17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Auron Mein Kahan Dum Tha Movie Review:कहानी है बेदम

auron mein kahan dum tha फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है.अजय देवगन और तब्बू स्टारर इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं ,तो एक बार रिव्यु पढ़ लें

फिल्म  – औरों में कहां दम था 

निर्देशक- नीरज पांडे

कलाकार- अजय देवगन,तब्बू,शान्तनु माहेश्वरी,सई मांजरेकर,जिमी शेरगिल और अन्य 

प्लेटफार्म- सिनेमाघर

रेटिंग- दो 

auron mein kahan dum tha के निर्देशक नीरज पांडे हैं.उनका नाम हिंदी सिनेमा की शानदार थ्रिलर फिल्में जैसे ए वेडनेस डे, बेबी,स्पेशल छब्बीस से जुड़ा है.यह पहला मौका है, जब उन्होंने रोमांटिक जॉनर की फिल्म को निर्देशन के लिए चुना, हालांकि थ्रिलर इस रोमांटिक फिल्म में भी जोड़ा गया है. लेकिन इस बार नीरज दोनों ही जॉनर के साथ न्याय नहीं कर पाएं हैं.  फिल्म के नाम में भले ही दम है , लेकिन फिल्म दमदार तरीके से परदे  नहीं आ पाई है.फिल्म की कहानी प्रेडिक्टेबल है और स्क्रीनप्ले भी कमजोर रह गया है.

प्रेडिक्टेबल कहानी पर बनी लव स्टोरी 

फिल्म की कहानी बिहार के लड़के कृष्णा (शांतनु माहेश्वरी ) जो रांची से दिल्ली होते हुए सपनों की नगरी मुंबई पहुँचता है. जहां वह वसुधा  (सईं मांजरेकर) को दिल दे बैठता है.दोनों की प्रेमकहानी चल पड़ती है.इनका प्यार जीने मरने वाला है. हालात भी कुछ ऐसे बनते हैं कि डबल मर्डर के चार्ज में कृष्णा को पच्चीस सालों की जेल हो जाती है.कृष्णा 23 की सजा काटकर जेल से रिहा होता है.वसुधा और कृष्णा फिर से मिलते हैं ,लेकिन कुछ घंटों के लिए क्योंकि वसुधा की शादी अभिजीत (जिमी शेरगिल ) से चुकी है, कृष्णा और वसुधा की प्रेमकहानी का क्या होगा. डबल मर्डर का सच क्या था. इन्ही सब सवालों के जवाब यह प्रेमकहानी आगे देती है. 

फिल्म की खूबियां और खामियां 

फिल्म की कहानी में दो प्रेमियों का मिलने और बिछड़ने की कहानी है.जिसे 23 सालों के टाइम फ्रेम में कहा गया है. फिल्म की कहानी पेपर पर भले ही इमोशनल लगती है, लेकिन परदे पर फिल्म को देखते हुए ऐसा कुछ भी महसूस नहीं होता है.फिल्म शुरुआत में लव स्टोरी है,लेकिन फिल्म खत्म होने के आधे घंटे पहले वह थ्रिलर मोड पर चली जाती है , जो अखरता है।फिल्म की कहानी में थ्रिलर जोड़ने के लिए एक सीन को तीन अलग -अलग पॉइंट ऑफ़ व्यू से कहा है. कहानी प्रेडिक्टेबल है और उससे जुड़ा यह ट्विस्ट भी. हाँ फिल्म का अंत बहुत रीयलिस्टिक हुआ है. आमतौर पर बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्मों का अंत ऐसा नहीं होता है.फिल्म की लम्बाई इसकी एक सबसे बड़ी दिक्कत है. एक वक़्त के बाद फिल्म खींचती जान पड़ती है. लेकिन इसके बावजूद फिल्म कुछ अहम् सवालों के जवाब नहीं देती है.वसुधा अभिजीत से शादी का फैसला कैसे करती है और अभिजीत वसुधा के अतीत को जानते हुए क्यों उससे शादी के लिए राजी हो जाता है.  इस अहम् पहलू को कहानी में उस तरह से दर्शाया नहीं गया है ,जो इस कहानी की सबसे बड़ी जरुरत थी.फिल्म की कहानी दो कालखंडो में फ्लैशबैक और वर्तमान के ज़रिये कही गयी है.फिल्म में 23 साल का अंतराल है इसलिए कृष्णा और वसुधा के युवा किरदार में शांतनु माहेश्वरी और सई मांजरेकर नजर आये हैं ,वही उम्र वाले किरदार में अजय देवगन और तब्बू ने निभाया है. लेकिन विलेन के चेहरे में बदलाव नहीं किया गया है.फिल्म के गीत संगीत की बात करें तो मौजूदा दौर के गीत-संगीत से बिलकुल कुछ अलग अंदाज में पेश करने की कोशिश की गयी है. जो फिल्म में एक सुकून जोड़ता है. फिल्म का संवाद बहुत ही सतही रह गया था, जो इस फिल्म को और कमजोर बनाता है, जबकि एक इमोशनल रोमांटिक फिल्म की सबसे बड़ी जरुरत इसके संवाद ही होते हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की भी अपनी खामियां हैं, इसमें डिटेलिंग की कमी खलती है. 

अजय और शांतनु के अभिनय में है दम 

अभिनय की बात करें तो यह इस फिल्म की संबसे बड़ी यूएसपी है.अजय देवगन एक मंझे हुए अभिनेता हैं ,स्क्रिप्ट की खामियों के बावजूद उन्होंने अपनी छाप  छोड़ी है.अपने किरदार से जुड़े दर्द को उन्होंने फिल्म के हर फ्रेम में जिया है.तब्बू ने भी अजय का बखूबी साथ दिया है. शांतनु माहेश्वरी की भी तारीफ बनती है,उन्होंने युवा कृष्णा के किरदार में अपनी छाप छोड़ी है.बॉडी लैंग्वेज से लेकर उनकी संवाद अदाएगी सभी में वह झलकता है.सई मांजेरकर का अभिनय औसत है हालांकि स्क्रीन पर वह बहुत प्यारी दिखी हैं।बाकी के किरदारों में जिमी शेरगिल सहित बाकियों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें