इंडियाज गॉट टैलेंट (India’s Got Talent 9 winner) के इस सीजन के विजेता दिव्यांश और मनुराज (Divyansh and Manuraj) बन गए हैं. दिव्यांश की खासियत बीटबॉक्सिंग हैं तो मनुराज की पकड़ बांसुरी के सुरों पर कमाल की हैं. बीटबॉक्सिंग और क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट्स की जुगलबंदी इस रियलिटी शो में लोगों को इस कदर लुभा गयी कि यह जोड़ी इंडियाज गॉट टैलेंट की इस सीजन की विनर बन गयी है. इस विनर जोड़ी में से दिव्यांश से हुई उर्मिला कोरी की खास बातचीत…
जब शो का हिस्सा बनें थे तो क्या लगा था कि विनर बन जाएंगे?
बिल्कुल लगा था मैम ,जब हम जैम कर रहे थे तो मुझे लगा कि यह बहुत ही यूनिक जॉनर है. हमने कुछ अलग बनाने की कोशिश की. मैंने देखा कि मनुराज भैया बहुत मेहनती हैं. म्यूजिक को लेकर मैं भी बहुत मेहनती हूँ तो मुझे लगा था कि अगर हम इसी तरह परफॉर्म करते रहें और मेहनत करते रहे तो हम जीत जायेंगे.
आपकी और मनुराज की जुगलबंदी कब शुरू हुई थी?
हमदोनों इसी शो के दौरान मिले थे. हमदोनों अलग अलग पार्टनर्स के साथ आये थे लेकिन किसी कारणवश वो हमारे साथ परफॉर्म नहीं कर पाए. मैंने मनुराज भैया को बांसुरी बजाते हुए सुना. वो अपना कुछ अपना रियाज कर रहे थे. मैंने बोला भैया क्या मैं आपके साथ जैम कर सकता हूँ. म्यूजिशियंस को जैम करना पसंद होता है. जैम के दौरान हमने महसूस किया कि यह तो बहुत ही यूनिक साउंड कर रहा है तो उस वक़्त हमें लगा कि हमें इंडिया गॉट टैलेंट के मंच पर एक होकर हिस्सा लेना चाहिए.
इससे पहले भी क्या आप किसी रियलिटी शो का हिस्सा रहे हैं
मैं रियलिटी शो दिल है हिंदुस्तानी में सीजन टू में फाइनलिस्ट था, विनर की ट्रॉफी और प्राइज मनी को किस तरह से बाँट रहे हैं ट्रॉफी तो बाँट नहीं सकते हैं इसलिए छह महीने मेरे पासछह महीने मनुराज भैया के पास रहेगी. पैसे आधे आधे ज़रूर बांटेंगे. बीस लाख मिला है जिसमें दस मेरे दस भैया के. मारुती सुजुकी का धन्यवाद कहना चाहेंगे वो विनर को एक मारुती देने वाले थे चूँकि हम दो लोग हैं इसलिए मारुती हमें दो कार दे रही है.
आप दो लोग हैं ऐसे में क्या कभी ईगो क्लैश नहीं होता था कि मैं बेस्ट हूँ
मैंने उसे ईगो क्लैश नहीं बोलूंगा बल्कि क्रिएटिव डिफरेंस’ कहूंगा. हम अपने अपने इनपुट्स देते रहते थे कि यार ये ठंडा लग रहा है. ये ऐसा होना चाहिए. मैं बताना चाहूंगा कि हमारे क्रिएटिव डिफरेंस बहुत कम थे क्यूंकि म्यूजिक में हमारी समझ एक जैसी ही है. हम एक जैसा ही सोचते हैं. हमें बहुत हँसते खेलते इस रियलिटी शो में समय बिताया.
बहुत सारे सेलिब्रिटीज इस शो में आए थे बहुत लोगों ने आपदोनों की तारीफ़ की ?कौन सा बहुत खास था ?
यामी गौतम जी आयी थी. उन्होंने कहा था कि कभी कभार क्या होता है कि हमारे शूटिंग के ऐसे भी दिन होते हैं. जब मन नहीं करता है काम करने को. एनर्जी लौ लगती है. जब भी ऐसा होगा मैं आपलोगों को याद कर लुंगी क्यूंकि आपदोनों बहुत ज़्यादा प्रेरणादायक हैं. ऑफ सेट भी वह हमसे मिली थी. जो भी उन्होंने बोला दिल से बोला था.
