फिल्म ‘केरल स्टोरी’ के तथ्यों और इसके संदर्भ में अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे को लेकर राज्य में राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है, इस बीच एक मुस्लिम वकील ने धर्म बदलकर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल होने वाली केरल की 32 महिलाओं का सबूत देने पर 11 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है.
अपनी बेटियों की आर्थिक सुरक्षा के लिए विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत पिछले दिनों अपनी पत्नी से पुन: विवाह करने वाले वकील और अभिनेता सी शुक्कुर ने कहा कि फिल्म में 32,000 महिलाओं के धर्मांतरण करने और आईएस में शामिल होने का दावा किया गया है, लेकिन उतने सबूतों की जरूरत नहीं है और केवल 32 काफी हैं. अदा शर्मा अभिनीत ‘द केरल स्टोरी’ पांच मई को सिनेमाघरों में आएगी. इसे सुदीप्तो सेन ने लिखा और निर्देशित किया है.
इसे दक्षिणी राज्य में कथित रूप से लापता हो गयीं करीब 32,000 महिलाओं के बारे में सच का खुलासा करने वाली फिल्म बताया गया है. केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी कांग्रेस के अनुसार फिल्म में यह झूठा दावा किया गया है कि महिलाओं ने इस्लाम अपना लिया, कट्टर हो गयीं और उन्हें भारत में तथा विश्व में आतंकवाद के मिशन में लगा दिया गया.
शुक्कुर ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘इस्लाम अपनाने वाली और मुस्लिम यूथ ऑफ केरल द्वारा इस्लामिक स्टेट में शामिल की जाने वाली महिलाओं के नाम और पते जैसी सूचनाएं देने वालों के लिए मैं 11 लाख रुपये की पेशकश कर रहा हूं. 32,000 महिलाओं के प्रमाण देने की जरूरत नहीं, केवल 32 काफी हैं.’’उन्होंने कहा कि पलक्कड़ निवासी दो भाइयों से शादी करने वाली तीन महिलाओं का मामला ही सामने आया है, जिन्होंने केरल के मुस्लिम समुदाय से बाहर से आकर आईएसआईएस की सदस्यता ली थी.
वकील ने पोस्ट में लिखा, ‘‘सभी को एक समुदाय को और एक राज्य को ‘लव जिहाद’ के मामले के बारे में बिना साक्ष्यों के जिम्मेदार ठहराने से बचना चाहिए. उच्च न्यायालय भी ‘लव जिहाद’ के मामले को खारिज कर चुका है.’’ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को ‘द केरल स्टोरी’ के निर्माताओं पर निशाना साधते हुए दावा किया था कि वे ‘लव जिहाद’ के मुद्दे को उठाकर राज्य को धार्मिक कट्टरपंथ के केंद्र के रूप में पेश करने के संघ परिवार के दुष्प्रचार को बढ़ावा दे रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि ‘लव जिहाद’ की अवधारणा को अदालतों, जांच एजेंसियों और गृह मंत्रालय द्वारा खारिज किया जा चुका है. विजयन ने यह भी कहा कि इस हिंदी फिल्म के ट्रेलर से पहली नजर में ऐसा लगता है कि इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने और राज्य के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने के कथित उद्देश्य के साथ जानबूझकर बनाया गया है. दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूछा कि केरल में धार्मिक आतंकवाद के मजबूत होते दावों को राज्य के खिलाफ नफरत भरा दुष्प्रचार कैसे कहा जा सकता है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने अभिव्यक्ति की आजादी पर केरल के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ माकपा के रुख को दोहरे मानदंड वाला बताया. उन्होंने कहा कि जब ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्मों की बात आती है तो मुख्यमंत्री और वामपंथी नेताओं को अभिव्यक्ति की आजादी की कोई चिंता नहीं होती.