इस स्वतंत्रता दिवस पर ओटीटी प्लेटफार्म ज़ी 5 इंडिया शायरी प्रोजेक्ट लेकर आ रहा है. यह शायरी प्रोजेक्ट कविता के साथ आज़ादी का जश्न मनाने के बारे में होगा. इस शो के प्रस्तोता और परफ़ॉर्मर डॉक्टर कुमार विश्वास के साथ उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…
इंडिया शायरी प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट क्या है?
ये भारतीय ओटीटी का सबसे बड़ा शायरी का प्रोजेक्ट है. मेरे अलावा तीन लोग और हैं. जावेद अख्तर साहब एक बड़ा जानामाना नाम हैं. कौसर मुनीर बॉलीवुड की प्रसिद्ध गीतकार हैं. जाकिर खान हैं जो युवाओं में बहुत खास पॉपुलर हैं. आज़ादी से हम कविता को जोड़कर कह रहे है. आज़ादी में कैसी कैसी कविताएं जुड़ी. रंग दे बसंती कैसे बना. बिस्मिल कैसे शायर थे. इन तमाम बातों के साथ आज़ादी के मायने हमारे लिए क्या है इस पर भी बात होगी. ये पहला सीजन होगा. आगे और भी सीजन आएंगे. शो का होस्ट भी होऊंगा और परफॉर्म भी करूंगा. हमारी ये भी कोशिश रहेगी कि हम इस दौरान युवा शायरों से उनकी रचनाएं मंगवाएँगे और अगले सीजन में उन्हें भी मौका देंगे.
क्या आपको लगता है कि ओटीटी देखने वाला युवा दर्शक शायरी से कनेक्ट हो पाएगा?
भारत में कई विदेशी ओटीटी प्लेटफार्म हैं जो हमें अपना कूड़ा दिखा रहे हैं और हम देख रहे हैं क्योंकि स्वदेशी प्रोग्राम पर कोई काम ही नहीं कर रहा था. ज़ी 5 को मैं स्वदेशी ओटीटी प्लेटफार्म कहूंगा. जिसने इंडिया शायरी प्रोजेक्ट के साथ यह पहल कर रहा है. मैं बताना चाहूंगा कि सोशल मीडिया पर म्यूजिक के बाद सबसे बड़ी मांग शायरी की है. बस उसे ठीक से प्रस्तुत करने की ज़रूरत है. हर कोई शायरी से कनेक्ट होता है.
अंग्रेजी हम पर हावी हो गयी है ये बात अक्सर सुनने को मिलती है,बदलते वक्त के साथ हिंदी भाषा का महत्व बढ़ा है या घटा है?
बढ़ा है. मेरे ज़्यादातर पाठक यूथ रहे हैं. वो सिर्फ भारत ही नहीं विदेश में भी हैं. सोशल मीडिया के आने से हिंदी का प्रचार प्रसार और बढ़ा है. मेरा काव्य संग्रह कोई दीवाना कहता है अंग्रेज़ी लिखने वाले पॉपुलर राइटर्स की किताबों से बेस्टसेलिंग में टॉप पर रही हैं. ये इस बात की गवाही है कि हिंदी भाषा का महत्व बढ़ा है. हिंदी 100 करोड़ से ज़्यादा लोगों को स्पर्श करने की भाषा है. हमें भाषा मिली है आत्मा के आनंद के लिए जो आनंद मौसी शब्द में हैं वो आंटी में कहा.
शायर बनने के लिए क्या चीज़ें ज़रूरी आप मानते है?
अगर है शौक लिखने का तो पढ़ना भी ज़रूरी है. ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ने की आदत डालें. हिंदी सहित दूसरी भाषाओं में भी.
ज़िन्दगी का वो कौन सा पल था आपको कब लगा कि आप कवि बन सकते थे?
मुझे ये बात बचपन में ही मालूम हो गयी थी कि मुझमें शब्दों से खेलने का हुनर है लेकिन मेरे पिताजी को ये नहीं मालूम था. वो टीचर थे तो मेरे लिए एक सुरक्षित भविष्य चाहते थे. वो मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे आखिरकार मैं पिताजी को समझाने में कामयाब हो गया.