21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के इन 800 गांवों में दबदबा रखने वाले नक्सली आखिर गढ़वा के बूढ़ा पहाड़ तक कैसे सिमट गये

भौगोलिक रूप से दुरूह क्षेत्र की वजह से बूढ़ा पहाड़ पुलिस के लिये चुनौती बना हुआ है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा छतीसगढ़ में पड़ता है. इसके अलावा झारखंड के लातेहार जिले व गढ़वा जिले में भी इसके क्षेत्र आते हैं. नक्सली पुलिस से नजरें बचाकर दूसरे क्षेत्रों में घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं.

Jharkhand Naxal News, गढ़वा न्यूज (पीयूष तिवारी) : झारखंड के गढ़वा जिले में पुलिस, नक्सलियों के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ रही है. कभी जिले के करीब 800 गावों में अपना असर रखनेवाले व हथियारबंद दस्ता के साथ सक्रिय नक्सली अब सिर्फ बड़गड़ प्रखंड के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र तक सीमित हो गये है़ं उल्लेखनीय है कि नक्सलवाद के मुद्दे पर गृह मंत्रालय भारत सरकार के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की हुयी बैठक में जो जानकारी दी गयी है उसमें गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ में नक्सल अभियान अभी जारी रखने की बात कही गयी है़

भौगोलिक रूप से दुरूह क्षेत्र की वजह से बूढ़ा पहाड़ पुलिस के लिये चुनौती बना हुआ है. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा छतीसगढ़ में पड़ता है. इसके अलावा झारखंड के लातेहार जिले व गढ़वा जिले में भी इसके क्षेत्र आते हैं. नक्सली पुलिस से नजरें बचाकर दूसरे क्षेत्रों में घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. बूढ़ा नामक गांव जिसके नाम पर बूढ़ा पहाड़ है, वह गांव गढ़वा जिले की सीमा के अंदर है, लेकिन नक्सली आने-जाने के लिये गढ़वा के बजाय लातेहार क्षेत्र का इस्तेमाल करते है़ं

Also Read: Jharkhand News : झारखंड के एक प्लांट में बड़ा हादसा, 3 मजदूरों की मौत, विधायक अमर बाउरी ने लगाये ये आरोप

घने जंगल व दुरूह क्षेत्र की वजह से इस पहाड़ की चोटी तक पहुंचना हमेशा से पुलिस के लिये चुनौती भरा रहा है़ पुलिस चोटी तक भले नहीं पहुंच सकी है, लेकिन इसके काफी करीब तक जरूर पहुंच चुकी है़ हाल के कुछ सालों के अंदर भंडरिया व बड़गड़ क्षेत्र के घने व दुरूह क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण किया गया है़ इसका लाभ यह हुआ कि बूढ़ा पहाड़ तक जानेवाले रास्ते में सीआरपीएफ व आईआरबी के 10 कैंप व पिकेट स्थापित कर दिये गये़ इस वजह से नक्सलियों को मजबूरन बूढ़ा पहाड़ की चोटी क्षेत्र में सिमटना पड़ा है़ साल 2019 में हुयी बारूदी सुरंग विस्फोट की घटना के अलावा दो-ढाई सालों के दौरान एक पुलिस मुठभेड़ की घटना भी इस क्षेत्र में सामने नहीं आयी है.

Also Read: Jharkhand Weather Forecast : झारखंड में कब से दिखेगा तूफान गुलाब का असर, कब तक होती रहेगी भारी बारिश

झारखंड के गढ़वा जिले के बड़गड़ व भंडरिया क्षेत्र में परो, संगाली, मदगड़ीच, कुल्ही व हेसातू गांव में सीआरपीएफ का पिकेट बना हुआ है, जबकि आईआरबी का बड़गड़ में ओपी व बरकोल व बिजका गांव में पिकेट है़ इसके अलावा भंडरिया में थाना स्थापित है़

नक्सलियों के विरूद्ध लड़ाई में पुलिस के समक्ष मुख्य रूप से सड़क, बिजली व मोबाइल नेटवर्क की समस्या आड़े आ रही है़ इन क्षेत्रों के लोग अभी भी मोबाइल कनेक्टविटी से दूर है़ं यहां शुरू में मोबाइल टावर लगाने का नक्सलियों ने विरोध किया था़ साथ ही कुछ क्षेत्रों में सड़क के अभाव की वजह से भी मोबाइल टावर नहीं लगाया जा सका है़ इसी तरह बिजली भी अधिकतर गावों में नहीं पहुंच सकी है़ कई गावों में बिजली के खंभे व तार झुलते नजर आते हैं, लेकिन उनमें करंट कभी-कभी ही आती है़ पुलिस को रातभर जेनरेटर चलाकर पिकेट व कैंप को अंधेरे से मुक्त रखना पड़ता है़

नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये दो नयी सड़क का निर्माण किया जाना है़ इसकी कागजी प्रक्रिया अंतिम चरण में है़ उसके बाद इसका टेंडर कर निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा़ इसमें कुल्ही से छतीसगढ़ सीमा बहेरा टोली तक सड़क निर्माण तथा भंडरिया से पर्रो तक सड़क निर्माण शामिल है़ बताया गया कि इसके निर्माण के बाद छतीसगढ़ की सीमा जो बूढ़ा पहाड़ से लगती है वहां तक पुलिस के जवान पहुंच जायेंगे़

इस संबंध में गढ़वा एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया कि गढ़वा जिले में नक्सली कुछ क्षेत्रों तक सीमित हो गये हैं. उनके खात्मे के लिये लगातार काम किये जा रहे हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें