भारत की पूर्ण सुरक्षा के लिए तिब्बत की आजादी को अनिवार्य बताते हुए तिब्बती युवक कांग्रेस ने भारत सरकार से तिब्बत की आजादी की मांग को अंतरराष्ट्रीय पटल पर उठाने व सहयोग करने की मांग की है. क्षेत्रीय तिब्बती युवक कांग्रेस, छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष ट्रसी वांगदू व पश्चिम भारत के क्षेत्रीय कन्वेनर संदेश मिश्रान ने बोधगया में प्रेसवार्ता कर उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तानाशही से विशिष्ट तिब्बती सांस्कृतिक पहचान को संकट उत्पन्न हो गया है. चीन की कठोर नीतियों के बलपूर्वक कार्यान्वयन के माध्यम से अभूतपूर्व हमले हो रहे हैं. तिब्बत की मूल आबादी पर चीन द्वारा आबादी बसायी गयी है.
इस कारण हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बतियों की आवाज बुलंद करने व तिब्बत के अंदर महत्वपूर्ण मानवाधिकारों की स्थिति को सार्वजनिक करने का आग्रह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हाल में तिब्बतियों की सहमति के बगैर पेड़ों की बलपूर्वक कटाई, बौद्ध मठों को विंध्वस्त व तिब्बती संचालित स्कूलों को बंद करा दिया गया है.
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि तिब्बत की आजादी का अर्थ भारत की पूर्ण सुरक्षा है. इस बात पर भारत सरकार को ध्यान देनी चाहिए. खासकर, देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बात की उम्मीद है कि उनके मजबूत नेतृत्व में तिब्बत की आजादी की बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखी जायेगी. हम लगातार भारत सरकार से पत्राचार कर रहे हैं. हम तिब्बती ही नहीं, चीनी जनमानस भी वहां के राष्ट्रपति की दमनकारी नीति के शिकार हैं. उनके कब्जा करने की नीति का हम घोर विरोध करते हैं और भारत सरकार से हमें काफी उम्मीद है कि मानव अधिकारों की रक्षा के लिए हमारी आवाज को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखी जायेगी. बोधगया स्थित सिक्किम गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में तिब्बत की आजादी की मांग को लेकर पिछले कुछ वर्षों में आत्मदाह कर चुके तिब्बती युवा-युवतियों के आंकड़े भी गिनाये.