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झारखंड का एक ऐसा गांव जहां के ग्रामीण सड़क से नहीं हैं रू-ब-रू, आज भी पगडंडी के सहारे करते हैं आवागमन

झारखंड के गोड्डा जिला का एक ऐसा गांव है जहां के ग्रामीण आज सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. यहां के ग्रामीण आज तक पक्की सड़क का सुख नहीं भोगा है. आज भी ग्रामीण पगडंडी के सहारे ही आवागमन करने को बाध्य हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

Jharkhand News: झारखंड का एक गांव है गड़ी पड़वारा. इस गांव के ग्रामीण आज तक सड़क से रू-ब-रू नहीं हुए हैं. यहां के ग्रामीण आज भी पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. इसके बावजदू किसी का ध्यान इस गांव की ओर नहीं गया. ग्रामीण सड़क के अलावा अन्य मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हैं.

प्रशासन के पहल की ग्रामीण आज भी जोह रहे बाट

गोड्डा जिला अंतर्गत ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र की बनियाडीह पंचायत के गड़ी पड़वारा के ग्रामीणों को सड़क एवं पानी की समस्या से जूझना पड रहा है. ग्रामीणों को गांव से बाहर आने-जाने के लिए सड़क आज तक नसीब नहीं हो पाया है. ग्रामीण आज भी सड़क व पेयजल की समस्या के निदान के लिये जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन के पहल की बाट जोह रहे हैं.

दो सौ की आबादी है गांव में

20 घर वाले इस गांव में दो सौ लोगों की आबादी है. गांव में मात्र एक चापाकल के भरोसे लोगों का प्यास बुझ रहा है. चापानल के पानी का लेयर घटने की वजह से ग्रामीण बगल में बहने वाली नदी का पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीण दुखू मिर्धा, परमेश्वर मिर्धा, सिकंदर मिर्धा, महेंद्र मिर्धा, महेश्वर यादव ने समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि गांव में पेयजल की समुचित सुविधा नहीं है. स्थानीय विधायक की पहल पर गांव में एक चापाकल लगाया गया था. लोगों को उसी चापाकल से पानी की उपलब्धता होती है. पानी का लेयर काफी नीचे चले जाने की वजह से पानी निकलना बंद हो जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि मवेशियों के लिये पानी की समस्या बड़ी तकलीफ देह हो गयी है. गांव में एक भी जलमीनार नहीं लगाया गया है.

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नहीं है गांव से बाहर जाने के लिए अदद सड़क

ग्रामीणों की मानें तो गांव के सभी लोग कैद जैसा महसूस करते हैं. ग्रामीणों को गांव से बाहर आने-जाने के लिए सड़क तक नहीं है. बहियार में बने पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कुर्मी, मंडल, यादव व मिर्धा जाति के लोग रहते हैं. सभी गरीब तबके हैं. मजदूरी कर अपना जीवन-गुजर बसर करते हैं. लोगों के लगातार प्रयास के बावजूद अब तक गांव में सड़क नहीं बन सकी है. सड़क की वजह से गांव में चार पहिया वाहन भी नहीं आ पाती है. गांव का भी विकास अधर में लटका है. बच्चों का भविष्य अंधेरे में है. बच्चों का रिश्ता भी बाहर अच्छे घरों से नहीं हो पाता है. आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बीमार पड़ने पर खाट के सहारे अस्पताल ले जाना पडता है. गांव तक एंबुलेंस नहीं आ पाती है. ग्रामीण बताते हैं कि गांव से पूरब में बनियाडीह गांव है. इस गांव को सड़क से जोड़ा जा सकता है. उत्तरी में आदिवासी बाहुल्य गांव धरनीचक है. इस गांव तक लोग पगडंडी के सहारे सड़क से जुडते है. दोनों ओर पगडंडी ही है. ग्रामीण इसी के सहारे आवागमन करते है. ग्रामीण एक किमी पैदल चलकर गोपालपुर गांव के डीलर के दुकान से राशन लाते हैं. गड़ा पड़वारा गांव के हाई स्कूल लेवल के बच्चे बनियाडीह गांव जाकर पढ़ाई करते हैं. मगर छोटे बच्चों के लिये गांव में प्राइमरी स्कूल तो दूर आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं है. जिला प्रशासन से ग्रामीणों ने मांग किया है कि बरसात आने से पहले अगर सड़क की व्यवस्था कर दी जाये, तो काफी सुविधा होगी.

सड़क और पेयजल को लेकर ग्रामीणों से बीडीओ करेंगे बात

इस संबंध में ठाकुरगंगटी प्रखंड के बीडीओ राजीव कुमार ने कहा कि सड़क और पेयजल की समस्या को लेकर ग्रामीणों से बात कर जानकारी लेंगे. आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सके. इस बात की रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को दी जायेगी.

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