फिल्म- किंगडम ऑफ द प्लैनेट ऑफ द एप्स
निदेशक: वेस बॉल
कलाकार: ओवेन टीग, फ्रेया एलन, केविन डूरंड, पीटर मैकॉन और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- ढाई
Kingdom of the Planet of the Apes Review: प्रसिद्ध साइंस फिक्शन फिल्म प्लैनेट ऑफ द एप्स की शुरुआत 70 के दशक में हुई थी. साल 2011 में इस फ़्रेंचाइजी फिल्म की एक बार फिर से रीबूट किया गया. इस बार बड़े बजट, शानदार एक्शन और भव्य ग्राफिक्स के साथ कहानी को प्रस्तुत किया गया. कॉस्ट्यूम के बजाय जीवंत सीजीआई की मदद से एक्टर्स को लंगूर में बदला गया और फिल्म में टिकट खिड़की पर सफलता की नयी कहानी लिख दी. एक के बाद एक तीन फिल्मों की ट्रॉयलॉजी के जरिए कहानी को कहा गया था. इस फ़्रेंचाइज़ी फिल्म की नयी शुरुआत किंगडम ऑफ़ प्लैनेट ऑफ द एप्स से हो रही है. फिल्म एप्स की चित परिचित दुनिया को फिर से एंगेजिंग तरीके से लेकर आयी है लेकिन उसमें कुछ भी नया या दिलचस्प नहीं जोड़ पायी है, जो इस फिल्म को यादगार बना दें. फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत सपाट रह है. इसमें ट्विस्ट एंड टर्न की भारी कमी है. किरदारों पर भी कम मेहनत हुई है, जिससे वह प्रभावी तौर पर सामने नहीं आ पाए हैं.
अंडर डॉग के हीरो बनने की है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो लंगूरों के नेता सीजर (एंडी सर्किस) की मौत हो चुकी है. कहानी कई पीढ़ियों से आगे बढ़ गयी है. अब लंगूर छोटे – छोटे कबीले में रह रहे हैं. ऐसे ही एक कबीले का नाम ईगल क्लेन है. इसी ग्रुप में युवा लंगूर नोवा (ओवन टीग) है, जिसे ऊंचाई पर चढ़ पाने का हुनर है. वह अपने दोस्तों और माता पिता के साथ अपनी इस दुनिया में खुश है, लेकिन यह ख़ुशी ज्यादा समय तक नहीं रह पाती है. जब मास्क पहने हुए लंगूर उनके कबीले पर हमला कर देते हैं और सभी लोगों को ग़ुलाम बना लेते हैं. इस लड़ाई में नोआ के पिता की मौत हो जाती है,लेकिन नोआ बच जाता है. वह अपने मरे हुए पिता से वादा करता है कि वह अपनी मां सहित अपने कबीले के लोगों को वापस लेकर आएगा. सारे लंगूरों को कौन बंदी बना रहा है. उसके पीछे का उसका मक़सद क्या है? क्या नोआ उस तक पहुंच पाएगा और अपने पिता से किया गया वादा निभा पायेगा. यही आगे की कहानी है. नोआ की इस जर्नी में एक इंसान भी उसके साथ है .उसका क्या मकसद है. यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
एक्टिंग देखते बनती है
नोवा के किरदार में ओवेन टीग ने अपनी छाप छोड़ी है. फ्रेया एलन ने डर, ग़ुस्से, बेबसी और साहस के साथ अपने किरदार मे को हर फ्रेम में बखूबी निभाया है. डूरंड भी अपने खलनायकी के साथ प्रीमियस सीजर के रोल में जमे हैं. पीटर मैकॉन फिल्म में ह्यूमर का रंग राका के किरदार से बखूबी भरते हैं. बाकी के किरदारों ने भी अपनी-अपनी भूमिका के साथ बखूबी न्याय किया है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
इस फिल्म की खूबियों में यह बात भी शामिल है कि अगर आपने इस फ्रेंचाइजी की पहली फिल्मों को नहीं देखा है, तो भी आप इस फिल्म को एक इंडिपेंडेंट फिल्म की तरह देख सकते हैं. इस फिल्म की कहानी और किरदार नये हैं .ख़ामियों में फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत सपाट रह गया है. इसमें ट्विस्ट, टर्न और कॉन्फ़्लिक्ट की कमी है . यह फिल्म भी सवाल उठाती है कि क्या होगा अगर जानवरों के हाथ में पॉवर आ जाये और इंसान बेबस हो जाये. फिल्म में दिखाया गया है कि एक वायरस की वजह से लंगूर अब और समझदार हो गए हैं, जबकि इंसान को बोलने में दिक्कत हो रही है. इंसान को इस फिल्म में काफी असहाय सा दिखाया गया है. यह थोड़ा अटपटा सा लगता है. उसके पीछे की वजह को प्रभावी ढंग से स्क्रीनप्ले में जोड़ा नहीं गया है. सीक्वल का सिरा फिल्म में छोड़ दिया गया है. फिल्म का एक्शन अच्छा है लेकिन क्लाइमेक्स को पानी में फिल्माया गया है . बीते कुछ समय से अवतार सहित कई फिल्मों के क्लाइमेक्स पानी में ही फिल्माये गये हैं, तो क्लाइमेक्स के एक्शन में कुछ नयापन देखने को नहीं मिलता है.फिल्म की सिनेमाटोग्राफ़ी अच्छी है. बैकग्राउंड म्यूजिक भी अच्छा बन पड़ा है. आखिर में प्लेनेट ऑफ एप्स की इस दुनिया में आप अपने पसंदीदा किरदार सीजर को मिस करेंगे. भले ही फिल्म में इस नाम का जिक्र कई बार हुआ है.
रिपोर्ट- उर्मिला कोरी
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