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पुराने गाने नये रंग में, जानें ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के गाने ‘व्हाट झुमका’ के पीछे की कहानी

पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ चर्चा में है. मनोरंजक शैली में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाई भी अच्छी कर रही है. शाहरुख खान की ‘पठान’ के बाद करण जौहर की इस फिल्म ने दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर आकर्षित किया है.

अरविंद दास

सौ सालों में चर्चित हुए हर फिल्मी गाने की एक अलग कहानी है. पीढ़ियों की स्मृतियों को इन गानों ने सुरक्षित रखा है. रानी का सवाल- ‘व्हाट झुमका’- असल में नयी पीढ़ी से है. ये पुराने गाने एक दौर की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थिति को स्वर देने के साथ ही, आधुनिक पीढ़ी की प्रेम कहानी भी कहते आये हैं.

‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ चर्चा में

पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ चर्चा में है. मनोरंजक शैली में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाई भी अच्छी कर रही है. शाहरुख खान की ‘पठान’ के बाद करण जौहर की इस फिल्म ने दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर आकर्षित किया है. एक फिल्म की व्याख्या कई स्तरों पर होती है. इस फिल्म को भी समीक्षक कई तरीकों से देख-परख रहे हैं. कहा जा रहा है कि अपने पच्चीस साल के फिल्मी करियर में पहली बार जौहर की इस फिल्म में राजनीतिक स्वर उभरे हैं. स्त्री-पुरुषों के संबंध में आ रहे बदलाव को भी यह फिल्म बखूबी पकड़ती है. साथ ही, नृत्य कला को ‘जेंडर’ के चश्मे से देखने पर भी सवाल उठाया गया है.

‘व्हाट झुमका’ गाने के पीछे जानें कहानी

हिंदी सिनेमा पॉपुलर संस्कृति के माध्यम से समाज के एक बड़े तबके की भावनाओं, आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करता रहा है. बॉलीवुड में जहां कथा तत्व हमेशा हावी रहता आया है, वहीं गीत-संगीत की भूमिका भी कम नहीं रही है. अपवाद को छोड़ दिया जाए, तो गीतकार-संगीतकार की बात समीक्षक कम ही करते हैं. पर जैसा कि चर्चित फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने लिखा है- ‘इंडियन ‘टॉकी’ फिल्मों ने बोलने से पहले ही गाना शुरू कर दिया था. इंदर सभा (1932) फिल्म में 70 गाने थे.’ बहरहाल, इस फिल्म की कहानी में हिंदी सिनेमा के पुराने गीत-संगीत को बेहद खूबसूरती से बुना गया है. फिल्म की शुरुआत में रॉकी (रणवीर सिंह) और रानी (आलिया भट्ट) के ऊपर फिल्माये गाने- ‘रायबरेली के बीच बजारी जब हुस्न दिखाने जायेगी…’ में रानी मोहक अदा से रॉकी से पूछती है- ‘व्हाट झुमका’? असल में, अमिताभ भट्टाचार्य ने इस गाने को भले लिखा हो, एक तरह से यह गाना ‘मेरा साया (1966)’ फिल्म के सदाबहार गाने- ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’- को श्रद्धांजलि है. मदन मोहन के धुनों को संगीतकार प्रीतम ने सुरक्षित रखा है.

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पुराने गाने की तासीर

इसी तरह से, फिल्म में पुरानी पीढ़ी के किरदारों की कहानी- ‘हम दोनों (1961)’ फिल्म में साहिर लुधियानवी के लिखे गाने ‘अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं’- के माध्यम से कही गयी है. साथ ही, ‘गाइड (1965)’ फिल्म के गाने ‘आज फिर जीने की तमन्ना’ है और ‘कुर्बानी (1980)’ के बेहद लोकप्रिय गाने, ‘आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आये, तो बात बन जाए’, का भी बखूबी इस्तेमाल किया गया है. नाजिया हसन के गाये इस ‘डिस्को’ की धूम आज भी सुनाई देती है. पाकिस्तान की नाजिया उस वक्त महज पंद्रह वर्ष की थीं, जब उन्हें इस गाने के लिए ‘फिल्म फेयर’ पुरस्कार से नवाजा गया. ऐसा नहीं कि ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में मूल गाने नहीं हैं, लेकिन पुराने गाने की तासीर फिल्म को एक अलग खुशबू देती है. सौ सालों में चर्चित हुए हर फिल्मी गानों की एक अलग कहानी है. पीढ़ियों की स्मृतियों को इन गानों ने सुरक्षित रखा है. रानी का सवाल- ‘व्हाट झुमका’- असल में नयी पीढ़ी से है. ये पुराने गाने एक दौर की सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थिति को स्वर देने के साथ ही, आधुनिक पीढ़ी की प्रेम कहानी भी कहते आये हैं.

(लेखक-पत्रकार)

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