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स्मृति शेष : गिरिडीह के डुमरी विस से 4 बार विधायक रहे मंत्री जगरनाथ महतो, क्षेत्र के विकास के प्रति समर्पित

झारखंड के शिक्षा मंत्री रहे जगरनाथ महतो का छह अप्रैल की सुबह चेन्नई में निधन हो गया. इनके निधन की खबर सुनते ही सभी स्तब्ध हो गये. गिरिडीह के डुमरी विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक बने जगरनाथ क्षेत्र के विकास के प्रति हमेशा समर्पित रहे.

डुमरी (गिरिडीह), सूरज सिन्हा/शशि जायसवाल : डुमरी विधानसभा क्षेत्र का लगातार चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके शिक्षा मंत्री सह झामुमो विधायक जगरनाथ महतो का राजनीतिक जीवन झामुमो के एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ था. उनका व्यक्तित्व आंदोलनकारी रहा. झारखंडी हित की बातें करते और झारखंडियों के हित में कार्य करते थे. वह प्रखर वक्ता थे. झारखंडी हितों को लेकर वह हमेशा कार्य करते रहे. 1932 खतियान, पारा शिक्षकों की समस्या का समाधान समेत कई कदम उठाये. उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत डुमरी के तत्कालीन विधायक शिवा महतो के साथ की थी. शिवा महतो ने जब पहली बार डुमरी विधानसभा से झामुमो उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़े तो जगरनाथ महतो उनका दाहिना हाथ बने. इस चुनाव में शिवा महतो की जीत हुई. वर्ष 1980 से 1999 के विधानसभा चुनाव के पूर्व तक जगरनाथ महतो शिवा महतो के साथ रहे. वर्ष 1999 के डुमरी विधानसभा चुनाव में उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन वह इस चुनाव में हार गये. इसके बाद 2005 से आज तक इनका राजनीतिक जीवन सितारा की तरह चमकता रहा.

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स्मृति शेष : गिरिडीह के डुमरी विस से 4 बार विधायक रहे मंत्री जगरनाथ महतो, क्षेत्र के विकास के प्रति समर्पित 2

डुमरी विधानसभा से लगातार चार बार जीत दर्ज कर बनाये थे रिकार्ड

जगरनाथ महतो डुमरी विधानसभा के चुनाव में लगातार चार बार जीत दर्ज कर एक रिकार्ड स्थापित किया. 2005 में वह झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने. इसके बाद अपनी कार्यशैली, कुशल नेतृत्व और विकास के दम और जनता से जुड़ाव के कारण लगातार 2009, 2014 और 2019 का चुनाव भारी मतों से जीत हासिल की. जनता से साथ जुड़ाव रखने के कारण उनकी पहचान जमीनी नेता के रूप में की जाती थी. उन्होंने वर्ष 2014 व वर्ष 2019 में गिरिडीह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा परंतु जीत हासिल नहीं पाये. उनका जन्म जनवरी 1967 में बोकारो जिला के अलारगो में हुआ था. पिछले कुछ दिनों से वे बीमार चल रहे थे. उन्हें 14 मार्च को ही चेन्नई इलाज के लिए ले जाया गया था. जहां छह अप्रैल, 2023 को उन्होंने अंतिम सांस ली.

झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे जगरनाथ

स्वर्गीय महतो झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे. अपने राजनीतिक गुरु पूर्व विधायक शिवा महतो के साथ राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उनकी अपनी एक अलग पहचान है. अपने जुझारूपन की वजह से क्षेत्र के लोग उन्हें प्यार से टाइगर बुलाया करते थे. कोरोना से ग्रसित होने के बाद चेन्नई में उनके फेफड़े का प्रत्यारोपण हुआ था. छह अप्रैल को उनका निधन हो गया.

