मशहूर गायक भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh Death) अब हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार को एक अस्पताल में उनका निधन हो गया जिससे संगीत उद्योग में एक बड़ा खालीपन छा गया है. 82 वर्षीय महान गायक को मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 1970 और 1980 के दशक की हिंदी फिल्मों में कुछ बेहतरीन ग़ज़लों और नज़्मों ने एक अमिट छाप छोड़ी. बांग्लादेश में जन्मी उनकी पत्नी और साथी गजल गायिका मिताली मुखर्जी (सिंह) ने पीटीआई को बताया, “वह कैंसर से पीड़ित थे और एक हफ्ते पहले ही उन्हें कोविड का पता चला था.” उनके निधन ने बॉलीवुड सेलेब्स को शून्य छोड़ दिया है वो सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धाजंलि दे रहे हैं.
अजय देवगन ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी सेक्शन पर गायक की एक तस्वीर साझा की और लिखा, “भूपिंदर जी के निधन से गहरा दुख हुआ. उनकी आवाज ने लाखों लोगों को खुशी दी और उनमें एक विशिष्टता थी. उनके परिवार के प्रति संवेदना. RIP भूपिंदर जी, ओम शांति”.
गायक-संगीतकार विशाल ददलानी ने अपना दुख व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा, “स्मृति में भूपिंदर सिंह जी. एक समय की आवाज के साथ. वो लताजी का अनुसरण करते थे, जैसा कि उन्होंने #RDBurman द्वारा रचित और गुलज़ारसाब द्वारा लिखे गए गीत नाम गुम जायेगा में बहुत खूबसूरती से काम किया था. उनकी आवाज ही पहचान है और हमें हमेशा याद रहेगी.” शेखर सुमन ने लिखा, “दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन..मखमली आवाज वाले शख्स..भूपेंद्र सिंह नहीं रहे… RIP” भूपिंदर सिंह की पत्नी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इसकी पुष्टि की और साझा किया कि गायक का अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा.
भूपिंदर सिंह ने किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है, दिल ढूंढता है फिर वही, एक अकेला इस शहर में, बीती ना बिताये रैना, हुजूर इस कदर भी ना इतरा के चले, नाम गुम जाएगा और बादलों से काट काट सहित कई लोकप्रिय गाने गाए हैं.
बता दें कि, भूपिंदर सिंह ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली में एक गायक और संगीतकार के रूप में काम करते हुए की थी. ऑल इंडिया रेडियो की एक पार्टी में संगीतकार मदन मोहन की नजर उनपर पड़ी. वो उन्हें अपने साथ मुंबई ले आये. उनके बॉलीवुड गायन की शुरुआत 1964 के चेतन आनंद के निर्देशन में बनी “हकीकत” से हुई थी, जहाँ उन्होंने मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ मोहन-रचित ट्रैक “होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा” गाया था.
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भूपिंदर सिंह को अपना पहला एकल ट्रैक दो साल बाद खय्याम द्वारा रचित फीचर फिल्म “आखिरी खत” में “रुत जवां जवां रात मेहरबान” के साथ मिला. 1980 के दशक में गायिका मिताली से शादी करने के बाद वह प्लेबैक सिगिंग से दूर हो गये. दोनों ने सहयोग किया और निजी एल्बमों का निर्माण किया. पार्श्व गायन के अलावा, भूपिंदर सिंह कई लोकप्रिय ट्रैक पर गिटारवादक भी थे, जिनमें “दम मारो दम”, “चुरा लिया है”, “चिंगारी कोई भड़के” और “महबूबा ओ महबूबा” शामिल हैं.