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Nadav Lapid: कौन है नदव लापिद, जिन्होंने फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बताया वल्गर प्रोपेगेंडा

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स को वल्गर प्रोपेगेंडा कहने वाले नदव लापिद पेशे से एक स्क्रीनराइटर और फिल्ममेकर हैं. लापिद का विवादों से गहरा नाता रहा है. अपने बयान की वजह से वह कई बार सुर्खियों में आ चुके हैं.

Who Is Nadav Lapid: इजरायली स्क्रीनराइटर, लेखक और फिल्म निर्माता नदव लापिद ने 53वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को वल्गर प्रोपेगेंडा कह दिया था. इस बयान के बाद इस पर विवाद छिड़ गया और हर तरह लोग इसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं. बता दें कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की सच्ची घटना दिखाई गई है. इसने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड्स अपने नाम किए.

नादव लैपिड कौन है?

नदव लापिद 1975 में इजराइल के तेल-अवीव में पैदा हुए. अवीव विश्वविद्यालय में उन्होंने फिलॉसफी और पेरिस में साहित्य का अध्ययन किया. 2011 लोकार्नो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उन्हें अपनी पहली फीचर फिल्म, पोलिसमैन के लिए विशेष जूरी पुरस्कार मिला. उन्होंने अपने करियर में कई डॉक्यूमेंट्रीज बनाई. वह साल 2015 में लोकर्नो फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन लेपर्ड जूरी, 2016 में कैन्स फिल्म फेस्टिवल में इंटरनेशनल क्रिटीक्स वीक जूरी और साल 2021 में बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ऑफीशियल कॉम्पिटिशन जूरी के भी मेंबर भी रह चुके हैं.

विवादों से गहरा नाता

47 वर्षीय इजरायली फिल्म निर्माता अपनी मातृभूमि के साथ अपने लव और हेट रिलेशनशिप के लिए भी जाने जाते हैं. नदव लापिद 250 इजराइली फिल्म निर्माताओं के एक समूह में भी शामिल थे, जिन्होंने शोमरॉन (सामरिया/वेस्ट बैंक) फिल्म फंड के लॉन्च के विरोध में एक खुले पत्र पर साइन किया था. फिल्म निर्माताओं ने महसूस किया कि फंड का सिर्फ एक लक्ष्य था, इजरायली फिल्म निर्माताओं को “वित्तीय सहायता और पुरस्कार के बदले व्यवसाय को सफेद करने में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित करना.” एक बार नदव ने अपनी फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा था कि इजरायल की सामूहिक आत्मा, एक बीमार आत्मा है.

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इजरायल पर की थी ये टिप्पणी

उन्होंने टोरंटो स्थित नाउ पत्रिका में दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “इजरायल के अस्तित्व के गहरे सार में कुछ गलत है, सड़ा हुआ है. यह सिर्फ बेंजामिन नेतन्याहू नहीं है. यह इजरायल के लिए खास नहीं है, लेकिन, साथ ही, मुझे लगता है कि इस इजराइली बीमारी की वजह यहां के पुरुष हैं, क्योंकि उन्हें अपने मस्कुलर बॉडी पर गर्व है. उन्हें कुछ भी गलत सही नहीं लगता है. न ही वे किसी मुद्दे पर सवाल करते हैं और न ही कोई संदेह करते हैं. उन्हें केवल अपने इजरायली होने पर ही गर्व रहता है”.

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