वेब सीरीज – मुम्बई डायरीज 26/11
निर्माता- निखिल आडवाणी
प्लेटफार्म- अमेज़न प्राइम वीडियो
कलाकार- कोंकणा सेनशर्मा, मोहित रैना,श्रेया धन्वंतरि, सत्यजीत दुबे, मृण्मयी देशपांडे,नताशा भारद्वाज और अन्य
रेटिंग-तीन
26/11 के हमले पर अब तक कई फिल्में और वेब सीरीज बन चुकी है ज़्यादातर इन कहानियों को सुरक्षा बलों के नज़रिए या आंतकवादी के ज़रिए बयां किया गया है. मेडिकल कर्मचारियों के साहस और बलिदान की चर्चा ना के बराबर ही हुई. अमेज़न की ये वेब सीरीज उस दौरान एक सरकारी अस्पताल में हुए हमले पर फोकस करती है और कहानी को डॉक्टर्स, नर्सेज,अस्पताल के कर्मचारियों के ज़रिए सामने लेकर लाती है.
कहानी को कहने की समय सीमा 26 से 29 नवंबर के बीच है. हमले के 11 घंटे पहले से कहानी शुरू होती है. सरकारी अस्पताल बॉम्बे अस्पताल जहां आम दिनों में भी बेड्स, स्टाफ और मेडिकल सामानों की बहुुुत तंगी है लेकिन इन सब के बीच डॉक्टर कौशिक ( मोहित रैना) है. जो संसाधनों की कमी के बावजूद अपने मरीजों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. उसे नियम तोड़ने से भी कोई गुरेज नहीं है. ऐसे में जब 26/11 जैसी युद्ध की स्थिति मुम्बई में बनती है और बॉम्बे हॉस्पिटल भी आतंकियों के निशाने पर आ जाता है तो अस्पताल का पूरा सिस्टम पुलिस के साथ मिलकर किस तरह से मरीजों की जान बचाता है और घायलों का इलाज करता है.
यह वेब सीरीज अपने 8 एपिसोड में इसी घटनाक्रम को बुने हुए है. इस दौरान हर किरदार अपने अलग अलग आंतरिक और मानसिक संघर्षों से भी जूझता दिखता है. मुस्लिम समुदाय से भेदभाव , जाति व्यवस्था का दंश और दंभ, लिंग भेद, समाचार चैनलों और मीडियाकर्मियों के ब्रेकिंग न्यूज़ की होड़ में आतंकी सरगनाओं का सोर्स बन जाना, सरकारी अस्पताल में भर्ती गरीब मरीजों की जान पांच सितारा में फंसे लोगों से सस्ती है. पुलिसकर्मी आतंकियों के वजह से नहीं बल्कि सिस्टम की वजह से मरे थे. खस्ताहाल अस्पताल और जंग लगे पुराने हथियार. किसी आंतकवादी की जान बचाना गलत है. सीरीज इन मुद्दों को भी बखूबी उठाती है.
इस वेब सीरीज के शुरुआत में ही डिस्क्लेमर के ज़रिए ये बात साफ कर दी गयी है कि यह सीरीज 26/11की घटना से प्रेरित है पूरी तरह से सत्य नहीं है यही वजह है कि जगह और लोगों के नाम बदल दिए गए हैं मतलब साफ है कि मेकर्स ने सिनेमैटिक लिबर्टी ली है ताकि हकीकत में हुए इस घटना पर जमकर ड्रामा जोड़ा जा सके और वाकई जो भी ड्रामा कहानी को एंगेजिंग बनाने के लिए जोड़ा गया है. वो खास है. बीच बीच में असली फूटेज के साथ भी दृश्यों को जोड़ा गया है जिससे वे और प्रभावी बन गए हैं. सीरीज के हमले के दृश्य बढ़िया तरीके से शूट किए गए हैं. जो हमले की भयावहता को बखूबी दिखाते हैं.
सीरीज में कुछ जगहों पर थोड़ा मेलोड्रामा ज़्यादा हो गया है. सोनाली कुलकर्णी का डॉक्टर कौशिक को थप्पड़ मारने वाला दृश्य की ज़रूरत नहीं थी. आठ एपिसोड वाली यह सीरीज दूसरे एपिसोड से रफ्तार पकड़ती है.
अभिनय की बात करें तो यह सीरीज मोहित रैना की है और उन्होंने बखूबी इसे अपने कंधों पर उठाया है. कोंकणा सेनशर्मा और श्रेया धन्वंतरि अपने अभिनय से किरदार को खास बनाया है तो टीना देसाई,सत्यजीत दुबे,मृण्मयी देशपांडे और नताशा भारद्वाज सहित बाकी के किरदारों ने भी अपनी अपनी भूमिका को संजीदगी के साथ निभाया है. सीरीज के संवाद कहानी और किरदारों को मजबूती देते हैं. कुलमिलाकर यह मेडिकल ड्रामा सीरीज रोमांच से भरपूर है.