आपकी और मनुराज की जुगलबंदी क्या आगे भी ज़ारी रहेगी?
बिल्कुल ,ये तो हमारी शुरुआत है. अभी बहुत काम करना बाकी है. हम साथ में बहुत शोज करने वाले हैं बहुत नाम और शोहरत कमाने वाले हैं और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने वाले हैं.
करियर को लेकर क्या प्लानिंग है बॉलीवुड या इंडिपेंडेंट म्यूजिक
हम तो हर जगह काम करना चाहते हैं. चाहे क्लासिकल म्यूजिक हो या बॉलीवुड हो या फिर वर्ल्ड कॉन्सर्ट हो. हम हर जगह नाम कमाना चाहते हैं. हम जैमिंग के आर्ट्स को बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इससे जुड़ें और आर्ट को बड़ा बनाएं.
क्या कोई इंटरनेश्नल रियलिटी शो का हिस्सा बनने की भी तैयारी है
फिलहाल तो नहीं है. अभी म्यूजिक पर और काम करना है. दो तीन साल शायद किसी इंटरनेशनल रियलिटी शो का हिस्सा बनें.
आपके आदर्श म्यूजिक में कौन रहे हैं ?
मनुराज भैया ने पंडित हरी प्रसाद चौरसिया जी से बांसुरी सीखी है तो वो उनके आइडल रहे हैं. मेरी आइडल सुनिधि चौहान मैम हैं. मैं मैम के साथ बीते तीन साल से लाइव शोज कर रहा हूँ. वो मुझे बहुत मानती हैं. बुल्गारिया के किलर भी मेरी प्रेरणा हैं. वो बीट बॉक्सिंग म्यूजिक जॉनर का बड़ा नाम हैं. उन्होंने मुझे बीट बॉक्सिंग में करियर बनाने के लिए प्रभावित किया.
कहते हैं कि आर्ट में संघर्ष बहुत रहता है , जब तक बॉलीवुड से आप ना जुड़ें
म्यूजिक में मैं स्ट्रगल को मानता ही नहीं हूँ. मुझे लगता है कि आप म्यूजिक कर रहे हो तो आप बहुत लकी हो. अब समय बदल रहा है. अब वो टाइम नहीं है कि आपका बॉलीवुड में गाना है तो ही म्यूजिशियन मानें जाओगे . सोशल मीडिया का जो गेम है. वो बहुत निराला है. १५ सेकेंड का वीडियो डालो अगर वो लोगों को पसंद आता है तो आप स्टार बन जाते हो. इंडिपेंडेंट म्यूजिक की जो लहर ९० के दशक में थी. वो वापस आ गयी है तो बहुत अच्छा समय है.
म्यूजिक में करियर बनाने के लिए परिवार को कितना मनाना पड़ा
मुझे कन्विंस करने की कोशिश नहीं करनी पड़ी क्यूंकि मेरे घरवाले जानते हैं कि मैं किसी भी काम को बहुत शिद्दत से करता हूँ . एक आम परिवार से आता हूँ तो वो भी चाहते थे कि मेरा कोई सेटल करियर हो लेकिन समय के साथ उन्होंने मेरी चॉइस को अपना लिया. मैं बचपन में बॉलीबाल खेलता था. मैं पढाई में भी बहुत अच्छा था. अपने स्कूल में मैं टॉपर था. 12 क्लास में मैंने 95 प्रतिशत नंबर लाये थे साथ ही बॉलीबॉल में नेशनल खेला हूँ मैं राजस्थान का कप्तान था. बॉलीबाल छूट गया क्यूंकि इंडिया में उस तरह से प्लेटफॉर्म्स नहीं हैं. सुविधाएं नहीं है कि आप उस गेम में आगे जा सकें फिर बीट बॉक्सिंग के लिए मेरी सनक हो गयी. मैं १२ साल से बीट बॉक्सिंग कर रहा हूँ. पहले एमबीए करने वाला था लेकिन फिर वो आईडिया ड्राप किया और बीटबॉक्सिंग में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया. पिछले पांस सालों से यही कर रहा हूँ.