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बदल डाली उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर

स्वर्गीय महतो के विधानसभा क्षेत्र में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती थी. लेकिन, उन्होंने वहां विकास की लकीर खींच दी. दिवंगत मंत्री जगरनाथ महतो की लोकप्रियता यूं ही नहीं है. उनके लोकप्रिय होने के पीछे बड़ी वजह क्षेत्र की जनता के प्रति उनका समर्पण रहा है. उन्हें क्षेत्र की जनता विकास पुरुष के नाम से भी बुलाती थी. क्षेत्र में कई विकास के कामों को भी किया है. जो इलाका नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का गढ़ रहा, जहां विकास की योजनाओं को उतारना प्रशासन के लिए चुनौती रही, उस इलाके में सड़क-शिक्षा के साथ साथ अन्य व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटे रहे.

बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए रहे प्रयासरत

उनका सबसे बड़ा योगदान शिक्षा के क्षेत्र में रहा है. वे किसी भी सभा को जब भी संबोधित करते थे तो हमेशा अभिभावक को अपने बच्चो को बेहतर शिक्षा दिलाने की बात कहते थे. उनका मानना था कि समाज के साथ खुद का विकास करना हैं तो वह शिक्षा से ही संभव हो सकता है. इसलिए वह लोगों को पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे. उनका सबसे अधिक ध्यान बच्चों विशेष तौर पर बच्चियों की शिक्षा पर रहा था. गांव-गांव की बच्चियां सुरक्षित होकर अपने आसपास के इलाके में ही बेहतर शिक्षा पा सके इसको लेकर वह हमेशा तत्पर रहे. अपने क्षेत्र में कई उच्च विद्यालय, कॉलेज को स्थापित करवाया. उन्होंने शिक्षा का अलख जलाने के लिए डुमरी विधानसभा क्षेत्र में तीन इंटर और एक डिग्री कॉलेज की स्थापना किया. पहला नावाडीह में देवी महतो इंटर व डिग्री कॉलेज और दूसरा डुमरी प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र बड़की बैरगी पंचायत में जगरनाथ महतो इंटर कॉलेज के रूप में की. 16 अप्रैल 2016 को उन्होंने जगरनाथ महतो इंटर कॉलेज का शिलान्यास किया था, इसके बाद उन्होंने कॉलेज के भवन का उद्घाटन 10 मई 2017 को किया था. इस कॉलेज को स्थापना अनुमति 2018 में मिली और स्थायी प्रस्वीकृति 2022 और अनुदान 2023 को मिला. इस कॉलेज में आज करीब एक हजार की संख्या में छात्र-छात्राएं अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे है.

दूरदर्शी नेता के रूप में माने जाते थे जगरनाथ

जगरनाथ महतो अपनी कार्यशैली और दक्षता के कारण क्षेत्र के लोगों के बीच दूरदर्शी नेता भी कहलाते थे. वे काफी अनुभवी थे. समाज के हर तबके के लोग उन्हें अपना नेता मानते थे. वह हमेशा चुनावी सभा और अन्य जगहों में कहा करते थे मैं जात नहीं जमात की राजनीति करता हूं. वह हमेशा क्षेत्र की जनता से जुड़े रहे. वहीं हरेक गुरुवार को डुमरी किसान भवन में जनता दरबार लगा कर क्षेत्र के दूरदराज से आने वाली समस्या को सुन उसका निदान किया करते थे. उनके इस अदा के भी लोग कायल थे. डुमरी में रजिस्ट्री ऑफिस और डुमरी को अनुमंडल बनाने का श्रेय उन्हीं को जाता है.

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शिक्षा मंत्री थे फुटबॉल प्रेमी

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो क्षेत्र के युवाओं को खेल के प्रति बढ़ावा तो देते ही थे. इसके अलावा वह खुद भी फुटबॉल प्रेमी थे. वह हर सुबह अपने अरगालो स्थित घर के समीप मैदान पर खुद भी बच्चे और अन्य लोगों के साथ फुटबॉल खेला करते थे. स्व. महतो हमेशा क्षेत्र के लोगों के बीच रहना पसंद करते थे. वह सुबह ही अपने घर से क्षेत्र भ्रमण के लिए निकल कर जनता की समस्या सुनते थे. पहाड़ हो या पठार वह पैदल ही चढ़ जाते थे. उनकी इस जोश को देख युवा भी उनकी ऊर्जा का तारीफ करते नहीं थकते थे.

अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में जगरनाथ महतो ने किया नये युग की शुरूआत

डुमरी विधानसभा क्षेत्र के अति उग्रवाद प्रभावित इलाके में विकास कार्यों से नये युग की शुरूआत करने का श्रेय शिक्षा मंत्री सह झामुमो विधायक जगरनाथ महतो को जाता है. माओवादियों के इलाके में जाकर आम जनता की समस्याओं को सुनना और उसे दूर करने का प्रयास करने की उनकी इच्छा शक्ति ने उन्हें जननायक बना दिया. डुमरी में इससे पहले लोग विकास कार्यों के लिए दो विधायकों स्व. मुरली भगत और स्व. शिवा महतो को याद करते थे. लेकिन, जगरनाथ महतो ने अपने कार्यों से दोनों विधायकों को बहुत पीछे छोड़ दिया. झारखंडी जनभावना को समझने वाले और विकास के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले राजनेता की छवि ने उनकी एक अलग पहचान बना दी. उनकी स्पष्टवादिता और बिना भेदभाव के कार्य करने की शैली विरोधियों को भी मुरीद बना देती थी. आज उनके असामयिक निधन से डुमरी की जनता समेत सभी राजनीतिक दल के नेता मर्माहत हैं. सभी को लग रहा है कि कोई उनका सगा इस दुनिया से चला गया. वर्ष 2005 में पहली बार विधायक बनने के बाद उन्होंने जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए डुमरी और नावाडीह प्रखंड में अगल-अलग साप्ताहिक जनता दरबार की शुरुआत की. वर्ष 2020 में सूबे के मंत्री बनने तक दोनों प्रखंडों में उनका साप्ताहिक जनता दरबार निरंतर जारी रहा. विधायक का जनता दरबार क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हुआ. पहले विधायक और फिर मंत्री बनने के बाद भी वे क्षेत्र की जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे. कभी कोई घटना या हादसा होता था तो जानकारी मिलते ही वे मौके पर पहुंच जाते थे, चाहे घटना देर रात की हो या सुबह की.

उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में बिछाया सड़कों का जाल

डुमरी प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित उत्तराखंड और दक्षिण खंड के क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाना और ग्रामीणों का जीवन सुगम बनाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. दोनों क्षेत्र के करीब तीन दर्जन गांव में आज पक्की सड़कें हैं. ग्रामीण सड़कों के अलावा दर्जनों पुल-पुलिया के निर्माण करवा आवागमन सुलभ करवाया. डुमरी में निबंधन कार्यालय और डुमरी को अनुमंडल बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, नये कॉलेज की शुरुआत और मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने का उनका गुण अपने राजनीतिक गुरु पूर्व विधायक स्व. शिवा महतो से मिला. झामुमो के संस्थापक स्व. विनोद बिहारी महतो के पढ़ो और लड़ो का नारा ने उनके जीवन को शिक्षा में सुधार के लिए प्रेरित किया था. उन्होंने नावाडीह और डुमरी में कई कॉलेज की स्थापना की थी. साथ ही झारखंड कॉलेज और पारसनाथ डिग्री कॉलेज के नये भवन निर्माण करवाया. उन्होंने डुमरी और नावाडीह में आईटीआई, डुमरी के कलहाबार में सरकारी डिग्री कॉलेज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया. शिक्षा के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए ही हेमंत मंत्रिमंडल में उन्हें शिक्षा मंत्री का दायित्व मिला.

