सबसे पहले अपने बारे में कुछ बताइए
मैं झारखंड के गाँव नगड़ी से हूं. दसवीं तक मेरी पढ़ाई वहां के एक स्कूल में हुई है जिसमें मेरी माँ टीचर थी. आगे की पढ़ाई सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से हुई है. 12 वी में मैं स्टेट टॉपर था. इसरो और दूसरे प्रतिष्ठित संस्थानों से आगे की पढ़ाई के ऑफर्स भी आए थे लेकिन मां की बीमारी की वजह से नहीं जा पाया. मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई रांची से पूरी की. उसके बाद मैंने तय कर रखा था कि मुझे गाँव वापस लौटना है और वहां के बच्चों को पढ़ाना है. मेरी माँ ने एक बार मुझसे कहा था कि तुम चाहो तो तुम कॉरपोरेट में जॉब करके सेटल लाइफ जी सकते हो लेकिन इसमें तुम अकेले सफल होंगे. कल को अगर हज़ार बच्चों को पढ़ाकर तुम कामयाब बनाते हो तो हजारों की कामयाबी तुम्हारी होगी। मेरे पिता भी टीचर हैं तो बचपन से काफी अच्छा माहौल मिला.
गांव से होने की वजह से किस तरह के संघर्ष से आप गुजरे थे ?
गाँव से होने की वजह से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गांव में प्रतिभा तो होती है लेकिन रिसोर्स और जानकारी का अभाव होती है. आपको पता ही नहीं होता है कि अपने सपनों को किस तरह से पूरा करना है. मुझे खुद कॉलेज में जाने के बाद मालूम पड़ा था कि इंजीनियरिंग के लिए क्या क्या करना होगा. शुक्र है कि इंटरनेट के आ जाने से जानकारी बढ़ रही है.
आप केबीसी से कब से किस्मत आजमा रहे है ?
एक दर्शक के तौर पर बचपन से ही केबीसी शो से जुड़ा रहा हूं. केबीसी देखते हुए सवालों के जवाब भी दे देता था. जिससे मां कहती थी कि तुम्हे केबीसी में जाना चाहिए. तुम अच्छा करोगे लेकिन पहले अपनी पढ़ाई फिर बच्चों को पढ़ाने में इतना मशरूफ हो गया कि केबीसी में जा ही नहीं पाया. इस बार लॉकडाउन में लगा कि एक बार ट्राय करते हैं और पहले ही बार में मैं इसका हिस्सा बन गया.
अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट के अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?
नर्वस आदमी हो ही जाता है लेकिन अमिताभ जी इतनी बड़ी हस्ती है कि सामने वाले को सहज करवा ही देते हैं. हमारी बहुत बातें हुईं.उन्होंने मेरे काम की भी बहुत तारीफ मैं गाँव में जहां काम कर रहा हूं. वहां तारीफ के कुछ शब्द सुनने के लिए तरस जाता हूं. ऐसे में अमिताभ जैसे लीजेंड से तारीफ सुनकर बहुत मोटिवेशन मिला.
आपकी पढ़ाई कितनी काम आयी केबीसी के सवालों के जवाब देने में ?
केबीसी कोई आम क्विज कॉन्टेस्ट नहीं है जहां आप दस बीस क्विज वाली किताबें पढ़कर आ गए तो हो जाएगा. केबीसी के सवालों का पैटर्न आपकी ज़िंदगी से जुड़ा होगा. वो सवाल,वो घटनाएं वो वाकये आपने सुने होंगे. वो आप कितना याद रख पाए हैं।कितना आपका प्रजेंस ऑफ माइंड है. इस पर यह पूरा गेम शो है.
जीती हुई रकम से क्या करने की प्लानिंग है ?
आर्थिक समस्या से जूझ रहा था इसलिए मां के आंखों की सर्जरी रुकी हुई थी तो पहला काम मां की आंखों की सर्जरी करवाना है और राशि का इस्तेमाल अपने स्कूल से और संसाधनों को जोड़ने में जायेगा. लॉक डाउन में स्मार्ट फोन और इंटरनेट की समस्या से बच्चों को बहुत जूझना पड़ा. बहुत लोगों के घरों में तो बिजली भी नहीं होती थी तो ऑनलाइन क्लास में कुछ बच्चे ही जुड़ पाते थे बहुत बुरा लगता था.
केबीसी की इस बार की टैगलाइन है कि सवाल कोई भी हो जवाब आप हो आपकी लाइफ का कोई सवाल जब आप जवाब बनें ?
मेरे पिताजी जब मैं छोटा था उस वक़्त ही सभी से कहा करते थे कि मेरा बेटा टॉपर बनेगा।सब उनका मजाक बनाते कि गांव का बच्चा स्टेट टॉपर कैसे बन सकता है. जब मैं टॉपर बना तो ये उनलोगों के लिए जवाब था कि अगर आगे की सोच रखें और मेहनत करें तो आदमी सबकुछ पा सकता है.
आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एडवाइजरी टीम में हैं उस बारे में थोड़ा बताइए ?
प्रधानमंत्री जी को साइंटिफिक एडवाइज देने के लिए प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर होते हैं.जो मौजूदा समय में के विजय राघवन है. उन्होंने ही तय किया किया कि इस ग्रुप में ऐसे लोग होने चाहिए जो फील्ड में काम करते हैं. उन्होंने 100 युवा साइंटिस्ट का चुनाव किया।मुझे खुशी है कि मैं उसमें चुना गया. हम लोग जो डिस्कशन करते हैं वो प्रधानमंत्री तक प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर पहुंचाते हैं.
आप भारतीय शिक्षा नीति में क्या बदलाव चाहते हैं ?
हमारा एजुकेशन सिस्टम अभी रट्टा मारने वाला है. जापान के बच्चे स्कूल से ही पढ़ाई भी करते हैं और इनोवेशन भी. भारत में भी ऐसा होना चाहि. रट्टा मारने नहीं समझने वाले एजुकेशन की जरूरत है.
आपकी हॉबीज क्या है ?
मुझे घूमने का बहुत शौक है. मौका मिला तो मैं वर्ल्ड टूर पर जाना चाहूंगा. इसके अलावा पेंटिंग और चेस खेलना पसंद है.