shambhavi singh स्टार भारत के सुपरनैचरल शो 10. 29 की आखिरी दस्तक में प्रीति की भूमिका को निभा रहीं हैं.शांभवी इससे पहले ये रिश्ता क्या कहलाता का भी हिस्सा रही हैं, लेकिन यह पहला मौका है, जब वह लीड भूमिका में हैं. शांभवी बताती हैं कि अब टेलीविज़न इंडस्ट्री में सह कलाकारों को टाइपकास्ट नहीं किया जाता है.पटना की शांभवी सिंह इंडस्ट्री में अब तक की जर्नी और अपने अनुभवों को उर्मिला कोरी के साथ शेयर किया है.पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
इस शो में किस तरह से आपकी एंट्री हुई है?
ऑडिशन के जरिए ही मैं इस शो से जुड़ी. मुझे बहुत बाद में मालूम पड़ा कि सीरियल यह रिश्ता क्या कहलाता है कि क्रिएटिव टीम इसकी भी क्रिएटिव टीम से जुड़ी है. इस शो का जॉनर काफी अलग है. मुझे लगता है कि जहां अच्छाई है , वहां बुराई भी है.
आपने ये रिश्ता से ही अभिनय में अपनी शुरुआत थी?
ये रिश्ता क्या कहलाता है मेरा टीवी का डेब्यू था. उससे पहले मैंने एक शॉर्ट फिल्म वो खास की थी.आप गूगल पर सर्च करोगे तो वह मिल जाएगी. उसको हमने कई नेशनल और इंटरनेशनल फेस्टिवल में भेजा भी था. इसका निर्माण हमने पटना से ही किया था.सुधांशु पांडे की एमएक्स प्लेयर पर वेब सीरीज हैं. उसका भी मैं हिस्सा हूं.
वेब सीरीज और शॉर्ट फिल्म के बावजूद टीवी को चुनने की क्या वजह थी?
मैं इस बात में बहुत यकीन करती हूं कि जब आपके पास अच्छे मौके आ रहे हैं, तो आपको ले लेना चाहिए. माध्यम कोई मायने रखता है. आप बोल सकते हैं कि मैंने यह रिश्ता क्या कहलाता है को मेनिफेस्ट किया है. बचपन से ही उस शो को देख रही हूं. मेरे घरवाले भी बोलते थे कि अगर एक्टिंग में शुरुआत हो तो ऐसे ही किसी प्रोजेक्ट से हो और यही हुआ. मैं पटना से मुंबई आयी और 4 से 5 दिन में ही इस शो के लिए सिलेक्ट हो गई थी.
आपने कहा कि आप पटना से मुंबई आई और तुरंत आपको शो मिल गया. मुंबई में आपको कभी संघर्ष नहीं करना पड़ा?
मैं अभी भी स्टूडेंट हूं. कॉरेस्पोंडेंस से पढ़ाई कर रही हूं. पढाई और शूटिंग दोनों मैनेज कर रही हूं. मेरी स्कूलिंग पटना से हुई है. पटना में ही मैं एक्टिंग का कोर्स किया था. आमतौर पर लोग मुंबई आ जाते हैं स्ट्रगल करने के लिए, पता नहीं क्यों मेरे अंदर एक जिद थी कि जब तक मुंबई मुझे नहीं बुलाएगा. मैं मुंबई नहीं जाऊंगी .
आपके लिए संघर्ष क्या रहा है ?
मेरी जर्नी भी आसान नहीं रही है.2021 में जब मैं सुधांशु पांडेय वाली वेब सीरीज की शूटिंग कर रही थी,तो अपनी दादी को खो दिया था.किसी तरह दो दिन का ब्रेक लेकर आयी. उसके बाद में फिर राजस्थान शूटिंग में चली गई थी, फिर मैं तेरहवीं में आई. उसके बाद मैं बहुत ही डिप्रेशन में चली गई थी.उस दौरान मुझे दंगल टीवी के शो के लिए लीड का ऑफर आया था ,लेकिन डिप्रेशन की वजह से मैंने उस शो को मना कर दिया था.उसके बाद मैं लगातार एक साल तक ऑडिशन देती रही थी,लेकिन कहीं कुछ नहीं हो रहा था, लेकिन फिर कॉल आ गया.आखिरकार मेरी जो जिद थी. मुझे मुंबई बुलाएगा तो ही मैं जाऊंगी.वैसे ही हुआ.
पटना से रहते हुए आप ऑडिशन को किस तरह से मैनेज करती थी?
आजकल टेक्नोलॉजी ने सब कुछ आसान कर दिया है. मैं घर बैठे बैठे कॉलेज कर रही हूं,तो दूसरी चीजें भी कर सकती हूं.सभी कास्टिंग डायरेक्टर से मैं कांटेक्ट में थी. मुझे जो भी वह ऑडिशन के लिए बोलते थे. अपने घर से वह वीडियो बनाकर उन्हें भेजती थी. यह बात है कि मैं जब भी ऑडिशन वीडियो बनाती थी. मुझे किसी भी तरह की कोई भी दखलंदाजी नहीं पसंद थी. यही वजह है कि घर में सबके सो जाने के बाद मैं रात के 12:00 से 3:00 तक अपना ऑडिशन वीडियो शूट करती थी. यह सब मैं अकेले ही करती थी. खुद ही कैमरा सेटअप करना. खुद से लाइट लगाना. शुरुआत में मेरे कुछ दोस्त आते थे, जो मेरी मदद करते थे. फिर मुझे लगा कि क्यों इनको परेशान करना. मैं खुद से ही सीख लिया. मैं कास्टिंग डायरेक्टर्स के पास ऑडिशन वीडियो सुबह 5:00 बजे करीब भेज देती थी,ताकि वह जब भी उठे तो सबसे पहले मेरा वीडियो ही देखें
फैमिली का कितना सपोर्ट रहा है ?
