भोजपुरी सुपरस्टार रवि किशन का फिल्म इंडस्ट्री में उनका सफर काफी लंबा रहा है. उन्होंने आज यह मुकाम खुद के दम पर बनाया है. उन्हें भोजपुरी का महानायक भी कहा जाता है. लेकिन ऊंचाईयों तक पहुंचने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की है. उनका जन्म मुंबई की एक चॉल में हुआ था. असल में वे उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से संबंध रखते हैं. उन्होंने अपना पूरा बचपन चॉल में गुजारा है. रवि के पिता पुजारी होने के साथ-साथ डेरी में काम करते थे. डेरी का काम अचानक बंद होने के कारण सभी को जौनपुर लौटना पड़ा. लेकिन फिर उनकी किस्मत में उन्हें वापस मुंबई में लाकर खड़ा कर दिया.
500 रुपए से शुरू किया सफर
रवि को बचपन से ही अभिनय का शौक था. वो गांव की रामलीला में सीता का किरदार निभाया करते थे. रवि किशन के पिता को यह बिल्कुल पसंद नहीं था. वह चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिखकर अफसर बने. इसकी वजह से एक बार पिता ने उनकी पिटाई भी कर दी थी. इसके बाद वो घर से भाग कर मुंबई आ गए थे. अपनी किस्मत बनाने का सपना लेकर वो मुंबई आ गए और उनकी मां ने साथ दिया. घर छोड़ते वक्त मां ने उन्हें 500 रुपए दिए थे.
चॉल में गुजारे दिन
मुंबई आते ही रवि किशन के संघर्ष के दिन शुरू हो गए. वह अपना पेट भरने के लिए छोटे-मोटे काम किया करते थे और उनका बसेरा चॉल था. एक्टर ने अपने संघर्ष के बारे में कहा था कि ‘लोग मुंबई में चलकर यहां तक पहुंचते हैं और मैं रेंगकर यहां तक पहुंचा हूं’. कई कठिनाइयों के बाद उनके पास एक्टिंग का पहला मौका आया. साल 1992 में ‘पीतांबर’ नाम की बॉलीवुड मूवी में उन्हें काम करने का मौका मिला. हालांकि उन्हें पहचान साल 2003 में आई सलमान खान की मूवी ‘तेरे नाम’ से मिली जिसमें रवि ने भूमिका चावला के मंगेतर का किरदार निभाया था. इस रोल के लिए उन्हें खूब सराहना मिली.
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भोजपुरी इंडस्ट्री के बने सुपरस्टार
इसके बाद से उनकी किस्मत चमक उठी. इस साल उन्हें भोजपुरी फिल्म ‘सईयां हमार’ में एक्टिंग करने का मौका मिला. रवि की पहली भोजपुरी फिल्म सुपर डुपर हिट साबित हुई. अब तक वो 200 से ज्यादा भोजपुरी फिल्में कर चुके हैं. इसके साथ ही बॉलीवुड और साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी उन्होंने अच्छा नाम कमाया है. आज वे अचल संपत्ति के मालिक हैं. वहीं, अब उन्होंने राजनीति में भी अपनी पकड़ बना ली है.
रिपोर्ट- रिया दुबे