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Dhanbad: झारखंड से एक्टर बनने का सपना लेकर आने वालों पर क्या बोले एक्टर राजीव सिद्धार्थ

राजीव सिद्धार्थ ने इस इंटरव्यू में बताया कि इन्वेस्टमेंट बैंकर की अच्छी जॉब को छोड़कर मैंने फिल्मों के ऑडिशन की लाइन में घंटों घूप में खड़े रहने को चुना था,क्योंकि एक्टिंग मेरा पैशन और प्यार था.

Dhanbad : अभिनेता राजीव सिद्धार्थ इन दिनों खासा सुर्खियों में है. बीते शुक्रवार को उनके एक नहीं बल्कि दो प्रोजेक्ट्स ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक दिया है. जिओ सिनेमा पर वेब सीरीज हनीमून फोटोग्राफर और जी फाइव पर फिल्म लव सितारा रिलीज हुई है.राजीव सिद्धार्थ झारखंड के धनबाद से भी खासा कनेक्शन रखते हैं. इन्वेस्टमेंट बैंकर से एक्टर बनने के सफर और धनबाद से जुड़ाव पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत

एक ही समय पर दो रिलीज इस मौके को कितना खास कहेंगे ?

मैं बहुत ही एक्साइटेड हूं.बहुत कम ऐसा मौका मिलता है, जब आपके दो काम एक साथ आते हैं. इसके साथ ही दोनों में बहुत ही अलग किरदार है. हनीमून फोटोग्राफर में मेरा किरदार ऐसा है, जो अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है. उसके पास दूसरों के लिए एंपैथी नहीं है,जबकि फिल्म लव सितारा का मेरा किरदार  बहुत ही लविंग और केयरिंग है. मैंने जब एक्टिंग की जर्नी शुरू थी. मेरे मन में यह बात थी कि मैं ऐसा एक्टर बनू, जो लोगों में अपने रेंज के लिए जाना जाता हो कि भाई यह एक्टर तो यह भी कर सकता है यह वह भी कर सकता है और ये दोनों प्रोजेक्ट्स मुझे वह रेंज दिखाने का मौका दे रहे हैं.

दोनों किरदारों में से आप किससे अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं ?

निश्चित तौर पर जो अच्छा है.उसी से आपको जुड़ाव लगता है,तो लव सितारा के अर्जुन के मैं करीब हूं. वैसे  मैं एक्टर हूं तो मैं किसी भी किरदार को जज नहीं करता हूं.मैं यह सोचता हूं कि  कुछ हालात होते हैं, जो इंसान को अलग बना देते हैं. उनकी परवरिश, पेरेंट्स का बर्ताव,आसपास के लोगों का बर्ताव यह सब मायने रखता है.

सीरीज हनीमून फोटोग्राफर में आपकी को स्टार आशा नेगी ने आपके अभिनय की तारीफ करते हुए कहा था कि वह सीरीज में आपके साथ काम करते हुए आपके अभिनय को देखते रह गई थी?

(हंसते हुए) जी हां आशा ने भी मुझे यह बात कही थी. बहुत ही जेनेरस  एक्ट्रेस हैं. बहुत ही अच्छी इंसान है.अक्सर क्या होता है कि एक्टर लोग एक दूसरे की तारीफ नहीं करते हैं. जब आप फ़िल्मी परिवार से नहीं आते हैं और एक संघर्ष के बाद अपना एक काम करते हैं,तो कहीं ना कहीं मन में रहता है कि थोड़ा तो आपको आपके काम के लिए अप्रिशिएट किया जाए और जब आशा जैसी सीनियर एक्टर, जिन्होंने खुद बहुत सारा काम किया है. उनसे तारीफ़ मिलती है तो अच्छा ही लगता है. सीरीज में वो और मैं अलग-अलग साइड में हैं, तो हमारी जो जुगल बंदी थी. उसको करते हुए भी बहुत मजा आया.

सीरीज के शीर्षक फोटोग्राफ से जुड़ा है. कोई ऐसा फोटोग्राफ है जो आपके दिल के हमेशा से बहुत करीब रहा है?

मुझे बहुत खुशी है कि आपने यह सवाल किया. मेरे माता-पिता पिछले साल मुंबई आए थे. मरीन ड्राइव पर उनकी वह  तस्वीर है. वह बहुत ही प्योर सी फोटोग्राफी है.जब भी मैं थोड़ा सा मायूस होता हूं अपने संघर्ष को लेकर या किसी भी चीज को लेकर, तो मैं वह फोटोग्राफ देखता हूं और मेरे अंदर उर्जा सी आ जाती है. वह फोटोग्राफ मेरे दिल के बेहद करीब है.

धनबाद से बॉलीवुड का सफर कब शुरू हुआ ?

