16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Exclusive: सिनेमा के जरिये झारखंड के गीत-संगीत और पर्वों की खुशबू बिखेरनी होगी, बोले लाल विजय शाहदेव

फिल्म जगत में जाना-माना नाम हैं विजय लाल शाहदेव. वह कहते हैं कि क्षेत्रीय सिनेमा में हम टेक्निकल तौर पर मजबूत हुए हैं और सकारात्मक बदलाव भी आया है. विजय लाल शाहदेव ने ‘फुलमनिया’, ‘लोहरदगा’ और ‘नाच बैजू नाच’ जैसी फिल्में बनायी हैं, जिसकी काफी सराहना हुई है.

झारखंड राज्य के गठन को 22 साल हो गये. इस दौरान यहां कई क्षेत्रों में खूब तरक्की हुई है. झॉलीवुड यानी झारखंड सिनेमा की बात करें, तो इसके कई पहलू हैं. कुछ क्षेत्रों में बहुत बढ़िया काम हुआ है, तो कुछ क्षेत्रों में हम अभी भी पिछड़े हुए हैं. सीधे शब्दों में कहें, तो कुछ काम में थोड़ी-बहुत कमी रह गयी है, जिसमें सुधार की गुंजाइश है. ये बातें निर्माता और निर्देशक विजय लाल शाहदेव ने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में कहीं.

विजय लाल शाहदेव ने बनायी हैं कई फिल्में

फिल्म जगत में जाना-माना नाम हैं विजय लाल शाहदेव. वह कहते हैं कि क्षेत्रीय सिनेमा में हम टेक्निकल तौर पर मजबूत हुए हैं और सकारात्मक बदलाव भी आया है. विजय लाल शाहदेव ने ‘फुलमनिया’, ‘लोहरदगा’ और ‘नाच बैजू नाच’ जैसी फिल्में बनायी हैं, जिसकी काफी सराहना हुई है. वो कई गंभीर विषयों को अपनी फिल्मों के माध्यम से पेश करते हैं. वे पिछले कई सालों से फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं.

यहां के गीत-संगीत में एक खुशबू है

झॉलीवुड की फिल्मों के बारे में उनका कहना है कि इंडस्ट्री में समय के साथ काफी बदलाव हुए हैं. तकनीकी रूप से हम दक्ष हुए हैं. क्रियेटिव लोग सामने आये हैं, जो अच्छा काम कर रहे हैं. लेकिन, हमें अपनी जमीन से जुड़कर भी रहना होगा. यहां के गीत-संगीत में एक खुशबू है, जिसे हमें दुनिया को दिखाना चाहिए. आप कभी हमारे शहर लोहरदगा आइए, यहां की खूबसूरती और लोगों की ईमानदारी देखकर आप खुश हो जायेंगे. यहां के पर्वों जैसे करमा, सरहुल, सोहराय के बारे में हम अपनी फिल्मों के माध्यम से बता सकते हैं. सिर्फ एक ही ढर्रे पर चलने से हम पिछड़ जायेंगे.

हमारे पास संगीत और संस्कृति की विरासत

लाल विजय शाहदेव कहते हैं, ‘झारखंड का इतिहास बृहद है. हमारे यहां कई स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया. लोग कुछ हद तक बिरसा मुंडा के बारे में जानते हैं, लेकिन यह कई वीर जवानों की धरती है. यहां के लोक गीतों को समझें और युवाओं को बताएं कि हमारे पास संगीत और संस्कृति का भंडार है. मैं खुद कोशिश कर रहा हूं कि झारखंड के इतिहास को, उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सामने ला सकूं.

Also Read: Exclusive: झारखंड के फिल्ममेकर कर रहे बॉलीवुड-साउथ की नकल, अपनी संस्कृति को भूले: नंदलाल नायक
कैसे बेहतर कर पायेंगे

लाल विजय शाहदेव कहते हैं कि कलाकारों को सामने आना होगा. हर चीज को बारीकी से समझने की कोशिश करनी होगी. यहां के आर्ट एंड कल्चर को समझना होगा. मध्यप्रदेश में नाट्य संस्थान है और भोपाल का रंग मंडल वर्ल्ड फेमस है. यहां पर भी ऐसे संस्थान होने चाहिए. राज्य की कला एवं संस्कृति मंत्रालय को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है. कलाकारों को सपोर्ट मिलेगा, तो वे और बेहतर कर पायेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें