को बहुत कुछ दिया है. मुझे काफी अच्छा लगता है कि मैं मुश्किल समय से उबर गई हूं. कई बार मुझे लगा कि मैं नहीं टिक सकूंगी, लेकिन मैं टिकी रही.’’ आशा भोसले ने कहा, ‘‘संगीत कभी खत्म नहीं होता, ये दरिया है, अगर कोई कहता है, ‘मैं पूर्ण हूं’, तो ऐसा कहना गलत है, क्योंकि कोई भी पूर्ण नहीं होता है. आपको हमेशा समय के साथ बदलना होता है.’’
आशा भोसले को इस बात का आज भी अफसोस
उन्होंने कहा, “मैंने मुख्य कलाकार के साथ ही नृत्य करने वालों के लिए भी गाने गाए हैं…काश मैंने विभिन्न भाषाओं में और गाने गाए होते. काश मैं और अधिक शास्त्रीय गायन कर पाती.’’पार्श्व गायिका ने कहा कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी संगीत उद्योग में उतार-चढ़ाव से निपटना आसान नहीं है, लेकिन उन्हें खुशी महसूस होती है कि वह कठिन दौर से उबर गईं. उन्होंने कहा, “हर क्षेत्र में, राजनीति है. फिल्मों में भी राजनीति है, इसलिए यह आसान नहीं है. मैं किस्मत में बहुत विश्वास करती हूं और मेरा माननाहै कि जो कुछ भी मेरे लिए है वह मुझे मिलेगा ही और जो मेरे लिए नहीं है, वह मुझे कभी नहीं मिल सकेगा. मैंने कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो यह सब मजेदार लगता है क्योंकि मैं उससे उबर गई.’’ (भाषा इनपुट के साथ)