मेरी फैमिली भले बिहार से है, लेकिन वह उन्होंने हमेशा ही मुझे सपोर्ट किया है. मुझे याद है कि साल 2022 में मुझे मुंबई से एक ऑडिशन के लिए बुलाया गया. कहा गया कि आप फाइनल राउंड में पहुंच चुकी हैं. आप मुंबई आ जाओ. मेरे बर्थडे के एक दिन पहले ही कॉल आया था और मुझे मेरे बर्थडे के अगले दिन जाना था. मेरे पापा ने मुझे गिफ्ट के तौर पर 50 से 60 हजार की मुंबई से पटना आने जाने की फ्लाइट की टिकट बुक करके दे दी. मैं एयरपोर्ट से सीधा प्रोडक्शन हाउस के ऑफिस पहुँच गयी. रात साढ़े दस बजे से सुबह के चार बजे तक खड़े होकर ऑडिशन दिया. मेरे पास अपने काम को लेकर जूनून हमेशा रहा है, लेकिन फॅमिली के सपोर्ट के बिना ये संभव नहीं था . वैसे उसी दौरान मुझे ये रिश्ता के लिए ऑफर आया था और मैं उसके लिए चुन ली गयी.
क्या आपको हमेशा से अभिनेत्री ही बनना था ?
मेरे दादाजी क्रिमिनल लॉयर थे. मेरे पापा का बिजनेस है. ऐसे में दादाजी का सपना था कि घर पर लाल बत्ती आनी चाहिए. बचपन में मेरे भाई और मुझसे कहा जाता था कि आपको यूपीएससी करना है, तो शुरुआत में मेरे दिमाग में भी वही था.जब मैं थोड़ी बड़ी हुई तो मुझे लगा कि मुझे डॉक्टर बनना है, फिर मैंने पाया कि मुझे ब्लड से डर लगता है,तो डॉक्टर बनना कैंसिल हो गया. मैं पांचवी क्लास में रही होऊंगी . एक दिन स्कूल में एक टीचर ने हम बच्चों से पूछा कि आपको क्या बना है. मेरे एक फ्रेंड ने कहा कि उसे एक्टर बनना है. वह पहली बार था, जब मुझे एक्टिंग प्रोफेशन के बारे में मालूम पड़ा.उससे पहले मुझे लगता था कि जो टीवी पर दिखाई देते है.वह उसी बॉक्स के अंदर रहते हैं, लेकिन उसे दिन मुझे समझ में आया कि ये एक प्रोफेशन है. मुझे लगा कि मुझे भी वही करना है. उसके बाद में घर आई और अपनी मम्मी को बताया कि मुझे एक्ट्रेस बनना है. मम्मी ने जोर से चांटा लगाया. उस वक्त तक एक्टिंग को बहुत ही हेय दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मुझे एक्टिंग में ही जाना है. क्लासिकल डांस शुरू किया. मैंनें सिंगिंग की भी ट्रेनिंग ली है. मैं धीरे-धीरे अपने आप को काबिल बना रही थी और यह भी मन में तय करके रखा था कि फैमिली को किसी भी तरह से मानना है. एक दिन नजर पड़ी एक एक्टिंग कोर्स पर. पापा को मनाया. शुरुआत में वह नहीं मानें,लेकिन जब मैंने रोना -धोना शुरू किया और कहा कि बस एक मौका मुझे दे दीजिये. जिसके बाद वह मान गए.मेरे पेरेंट्स आज भी हर कदम पर मुझे सपोर्ट करते हैं.मम्मी मेरे पास ही मेरा ख्याल रखने के लिए ज्यादातर रहती हैं।
कहते हैं कि छोटे शहर वालों का संघर्ष बड़ा होता है ?
बिहार से होने की वजह से लोग आपकी डिक्शन को जज करते हैं कि आप उसी लहजे में ही बात करेंगे.कई बार सामने से लोग बोलने लगते हैं कि आपको अपनी भाषा पर काम करना होगा. अरे पहले सुन तो लो मुझे. मैं घर में हमेशा से हिंदी बोलती आयी हूं ,तो मुझे कभी डिक्शन की दिक्कत नहीं हुई. कई बार लोगों को लगता है कि मैं हिमाचल से हूं ,जब मैं उन्हें बताती हूं बिहार से हूं तो उनको आश्चर्य होता है. मुझे ये भी अजीब लगता है.
मुंबई में आप बिहार की क्या चीजें सबसे ज्यादा मिस करती हूं ?
मैं सबसे ज्यादा बिहार का फुचका मिस करती हूं. मुंबई में अलग तरह यहां अलग तरह का बनता है. मैं ये रिश्ता की शूट के दस महीने बाद छठ के पारण पर घर आयी थी.फुचका खाने लिए पूरा घर सर पर उठा लिया था. मुंबई में सत्तू भी अच्छा नहीं मिलता है , तो लिट्टी चोखा को भी बहुत मिस करती हूँ.