पवन प्रत्यय
Bhojpuri Song साल 1982 में रिलीज फिल्म नदिया के पार के गाने हम सभी के जेहन में आज भी यादगार हैं.भोजपुरी और हिंदी मिले शब्दों वाले इस फिल्म के संवाद को भी लोगों ने काफी सराहा था. पुरानी भोजपुरी फिल्मों में और कालांतर के साथ बदले भोजपुरी फिल्मों के दौर में भी ‘मां’ आधारित गीत लिखे जाते रहे हैं. साल 1983 में निर्माता अशोकचंद जैन की फिल्म ‘गंगा किनारे मोरा गांव’ में एक गाना ‘गंगा किनारे मोरा गांव हो घर पहुंचा द देवी मईया, घर पहुंचा द माई से मिला द’ बड़ा ही मार्मिक ढंग से गाया गया था.
अश्लील गानों को लेकर तर्क-वितर्क
हालांकि भोजपुरी में हाल के दिनों में अश्लील गानों को लेकर काफी तर्क-वितर्क, वाद-विवाद किया जा रहा है. बावजूद इसके कई फिल्मों के गानों में समाज को संदेश देने वाले ओज हैं. साल 2020 में रिलीज हुई फिल्म ‘मेहंदी लगा के रखना 3’ में गीतकार मनोज भावुक लिखित गीत ‘अंचरा छोड़ा के चल काहे दिहले एतना दूर ए माई, अब के बबुआ -बबुआ कहिके हमके पास बोलाई’ को भी लोगों ने काफी सराहा. इस फिल्म में बतौर अभिनेता खेसारी लाल यादव हैं. युवा गायक नीलकमल ने इस गाने को स्वर दिया है.
‘रुस गइलें सइयां हमार’
‘माई’ पर आधारित गानों के संदर्भ में गीतकार मनोज भावुक कहते हैं कि पारिवारिक भोजपुरी फिल्मों में ‘मां’ के प्यार-दुलार को गानों के माध्यम से संप्रेषित किया गया है. साल 1980 में रिलीज हुई ‘रुस गइलें सइयां हमार’ फिल्म का एक गाना जो ‘मां’ आधारित था, उसको महान गायक रफी साहब ने आवाज दी थी. ‘माई रे माई तोर मनवा गंगा के पनिया हो राम’ जैसे ह्दय को छूने वाले गाने को रफी ने अपना स्वर देकर लोगों को मोहा था. भोजपुरी गानों की ‘मिठास’ को लेकर नये नये गीतकार और गायक भी हाल के दिनों में पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. भक्ति गानों समेत समाज को दृष्टि देनेवाले कई गानों के एलबम भी रिलीज हो रहे हैं. सोशल मीडिया के माध्यमों पर भी चर्चित गाने ट्रेंड करते हैं और कई मिलियन में इसके व्यूज जा रहे हैं. हम सब का भी यह प्रयास हो कि अच्छे गानों को प्रोमोट करें, ताकि पूरी दुनिया में भोजपुरी की तासीर और मजबूत हो.
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