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Bihar Film Policy 2024: गीतकार राजशेखर ने कहा बिहार की फिल्में वैसी होती हैं, इस सोच को रीराइट करने का वक्त..

गीतकार राजशेखर ने इस इंटरव्यू में बताया कि बिहार फिल्म पॉलिसी को लेकर वह बेहद आशावान हैं,उन्हें उम्मीद है कि इससे बिहार की रिच हिस्ट्री और कल्चर को सही तरीके से दर्शाया जाएगा

bihar film policy 2024 : बीते 18 अक्टूबर को पटना में फिल्म कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था, जिसमें बिहार फिल्म नीति पर चर्चा हुई. इस चर्चा में बिहार से जुड़े कई सेलिब्रिटीज चेहरे शामिल हुए थे , जिसमें हिंदी सिनेमा में गीतकार के रूप में अपनी मजबूत पहचान बना चुके मधेपुरा के राजशेखर का नाम भी जुड़ा था. बिहार की फिल्म नीति और उससे जुड़ी भविष्य की योजनाओं के साथ – साथ राजशेखर ने अपनी आनेवाली फिल्मों पर भी उर्मिला कोरी से बातचीत की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश

मैथिली सिनेमा अच्छा कर रहा है

बिहार के छोटे से गांव मधेपुरा से बॉलीवुड की मेरी अब तक की जो जर्नी रही है. इस दौरान मन में कई बार यह सवाल आता रहा है कि कब बिहार में दूसरे राज्यों की तरह फिल्में बनेगी खासकर मलयालम, मराठी और बांग्ला सिनेमा की तरह. हम बिहारियों की खुद कितनी रिच हिस्ट्री है, कल्चर है. हमारी वह चीजें अब तक उस तरह से पर्दे पर नहीं आ पाई है. मौजूदा जो फिल्म नीति आई है. मैं उसको लेकर आशावान हूं कि हमारी फिल्में, हमारा कल्चर, हमारे लोग, अब ज्यादा अच्छे से लोगों तक पहुंच पाएंगे.आम लोगों में अवधारणा बन चुकी है कि बिहार की फिल्में या गाने ऐसे ही होते हैं. बिहार की फिल्में वैसी होती है. मुझे लगता है कि यह उस सोच को रीराइट करने का सबसे अच्छा मौका है. उसे चैप्टर को पुनर लेखन का वक्त है. मैं मानता हूं कि बिहार में ऐसी फिल्मों और गानों के दर्शक हैं , लेकिन जब तक आपको घी का स्वाद पता नहीं होता आप वनस्पति को ही अच्छा कहते हैं. वैसे रीजनल सिनेमा पूरी तरह से खराब है,मैं ये भी नहीं कह रहा हूं. मैथिली सिनेमा इन दोनों बहुत अच्छा कर रहा है. गामक घर, पोखर के दोनों पार यह सब फिल्में अच्छी आ रही है और बहुत उम्मीद जगा रही है.

शूटिंग होने से बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बेहतर होता जाएगा

बिहार सरकार नई फिल्म नीति लागू करने जा रही है. ऐसे में उन्होने बिहार से जुड़े उन लोगों को बुलाया, जो बॉलीवुड में लगातार काम कर रहे हैं. इस दौरान चर्चा हुई की बिहार में किस तरह से फिल्म का निर्माण बढ़े और साथ ही मीनिंगफुल सिनेमा की शुरुआत हो. यह बात सभी जानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री अपने साथ एक पैरेलल इकोनॉमी लाती है. वह किस तरह से बढे.इस पर भी फोकस रहा। बिहार पर कितनी सारी कहानी बन रही है, लेकिन एक भी शूटिंग बिहार में नहीं होती है. फिल्म नीति आने से फिल्मों की फिल्मों की शूटिंग होने लगेगी. शूटिंग होने से सीधा होटल इंडस्ट्री , ट्रांसपोर्ट व्यवसाय इसके अलावा खाना पीना सब में बढ़ोतरी होने वाली है. मैं बताना चाहूंगा कि एक फिल्म की शूटिंग अपने आप में पूरे गांव बसा लेता है. जितनी ज्यादा फिल्म बनने लगी उतना बेहतर बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर होता जाएगा.

आनेवाली नस्लों को खोखला संगीत और साहित्य ना दें

बिहार से जुड़े सभी लोगों से मेरी यही अपील होगी कि वह जो भी फिल्में या गानें बनाये। उसे जिम्मेदारी से अब और बनाएं। मुझे लगता है कि म्यूजिक एक बहुत महत्वपूर्ण टूल है.जिससे हम किसी समाज को जान सकते हैं.मैं सुचितावादी नहीं हूं,लेकिन हमारी एक जिम्मेदारी भी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को किस तरह का समाज.किस तरह का शब्दकोश, किस तरह का व्याकरण, किस तरह का गीत दे पाएं। यह पूरी तरह से हम पर निर्भर करता है. तो हमें इस चीज को लेकर थोड़ा सजग रहने की जरूरत है. मैं मानता हूं हमारे लोकगीतों में थोड़ी बहुत छेड़छाड़ है, लेकिन एक बार अपने मन में झांक कर देखना चाहिए. सफलता की अंधी दौड़ में शामिल होने के लिए सब कुछ ताक पर ना रख दें. अपनी आने वाली नस्लों को खोखला संगीत, खोखला साहित्य ना दे.

मैं पॉपुलर अवार्ड्स को इस तरह से देखता हूं

पिछले साल की सबसे कामयाब फिल्म एनिमल के गीतों से मेरा नाम जुड़ा हुआ है , लेकिन अभी तक किसी भी पॉपुलर अवार्ड मुझे अवार्ड नहीं मिला है, लेकिन मुझे इसका कोई मलाल नहीं है.अवार्ड को मैं इस तरह से देखता हूं कि मिल जाए,तो दोस्तों के साथ पार्टी करने और इंस्टाग्राम पर स्टोरी डालने में आसानी होती है. खासकर पॉपुलर जो अवार्ड है। मैं उनकी बात कर रहा हूं. जैसे मुझे एसडब्ल्यू अवार्ड मिला. इस अवार्ड में जो ज्यूरी मेंबर थे. वह इंडस्ट्री के बहुत ही खास चेहरे थे. खासकर गीत संगीत में मयूर पुरी, समीर साहब जैसे नाम उससे जुड़े थे. उन्होंने मुझे इस साल का बेस्ट गीतकार का अवार्ड नवाजा तो बहुत अच्छा लगा.

आनेवाले प्रोजेक्ट्स

मिसमैच का तीसरा सीजन कर रहा हूं. इसके अलावा देश के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउसेज की आने वाली दो से तीन फिल्मों का भी हिस्सा हूं. फिलहाल में उन फिल्मों के कारण ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं. वैसे भविष्य में फिल्मों के निर्देशन से मेरी जुड़ने की प्लानिंग है. हो सकता है कि बिहार की फिल्म नीति निर्देशक के तौर पर मेरी दूसरी पारी की शुरुआत करने में मेरी मदद करें.

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