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क्षेत्र का विकास नहीं करने वालों को छोड़ देनी चाहिए विधायिकी

पत्रकार से शिक्षक बने सतीश कुमार कहा कहना है कि सूबे के शिक्षा एवं मद्य निषेध मंत्री जगरनाथ महतो के निधन की खबर से मैं मर्माहत हूं. इस खबर से अचानक वर्ष 2004 का एक वाकया याद आ गया. उन दिनों मैं प्रभात खबर में डुमरी से बतौर संवाददाता कार्य करता था. उस दिन शाम को मैं डुमरी मोड़ के एक दुकान से अखबार के लिए गिरिडीह कार्यालय समाचार फैक्स कर निकल ही रहा था कि जगरनाथ महतो मुझे ढूंढते हुए वहां आ गये. मुझे देखते ही उन्होंने कहा कि आप ठीक ही कह रहे थे, डुमरी से विधानसभा का चुनाव लड़ने से पहले एक बार यहां के उग्रवाद प्रभावित उत्तराखंड क्षेत्र का दौरा कर लीजिए और देखिये लोग किस तरह जीवन जीते है. दरअसल जगरनाथ महतो से कुछ दिन पहले हुई मुलाकात के दौरान डुमरी प्रखंड के पिछड़ेपन पर चर्चा हो रही थी. उस समय मैंने उन्हें बताया था कि डुमरी प्रखंड की एक तिहाई आबादी उत्तराखंड क्षेत्र के दस पंचायतों में निवास करती है. लेकिन, इस क्षेत्र से प्रखंड व जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क पूरी तरह नष्ट हो गयी है. ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को विवश है. स्थानीय जन प्रतिनिधियों का ध्यान ग्रामीणों की समस्या की तरफ नहीं है. उस समय जगरनाथ महतो ने कहा था कि मैं चुनाव में पर्चा दाखिल करने से पहले उत्तराखंड क्षेत्र का भ्रमण करूंगा और लोगों की समस्याओं से रू-ब-रू होंगे.

जगरनाथ ने उत्तराखंड क्षेत्र में विकास के युग की शुरुआत की

इसी संदर्भ में जगरनाथ महतो अपने चंद विश्वस्त कार्यकर्ताओं के साथ बाइक से उत्तराखंड क्षेत्र का भ्रमण कर लौटे थे. डुमरी पहुंचने पर वे सबसे पहले मेरे पास आये थे. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 57 वर्षों के बाद भी करीब पचास हजार लोगों की नारकीय स्थिति को देख पीड़ा होती है. सत्तर के दशक में तत्कालीन विधायक मुरली भगत ने केबी रोड बनाया था, जिसका अस्तित्व खत्म हो चुका है. यदि मैं यहां का विधायक बना तो सबसे पहले उत्तराखंड में सड़क निर्माण सहित विकास कार्यों की शुरूआत करूंगा. क्षेत्र का विकास नहीं करने वालों विधायकों को अपनी विधायिकी छोड़ देना चाहिए. वर्ष 2005 में जगरनाथ महतो जब पहली बार विधायक बने तो उत्तराखंड क्षेत्र में विकास के युग की शुरुआत की.

जगरनाथ महतो का निधन राज्य के लिए अपूरणी क्षति

आज उत्तराखंड में सडकों का जाल बिछा हुआ है. इंटर कॉलेज खुल चुका है. दर्जनों पुल पुलिया ने क्षेत्र की तस्वीर बदल दी है. लेकिन उत्तराखंड के मंझलाडीह को प्रखंड बनाने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका. शिक्षक बनने से पहले सोलह वर्ष के पत्रकारिता के दौरान जगरनाथ महतो को मैंने काफी नजदीक से देखा था. वे अक्सर क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर मुझसे व्यक्तिगत रुप से चर्चा करते थे. मेरे साथ होने वाली चर्चाओं और सुझाव को कई बार तो सार्वजनिक मंचों से भी एलान करते थे. उनके साथ व्यतीत किए गये समय के आधार पर मैं कह सकता हूं कि जनता के लिए उनकी प्रतिबद्धता, विकास कार्यों को धरातल पर उतारने की उनकी ललक, शिक्षा में सुधार करने का उतावलापन, झारखंडी जनभावना के अनुरूप शासन व्यवस्था का संचालन, पारा शिक्षकों की भलाई के लिए कार्य आदि ने उन्हें एक जननायक बना दिया है. उनका असामयिक निधन डुमरी समेत पूरे राज्य की अपूरणीय क्षति है. विकास को समर्पित इस महामानव को विनम्र श्रद्धांजलि.

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