मेरी पैदाइश धनबाद की है. मेरे नाना नानी का वहां घर रहा करते थे, तो मेरे बचपन से जुड़ी बहुत ही खूबसूरत यादें धनबाद से हैं,लेकिन मेरी पढ़ाई मसूरी और देहरादून की है. मैंने बोर्डिंग स्कूल से ही पढ़ाई की है. बोर्डिंग स्कूल की खास बात क्या होती है कि पढ़ाई के साथ-साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भी वह बहुत फोकस करते हैं. मैं लकी था कि मुझे बहुत अच्छे टीचर मिल गए. मैंने डिबेट से शुरुआत की फिर मैं एक्टिंग में घुस गया. एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज खूब किया. स्कूल और कॉलेज के दिनों तक लगातार में स्टेज शो करता रहा. किसी भी तरह से एक्टिंग से जुड़ा रहा. हां यह जरूर कहूंगा कि उस दौरान एक्टिंग बारीकियों से मैं रूबरू नहीं हुआ था, लेकिन हां मैं एक्टिंग को बहुत इंजॉय करता था. मगर मुझे फैसला करने में काफी समय लगा कि मुझे एक्टर बनना है.

पढाई पूरी करने के बाद इन्वेस्टमेंट बैंकर बन गया.जब मैं मुंबई में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कर रहा था. उस वक्त मुझे लगा कि अगर मुझे को एक ही चीज करनी है, तो मैं कुछ ऐसा करूं, जो मुझे बहुत पसंद है. मेरा जॉब बहुत अच्छा था. मेरे ऑफिस का माहौल अच्छा था,लेकिन पता नहीं क्यों अंदर से आवाज आई कि मैं यह नहीं कर सकता हूं. सुबह से रात तक इस काम को करते हुए मैं बिलकुल भी खुश नहीं था. एक्टिंग करते हुए जो ख़ुशी होती है.वो इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के जॉब में आधी भी नहीं थी. मैंने अपने बॉस को अपना रिजाइन दे दिया. उन्होंने कहा कि क्या हीरो बनना चाहते हो. मैंने बोला हां. मैं बताना चाहूंगा कि जब मैंने पृथ्वी थिएटर में अपना पहला नाटक आधे अधूरे किया था, तो मेरे इसी  बॉस ने आकर मुझे चीयर किया था और कहा कि मैं तुम्हारे लिए बेहद खुश हूं. मुझे लगता है कि जब आप अपने सपने के पीछे शिद्दत से भागते हैं,तो आपके आसपास लोग भी आपसे ऑटोमेटिक जुड़ जाते हैं कि आप अपना सपना पूरा कर लें. मेरे साथ भी यही हुआ.

फॅमिली ने भी आपके इस फैसले में सपोर्ट किया था ?

(हंसते हुए) फैमिली ने सोचा कि इसका दिमाग फिर गया है. उन्होंने कहा भी कि अपना पूरा जिंदगी बर्बाद कर रहा है. अब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो समझ में आता है कि वह उस वक़्त क्यों नाराज थे. उन्होंने सोचा कि पढ़ाकू बच्चा है. उनके सपने होंगे लाइन में जाएगा। उस लाइन में जाएगा.फिर वह बच्चा ऐसा करियर चुन लें, जिसका कोई ते भविष्य नहीं है, तो परेशान होंगे ही. मेरे पिता गवर्नमेंट सर्वेंट थे तो उनके लिए मेरा फैसला आसान नहीं था. 

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एक्टर बनने का फैसला करने के बाद तैयार क्या रही ?

मुंबई में एक क्रिएटिंग कैरेक्टर्स करके एक एक्टिंग स्कूल है. वहां पर मैंने 4 महीने का कोर्स किया. मैं इस बात को मानता हूं की एक्टिंग का कोर्स 3 से 4 साल का होना चाहिए, लेकिन 4 महीने में जितना हो सकता है. उन्होंने मुझे उतना तैयार किया था. हां मैं यह जरूर करूंगा. मैं वहां से जो भी सीखा. उस पर मैंने हर दिन काम किया. मैं लगातार थिएटर करता रहता हूं. मैं अभी भी थिएटर कर रहा हूं. मेरा एक म्यूजिकल प्ले गौहर आने वाला है. उसमें मैं तीन अलग-अलग किरदार निभा रहा हूं. उसके साथ में यूके, यूएस  सभी जगह परफॉर्म करता हूं. मैं एक्टर के तौर पर जो भी परदे पर कर पाता हूं. उसका श्रेय थिएटर को ही जाता है. स्कूल कॉलेज के दौरान पहले जब मैं स्टेज शो करता था, तो थोड़ा में नर्वस रहता था, लेकिन लगातार थिएटर करने के बाद मैं इतना ज्यादा कंफर्टेबल हो चुका हूं कि मैं किसी भी फिल्म के सेट जाता हूं, तो मुझे लगता है कि ये तो मेरा ड्राइंग रूम नहीं है. मुझे लगता है कि यही अपने क्राफ्ट के प्रति आपकी मेहनत होती है, जो आप में इतनी सहजता आ जाती है.

संघर्ष के दौरान आर्थिक स्तर पर भी चुनौती थी ?

