अक्षय कुमार की फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ के सिनमेटोग्राफर (कैमरामैन) असीम मिश्रा रविवार को फिल्म के प्रमोशन के लिए धनबाद आए थे. यहां उन्होंने प्रभातम मॉल स्थित आइनॉक्स में मीडिया से बातचीत की. बताया कि यह फिल्म उनके दिल के करीब है, क्योंकि उनका बचपन धनबाद में बीता है. पिता डीजीएमएस में अधिकारी थे. इसलिए वह कोयला खदानों से परिचित हैं. जब उन्हें फिल्म के निर्देशक टीनू देसाई ने फिल्म पर चर्चा के लिए बुलाया तब उन्हें फिल्म के बारे में पता चला. यह फिल्म जसवंत सिंह गिल की बॉयोपिक है. वह भी आइएसएम के पूर्व छात्र थे. उनके पिता भी इसी संस्थान के पूर्व छात्र थे. यह फिल्म कोयला खदान में हुए हादसे पर आधारित है. इसलिए यह फिल्म उनके लिए बेहद खास है.
आईआईटी आईएसएम के छात्रों को पसंद आयी फिल्म
आइआइटी आइएसएम के छात्रों को मिशन रानीगंज काफी भा रहा है. शनिवार और रविवार को अवकाश रहने के कारण काफी संख्या में छात्रों ने फिल्म देखी. इनके साथ संस्थान के अधिकारियों और शिक्षकों ने भी यह फिल्म देखी. छात्रों के अनुसार यह उनके लिए काफी गौरवान्वित करने वाली फिल्म है. क्योंकि यह उनके संस्थान के पूर्व छात्र की उपलब्धी पर आधारित है.
चुनौतीपूर्ण थी शूटिंग, स्टूडियो में बना था खदान का सेट
असीम मिश्रा ने बताया कि कोयला खदान के भूमिगत दृश्यों को शूट करना काफी चुनौतीपूर्ण था. क्योंकि भूमिगत कोयला खदानों में शून्य प्रकाश होता है, वहां घुप्प अंधेरा होता है. लिफ्ट क्षेत्र जैसे कुछ क्षेत्र हैं और कुछ अन्य जहां इंसुलेटेड तारों के साथ कुछ बल्ब हैं, लेकिन ज्यादातर वहां अंधेरा होता है. उन्होंने बताया कि उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री खदान पर आधारित थी. इस लिए वह कोयला खदानों से परिचित थे. इसके लिए स्टूडियो में लगभग 100 फीट गुणा 90 फीट का सेट बनाया था. उन्होंने बताया कि फिल्म में खदान के अंदर की सीन को वास्तविक फिल कराने के लिए हाथ में कैमरा पकड़कर फिल्म को शूट किया गया था. सभी कैमरा ऑपरेटरों ने बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने सभी से यह फिल्म देखने की अपील की.