नहीं, क्योंकि मैं इन्वेस्टमेंट बैंकिंग से आया था तो मेरी अच्छी खासी सेविंग थी. मुझे काम मिलना भी जल्दी शुरू हो गया था. सीरीज 24 हो या फिर फिल्म जॉली एलएलबी इनसे मैं  एक डेढ़ साल के संघर्ष के भीतर ही जुड़ गया. बीच में एक साल बिना काम के भी रहा फिर ओटीटी का दौर आ गया, जिन्हे अपने प्रोजेक्ट्स के लिए स्टार्स नहीं बल्कि एक्टर्स चाहिए होते हैं. उसके बाद मैं एक के बाद एक ओटीटी के शोज और फिल्मों से जुड़ता चला गया. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी बताना चाहूंगा कि ये जो मैं प्रोजेक्ट्स से जुड़ा वह वैसे ही नहीं मिल गए थे. ऑडिशन की लाइन में लग कर मिले थे. 100 से ज्यादा लोग पहले से ही उस लाइन में होते थे और फिर उसमें आप भी अपना नंबर लगा देते हैं.नंबर आने में तीन से चार घंटे लगते थे. उस दौरान आपको धूप, बारिश सबकुछ झेलना है. उसके बाद आपको अपना टैलेंट दिखाना है कुछ सेकेंड्स में. कई बार तो घंटों की लाइन में खड़े रहने के बाद कास्टिंग डायरेक्टर्स ने बिना ऑडिशन लिए ही वापस भेज दिया है. ये सब भी झेला है. 

किस शो में आपके काम को बहुत सराहाना मिली ?

मैं आश्रम 2 को उसका से देना चाहता हूं. उसे फिल्म सीरीज में मेरा काम लोगों को बहुत पसंद आया था.उसमें मैं जर्नलिस्ट अक्की के किरदार में था. प्रकाश झा सर के साथ काम करने का अनुभव बहुत ही खास रहा था. उन्हें क्यों लिविंग लीजेंड कहा जाता है. उस सीरीज को करने के बाद मालूम पड़ा था. उस सीरीज ने मुझे भी एक एक्टर के तौर पर भी ग्रो  करने में मदद की थी .

एक्टिंग में आप किसके काम को एडमायर करते हैं ?

बलराज साहनी, नसरुद्दीन शाह, इरफ़ान खान का काम मुझे बहुत पसंद है. हॉलीवुड से रॉबर्ट डे नीरो।इन लोगों को  देखकर लगता है कि  24 घंटे एक्टिंग करवा लो खुशी खुशी करें लेंगे, क्योंकि वह आर्ट  के लिए जीते है. जिसका इंडस्ट्री में कोई कनेक्शन नहीं है.उनको पैशन और प्यार ही इंडस्ट्री में आगे बढ़ा सकता है.

मौजूदा दौर में फॉलोवर्स देखकर एक्टिंग प्रोजेक्ट्स मिल रहे हैं, क्या आप भी इस तरह के रिजेक्शन से जूझते हैं ?

अब तक मुंह पर तो किसी ने नहीं कहा है, लेकिन कई बार ऑडिशन और लुक टेस्ट अच्छा जाने के बाद भी काम नहीं मिलता है. शायद यही वजह रही होगी, जो लोग इस सोच के साथ कास्टिंग करते हैं. उन्हें समझना चाहिए कि 1 मिलीयन फॉलोअर्स इसका मतलब यह नहीं कि सभी आपका शो और फिल्में देखेंगे. वह तो बस आपकी फोटो और रील देख रहे हैं. मौजूदा दौर में साउथ कोरिया और भी ना जाने कहाँ कहाँ से कंटेंट आ रहा है.जिसके एक्टर्स को हम नहीं जानते हैं, लेकिन उन प्रोजेक्ट्स को हम देखते हैं क्योंकि कहानी और परफॉरमेंस अच्छे हैं, तो मेरिट ही दर्शकों को किसी प्रोजेक्ट से जोड़ता है, मिलियन फॉलोवर नहीं.

झारखंड और दूसरे छोटे शहरों से एक्टर बनने का सपना लेकर आने वाले लोगों को क्या कहेंगे?

आप आउटसाइड होते हैं तो आपको पता नहीं होता है कि किसको मिलना है. कहां ऑडिशन हो रहे हैं, लेकिन आपको  लगे रहना है. भगवान की कृपा हो जाती है और थोड़ा सा लक साथ दे दे तो आपको मौका मिल सकता है और जब आपको मौका मिले, तब आपको वह मौका चूकना नहीं है. उस वक्त आपने अपनी एक्टिंग पर कितना काम किया था. वह काम आता है. ऐसे में संघर्ष के दिनों में जमकर अपनी एक्टिंग और क्राफ्ट पर काम करो. आप अच्छे एक्टर हैं, तो देर सवेर आपको मौका मिलेगा ही.

झारखण्ड से कितना जुड़ाव अभी भी रख पाते हैं ?

धनबाद में मेरा ननिहाल था, तो स्कूल टाइम में बहुत जाता था और उस दौरान वहां की खूब सारी यादें हैं, लेकिन अब वहां पर कोई नहीं है. मेरी दादी की फैमिली बिहार के बोध गया में रहती है. तो मैं वहां जाने की कोशिश करता हूं. मैं चाहता हूं कि बोधगया में किसी फिल्म की शूटिंग हो और मुझे बहुत सारा समय वहां बिताने को मिले.

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